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महापंडित गागाभट्ट की 11वीं पीढ़ी थे पं. लक्ष्मीकांत, शिवा जी महाराज से जुड़ा है कनेक्शन, पीएम मोदी ने भी पांव छूकर लिया था आशीर्वाद

वाराणसी। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में 121 ब्राह्मणों का नेतृत्व करने वाले पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित का शनिवार को 86 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। पीएम मोदी, सीएम योगी समेत साहित्य जगत के कई विद्वानों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। 

 

पं. लक्ष्मीकांत के सुपुत्र पं. जयकृष्ण दीक्षित ने बताया कि वे लोग महापंडित गागाभट्ट की 11वीं पीढ़ी के हैं। राज्याभिषेक के पश्चात जब छत्रपति शिवाजी काशी आए थे, तो उनके साथ गागाभट्ट भी आए थे। उनके परिवार की एक शाखा काशी में रह गई थी और वे लोग उसी वंश परंपरा से हैं। उनका परिवार रामघाट के समीप मंगला गौरी मंदिर के पास निवास करता है।

 

अयोध्या में प्रभु श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा कराने वाले पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित शुक्ल यजुर्वेद शाखा व घनांत अध्ययन के लिए वह काशी आ गए। हालांकि काशी में उनका परिवार पीढ़ियों से रहता था। श्रौत स्मार्त यागों का उन्होंने विशिष्ट अध्ययन किया था।

 

अपने गुरु व चाचा उद्भट विद्वान वेदमूर्ति गणेश दीक्षित (जावजी भट्ट) व स्व. वेद मूर्ति मंगलजी बादल से उन्होंने विभिन्न वेद-वेदांगों व उपनिषदों का विशद ज्ञान प्राप्त किया तथा शुक्ल यजुर्वेद का सांगोपांग अध्ययन किया। वह रामघाट स्थित सांगवेद महाविद्यालय में वरिष्ठ आचार्य थे।

 

उनकी अंतिम यात्रा आवास से जब सुबह 11 बजे चली तो सैकड़ों की संख्या में विद्वत जन, उनके शिष्य, अनेक राजनीतिक दलों के नेता, क्षेत्रीय नागरिक, विधायक डा. नीलकंठ तिवारी, मंडलायुक्त कमिश्नर कौशल राज शर्मा, पं. गणेश्वर शास्त्री द्रविड़, पं. विश्वेश्वर शास्त्री, प्रो. पतंजलि मिश्र, संतोष सोलापुरकर, नलिन नयन मिश्र, पार्षद कनकलता मिश्र के साथ मराठा समाज के लोग प्रमुख रूप से सम्मिलित हुए।

 

देश में अनेक श्रौत्यागों तथा स्मार्तयागों का किया था निर्देशन

 

आचार्य पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित ने देश में अनेक श्रौतयागों तथा स्मार्तयागों का निर्देशन किया था। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में श्रौतयज्ञशाला का निर्माण कराया तथा 1998 में नेपाल में विशिष्ट श्रौतयाग (सोमयाग) का अनुष्ठान कराया था।

 

 

पीएम ने रक्षासूत्र बंधवाकर किया था चरण स्पर्श

 

 

प्रभु श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान पूर्ण होने पर जब पं. लक्ष्मीकांत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को रक्षासूत्र बांधा, तो उन्होंने पूरे भक्ति भाव से पं. दीक्षित का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया था।

 

 

अनेकों पुरस्कार से सम्मानित

 

 

पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित को उनकी विद्वत्ता व वेदों के प्रचार-प्रसार के चलते अनेक पुरस्कार व सम्मान प्रदान किए गए थे। 

 

 

- चारों पीठों के शंकराचार्य द्वारा विशेष सम्मान। 

 

- सन् 2012 में द्वारका ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्ती द्वारा 'वैदिक रत्न पुरस्कार' सन् 2014 में 'वेदसम्राट पुरस्कार' सन् 2015 में 'वैदिक भूषण अलंकरण' श्रृंगेरी के शंकराचार्य संस्थान द्वारा 'वेदमूर्ति' पुरस्कार।

 

- वेदसम्मान घनपाठी' पुरस्कार प्राप्त साङ्ग वेद विद्यालय द्वारा 'सम्मानपत्र' एवं 'वेदमूर्ति' पुरस्कार सन् 2016 में लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा 'देवी अहिल्याबाई राष्ट्रीय पुरस्कार' से सम्मानित सन् 2019 में संपूर्णानंद संस्कृत विवि द्वारा स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती सम्मान। 

 

- श्रृंगेरी पीठ द्वारा सन् 2010 में विशेष सम्मान वर्ष 2022 में लोस अध्यक्ष द्वारा भारतात्मा पुरस्कार।

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