मऊ। घोसी विधानसभा उपचुनाव में करारी हार का सामना कर रहे दारा सिंह चौहान (Dara Singh Chauhan) यूपी में सियासी मौसम के सटीक जानकारी कहे जाते हैं। क्योंकि वे मौसम की तरह ही पाला बदल लेते हैं। दारा सिंह चौहान ने चुनाव दर चुनाव सत्ता का रुख देखते हुए पाले बदले और सरकारों में शामिल रहे।लेकिन कहते हैं ना कि हर अति का एक अंत होता है। इस तरह से दारा सिंह चौहान के राजनीतिक कैरियर का भी एक अंत ही माना जा रहा है। क्योंकि जिस तरह से इन्होंने सपा और भाजपा को धोखा देकर अपनी सियासत बदली, उससे तो यही स्पष्ट हो रहा है कि अब शायद दारा सिंह चौहान राजनीति से संन्यास ले लें।सब कुछ पहले से फिक्स?घोसी विधानसभा उपचुनाव से ठीक डेढ़ महीने पहले सपा छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले दारा सिंह चौहान (Dara Singh Chauhan) की सपा के सुधाकर सिंह से हार तय थी। राजनीतिक जानकारों की मानें, तो यह सब पहले से फिक्स था। यह चुनावी नतीजा बीजेपी का दामन थामने वाले दारा सिंह चौहान की लोकप्रियता का इम्तिहान था।कहा तो यह भी जा रहा है कि वोट ट्रांसफर करने वाले दलों को अपने पाले में लाने की बीजेपी की रणनीति की भी यह परीक्षा थी। योगी आदित्यनाथ की पिछली सरकार में पांच साल कैबिनेट मंत्री रहे दारा सिंह चौहान ने 2022 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले पाला बदल लिया। उन्होंने भाजपा छोड़ सपा का दामन थाम लिया, लेकिन एक साल वनवास काटने के बाद वह दोबारा सत्तासीन दल के खेमे में लौट आए।सुधाकर सिंह के सामने फीके पड़े Dara Singh Chauhanदारा सिंह चौहान (Dara Singh Chauhan) ने जुलाई 2023 में सपा से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था। उन्होंने सपा और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया। इसके बाद दारा सिंह एक बार फिर भाजपा में शामिल हो गए। अब घोसी में उपचुनाव चुनाव कराए गए। यहां भाजपा ने अपने टिकट पर दारा सिंह चौहान को मैदान में उतारा। पार्टी ने भी खूब प्रचार प्रसार किया।समाजवादी पार्टी ने दारा सिंह के सामने दबंग नेता सुधाकर सिंह को उतारा। पिछड़े वर्ग के बड़े नेता दारा सिंह सपा, बसपा और बीजेपी की सियासी पारियों के साथ यूपी के राजनीति का अहम हिस्सा रहे हैं। इससे पहले वह योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में मंत्री के पद व राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं।