नई दिल्ली। स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज लाल किले की प्राचीर से लगातार 12वीं बार देश को संबोधित किया। उनके भाषण का केंद्रबिंदु था साहस, सुरक्षा और संकल्प का संगम। उन्होंने हाल ही में अंजाम दिए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र करते हुए वीर जवानों की शौर्यगाथा को सलाम किया और आतंकवाद पर भारत की सख्त नीति को स्पष्ट शब्दों में दुनिया के सामने रखा।
पीएम मोदी ने कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में सीमा पार से आए आतंकियों ने जो नृशंसता दिखाई, धर्म पूछकर लोगों की हत्या की, बच्चों और महिलाओं के सामने कत्लेआम किया — वह न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व को हिला देने वाला था। उन्होंने कहा, “पूरा हिंदुस्तान उस समय आक्रोश से भर गया था, और ऑपरेशन सिंदूर उसी आक्रोश का परिणाम है।”
प्रधानमंत्री ने दृढ़ स्वर में कहा कि भारत ने सेना को पूरी स्वतंत्रता दी। जिससे जवानों ने दुश्मन की धरती में सैकड़ों किलोमीटर अंदर घुसकर आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद किया। “पाकिस्तान की नींद आज भी उड़ चुकी है। वहां हुई तबाही इतनी बड़ी है कि रोज नए खुलासे हो रहे हैं।
आतंकवाद के खिलाफ ‘न्यू नॉर्मल’
मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत अब आतंकियों और उन्हें पनाह देने वालों के बीच कोई भेदभाव नहीं करेगा। उन्होंने कहा, “कई दशकों से आतंकवाद ने देश के सीने को छलनी किया है। अब हमने ‘न्यू नॉर्मल’ तय किया है — चाहे आतंकवादी हों या उनके संरक्षक, हम उन्हें एक ही दृष्टि से देखेंगे। न्यूक्लियर ब्लैकमेल को भारत अब और नहीं सहेगा। अगर दुश्मन ने ऐसी हरकत जारी रखी, तो सेना समय, स्थान और तरीके का फैसला करेगी, और हम उस पर पूरी तरह अमल करेंगे। मुंहतोड़ जवाब देंगे।”
मोदी ने यह भी दोहराया कि भारत के लिए ‘खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते’, जो इस बात का संकेत था कि आतंकवाद से जुड़ी कोई भी गतिविधि जल समझौतों और रिश्तों को प्रभावित कर सकती है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ — दशकों में न देखी गई कार्रवाई
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि यह सैन्य कार्रवाई दशकों में न देखी गई एक निर्णायक प्रतिक्रिया थी। उन्होंने कहा हमारी सेना ने रणनीति, लक्ष्य और समय स्वयं तय किए। और परिणाम ऐसा था कि आने वाले कई वर्षों तक यह दुश्मन के लिए एक चेतावनी बना रहेगा। पीएम ने कहा कि अब मेड इन इंडिया फाइटर जेट भी बनेगा।
प्रकृति की चुनौतियों पर जताई चिंता
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने प्राकृतिक आपदाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में बादल फटने, बाढ़ और अन्य आपदाओं ने देश के कई हिस्सों की परीक्षा ली है। उन्होंने प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त कीं और आश्वासन दिया कि राज्य सरकारों के साथ मिलकर केंद्र सरकार राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई है।
स्वदेशी पर पीएम ने किया फोकस
पीएम ने स्वदेशी के नारे के साथ अपने भाषण की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि हम आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ रहे हैं। हम समुद्र मथन की ओर जा रहे हैं। समुद्र के भीतर टल के भंडार खोजने की दिशा में आगे जा रहे हैं। तेल ऊर्जा आत्मनिर्भर बनने के लिए आवश्यक है।
प्रधानमंत्री ने परमाणु ऊर्जा पर फोकस किया। उन्होंने कहा कि दुनिया जब ग्लोबल वार्मिंग की चिंता करती है, तब भारत 2030 तक ग्रीन एनर्जी तय करने का लक्ष्य निर्धारित कर रहा था। हमारा लक्ष्य अब तक 50 प्रतिशत पूरा हो चुका है।
एक देश, एक संविधान — धारा 370 का जिक्र
पीएम मोदी ने धारा 370 हटाने के ऐतिहासिक निर्णय को भी याद किया। उन्होंने कहा, “1947 में जब देश आजाद हुआ, तब चुनौतियां अपार थीं। संविधान सभा ने देश को मार्गदर्शन देने वाला संविधान तैयार किया। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को हमने सच्ची श्रद्धांजलि दी जब धारा 370 की दीवार गिराकर एक देश, एक संविधान का सपना साकार किया।”
उन्होंने संविधान निर्माता डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. भीमराव अंबेडकर, पंडित नेहरू, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और कई विदुषी महिलाओं को नमन किया, जिन्होंने भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की नींव रखी।
140 करोड़ संकल्पों का पर्व
पीएम मोदी ने आज़ादी के इस महापर्व को 140 करोड़ भारतीयों के संकल्पों का पर्व बताया। उन्होंने कहा, “आज देश का हर कोना तिरंगे के रंग में रंगा है — हिमालय से लेकर रेगिस्तान तक, समुद्र तट से लेकर द्वीपों तक, हर जगह मातृभूमि के जयगान की गूंज है। यह सामूहिक सिद्धियों और गौरव का उत्सव है।”
विशेष मेहमान — सफाईकर्मी और सरपंच
इस वर्ष लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में दिल्ली के 50 सफाईकर्मी और देशभर से आए 85 ग्राम सरपंच विशेष अतिथि बने। दिल्ली नगर निगम के प्रत्येक जोन से चुने गए इन सफाईकर्मियों में तीन महिलाएं और दो पुरुष शामिल थे। इन्हें अपने जीवनसाथी के साथ रक्षा मंत्रालय के निमंत्रण पर बुलाया गया।
वहीं, चुने गए सरपंचों को उनके गांवों में विकास और परिवर्तन में दिए योगदान के लिए सम्मानित किया गया। प्रधानमंत्री ने इन अतिथियों को ‘लघु भारत’ का प्रतीक बताते हुए सराहा।
लाल किले पर तिरंगा फहराने का क्षण
समारोह की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 12वीं बार लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने से हुई। इस अवसर पर उनके साथ फ्लाइंग ऑफिसर रशिका शर्मा मौजूद थीं। जैसे ही तिरंगा शान से लहराया, 1721 फील्ड बैटरी (सेरेमोनियल) के वीर तोपचियों ने 21 तोपों की सलामी दी।
इस समारोह में इस्तेमाल की गई 105 मिमी स्वदेशी लाइट फील्ड गन की कमान मेजर पवन सिंह शेखावत के पास थी, जबकि नायब सूबेदार अनुतोष सरकार गन पोजिशन ऑफिसर के रूप में मौजूद रहे।
भावनाओं और दृढ़ संकल्प का संगम
पूरे संबोधन में प्रधानमंत्री का स्वर कभी भावनात्मक तो कभी दृढ़ता से भरा रहा। आतंकवाद के खिलाफ उनकी चेतावनी जहां एक ओर दुश्मनों के लिए स्पष्ट संदेश थी, वहीं दूसरी ओर देशवासियों के लिए यह विश्वास भी कि भारत किसी भी खतरे का सामना करने के लिए सक्षम और तत्पर है।