जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए कानपुर निवासी शुभम द्विवेदी के परिवार ने मथुरा में संत प्रेमानंदजी महाराज से भेंट कर अपने दुख को साझा किया। इस मुलाकात में शुभम की पत्नी ऐशन्या, पिता संजय द्विवेदी और अन्य परिजन मौजूद थे।
भावुक लम्हों के बीच ऐशन्या ने अपने दिल का दर्द बयां करते हुए कहा – “महाराज, मेरे पति को मेरी आंखों के सामने मार दिया गया। वह दृश्य मेरे मन से हटता ही नहीं। जिस दिन यह घटना हुई, उसके बाद से वही मंजर बार-बार आंखों के सामने आ जाता है और मैं फूट-फूटकर रोने लगती हूं। परिवार वाले संभालते हैं, लेकिन मन शांत नहीं होता।”

इस पर प्रेमानंद महाराज ने धैर्य और जीवन के सत्य को समझाते हुए कहा कि ईश्वर के नियम निश्चित होते हैं और हर किसी की आयु पूर्व निर्धारित होती है। उन्होंने कहा – “अगर शुभम एक दिन पहले या बाद में वहां जाते, तो शायद यह घटना न होती, लेकिन उनकी आयु पूरी हो चुकी थी। यही कारण है कि यह संयोग बना। जिनकी मृत्यु निश्चित होती है, वे किसी न किसी कारण उस स्थान पर पहुंच ही जाते हैं। काल का कोई दोष नहीं, वह कभी बीमारी, कभी हादसा या किसी और रूप में आकर अपना काम करता है। यह स्वीकार करना कठिन है, लेकिन जितनी जल्दी इस सत्य को मान लेंगे, दुख उतना ही कम होगा।”
महाराज ने आगे कहा कि शुभम का पहलगाम में शहीद होना भी विधि का विधान था। उन्होंने परिवार को इस कठिन समय में नाम जाप का सहारा लेने की सलाह दी और कहा कि यही आत्मिक शांति का मार्ग है।
शुभम के पिता संजय द्विवेदी ने भी अपना दर्द व्यक्त करते हुए कहा – “मैंने हमेशा अच्छे और धर्म के काम किए, फिर भी मेरा बेटा आतंकी हमले में चला गया। इससे मन बहुत आहत है।” इस पर प्रेमानंद महाराज ने भावुक होते हुए कहा – “इस घटना से मेरा मन भी व्यथित हुआ। पुत्र वियोग संसार का सबसे बड़ा दुख है। श्रीरामचरित मानस में भी वर्णन है कि महाराज दशरथ ने पुत्र वियोग में प्राण त्याग दिए थे और लक्ष्मण शक्ति के समय स्वयं भगवान राम भी दुख के सागर में डूब गए थे। पुत्र और भाई से बढ़कर संसार में कोई संबंध नहीं होता।”
करीब 10 मिनट चली इस मुलाकात में शुभम के चाचा पंडित मनोज कुमार द्विवेदी, सुरेश कुमार दुबे और अन्य परिजन भी शामिल हुए।

क्या हुआ था उस दिन?
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम के बायसरन घाटी में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। ऐशन्या और शुभम शादी के महज दो महीने बाद अपने परिवार के 11 सदस्यों के साथ कश्मीर घूमने गए थे। 23 अप्रैल को उनकी वापसी तय थी।
घटना वाले दिन दोपहर करीब 2:15 बजे दोनों एक रेस्टोरेंट में बैठे थे, तभी आतंकियों ने वहां धावा बोल दिया। अचानक शुरू हुई ताबड़तोड़ फायरिंग से अफरा-तफरी मच गई। ऐशन्या के मुताबिक, एक आतंकी ने शुभम से उनका नाम पूछा और नाम सुनते ही उनके सिर में गोली मार दी। शुभम मौके पर गिर पड़े और ऐशन्या बेहोश हो गईं।
उस हमले में कुल 26 लोगों की जान गई थी, जिनमें एक नेपाली नागरिक और बाकी पर्यटक गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और ओडिशा से थे। घटना के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया।