image
image

Latest News

बेनामी संपत्ति, शस्त्र लाइसेंस पर डीएम के फ़र्ज़ी हस्ताक्षर, रक्तरंजित है मुख्तार के पूरे कुनबे का इतिहास

Mukhtar Ansari Cases: बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी से आयकर विभाग ने बेनामी संपत्तियों के बारे में गहन पूछताछ की है। आयकर विभाग की जांच इकाई की पांच सदस्यीय टीम ने अदालत के आदेश के बाद बृहस्पतिवार को बांदा जेल जाकर मुख्तार से करीब छह घंटे तक सवाल किए। सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान मुख्तार ने सही जवाब नहीं दिए और अधिकारियों को गुमराह करता रहा। फिलहाल उसका बयान दर्ज कर लिया है, जिसके आधार पर आगे कार्यवाही की जाएगी।


बताते चलें कि आयकर विभाग की बेनामी यूनिट मुख्तार (Mukhtar Ansari Cases) की करीब 125 करोड़ कीमत की 23 बेनामी संपत्तियों की जांच कर रही है। हाल ही में मुख्तार की गाजीपुर स्थित करीब 20 करोड़ रुपये की संपत्तियों को बेनामी संपत्ति एक्ट के तहत जब्त भी किया है। ये संपत्तियां मुख्तार के करीबी गणेश दत्त मिश्रा के नाम से खरीदी गई थी। जब आयकर विभाग ने गणेश दत्त मिश्रा को पूछताछ के लिए नोटिस दिया तो वह आनाकानी करने लगा।


आयकर विभाग ने उसे हिरासत में गाजीपुर पुलिस से उसे हिरासत में लेकर पेश करने को कहा था। विगत 20 जून को उसे पकड़कर आयकर विभाग के सुपुर्द कर दिया गया, जिसके बाद उससे दो दिन तक पूछताछ की गई। तत्पश्चात आयकर विभाग ने मुख्तार से पूछताछ करने की अदालत से अनुमति मांगी, जबकि आफ्शा को गाजीपुर और लखनऊ के पते पर नोटिस देकर पेश होने को कहा गया था।


Mukhtar Ansari Cases: पत्नी के बारे में नहीं जानकारी


पूछताछ के दौरान जब आयकर विभाग ने आफ्शा अंसारी के बारे में पूछा तो मुख्तार (Mukhtar Ansari Cases) ने उसकी कोई जानकारी होने से इन्कार कर दिया। उसने कहा कि वह सालों से जेल में हैं। अब तो उसके घरवाले भी मिलने नहीं आते हैं। उसकी पत्नी कहां पर है, इसकी कोई भी जानकारी उसके पास नहीं है। उसने गणेश दत्त मिश्रा के नाम से संपत्तियां खरीदने से इन्कार करते हुए कहा कि वह उसे जानता तक नहीं है। वह अधिकतर सवालों के जवाब देने के बजाय पुलिस पर अपने परिवार को प्रताड़ित करने का आरोप लगाता रहा।


मुख़्तार अंसारी पर दर्ज कई मुकदमों (Mukhtar Ansari Cases) में से 5 मुकदमों में उसे सजा सुनाई जा चुकी है। जिसके बाद अन्य मुकदमों की पैरवी अब तेज हो गई है। यूपी सरकार ने इसके लिए पहले ही कह दिया था कि माफियाओं को मिट्टी में मिला देंगे। मुख़्तार के फर्जी शस्त्र लाइसेंस के 33 वर्ष पुराने मामले की केस डायरी से फोरेंसिक रिपोर्ट ही लापता हो गई है। अब कोर्ट ने केस ट्रायल के दौरान मूल प्रति उपलब्ध न होने से फोटो स्टेट कॉपी को तलब किया है।

 

मूल कॉपी गायब होने से कई सवाल खड़े होने लगे हैं। हालांकि मुख़्तार के केसेज (Mukhtar Ansari Cases) में ये कोई पहला मामला नहीं है, जब केस डायरी से कोई दस्तावेज गायब हुआ हो। पहले भी मुख़्तार ने अपनी हनक के दम पर केस डायरी जैसे प्रमुख दस्तावेज गायब कराए हैं।


19 जून को अभियोजन अधिकारी ने एक हाथ से लिखी हुई लैब रिपोर्ट की कॉपी कोर्ट में पेश की। साथ ही कोर्ट से संज्ञान लेने की अपील भी की। इस मामले में  वाराणसी के MP-MLA कोर्ट में सुनवाई के लिए 25 जुलाई की तारीख निर्धारित की गयी है।


मुख़्तार के फर्जी शस्त्र लाइसेंस का मुकदमा वर्ष 1990 से गाजीपुर जिले के सदर कोतवाली में दर्ज है। इसमें मुख़्तार (Mukhtar Ansari Cases) और शस्त्र लिपिक समेत अन्य लोगों के खिलाफ फर्जी शस्त्र लाइसेंस जारी करने समेत धोखाधड़ी और आर्म्स एक्ट में मुकदमा दर्ज किया गया था। इस केस में मुख़्तार की डिस्चार्ज एप्लीकेशन ख़ारिज हो चुकी है।


अब गवाही के बाद केस अपने अंतिम चरण में है। केस दर्ज होने के बाद अधिकारियों के हस्ताक्षर की जांच फोरेंसिक लैब लखनऊ में हुई थी। वर्ष 1993 में जांच की हाथ से लिखी रिपोर्ट फोरेंसिक रिपोर्ट केस डायरी में शामिल की गयी थी, जो कि पिछले दिनों लापता हो गई थी।


यूपी के गाजीपुर में मुख़्तार अंसारी (Mukhtar Ansari Cases) की ओर से शस्त्र लाइसेंस की पत्रावली फर्जी रूप से तैयार की गई। इसमें पुलिस अधीक्षक यानी एसपी की संस्तुति संदिग्ध पाई गई। इतना ही नहीं, तत्कालीन जिलाधिकारी आलोक रंजन ने मुख़्तार को शस्त्र लाइसेंस जारी करने से इंकार कर दिया था, जिसके बाद मुख़्तार के ओर से जिलाधिकारी का फर्जी हस्ताक्षर भी किया गया था।


मुकदमे की विवेचना के बाद मुख़्तार अंसारी और अन्य के खिलाफ धारा 467, 468 और आईपीसी धारा – 30 आयुध अधिनियम के अंतर्गत आरोप पत्र (Mukhtar Ansari Cases) प्रस्तुत किया गया था। जिसके बाद मुख़्तार अंसारी की पत्रावली विशेष न्यायालय MP-MLA में सुनवाई की जा रही है।


वर्ष 2021 में मुख़्तार अंसारी की ओर से रिलीज़ पिटीशन दाखिल की गई थी, जिसमें कहा गया था कि उनके विरुद्ध कागजों को तैयार करने के सम्बन्ध में कोई सबूत नहीं जुटाया गया है। धारा 30 आयुध अधिनियम के अंतर्गत 6 महीने की सजा का प्रावधान है। जबकि आरोप पत्र (Mukhtar Ansari Cases) उसके बाद पेश किया गया है। इसलिए उन्हें दोनों मामलों में राहत देते हुए बरी किया जाय।


वहीँ अभियोजन पक्ष ने प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए कहा कि सम्पूर्ण प्रक्रिया में अभियुक्त की सहभागिता और अपराधिक षड्यंत्र था, अपराध को पूर्णता: प्रमाणित पाया गया था। कोर्ट ने सुनवाई के बाद आरोप विचरित करने का आधार पर्याप्त पाते हुए मुख़्तार अंसारी की रिलीज़ पिटीशन ख़ारिज कर दी थी और मामले की सुनवाई  वाराणसी MP-MLA कोर्ट में शुरू कर दी।


फोरेंसिक लैब ही करती है सबूतों की जांच


देखा जाय तो, देश में जब भी कहीं अपराध होते हैं, तो उसकी तथा उसके सबूतों की जांच के लिए पुलिस फोरेंसिक डिपार्टमेंट का ही सहारा लेती है। पुलिस की ओर से जुटाए गए सबूतों को जांच के लिए फोरेंसिक लैब भेजा जाता है। मुख़्तार के खिलाफ दर्ज मामलों की फाइलों की कमी नहीं है, जिनका खुलासा फोरेंसिक जांच से ही किया गया।


मुख़्तार के पूरे कुनबे का अपराधिक इतिहास


बात मुख़्तार अंसारी (Mukhtar Ansari Cases) के सियासी सफर की करें, तो 90 के दशक में सरकार के किसी भी विभाग में अपना काम कराने के लिए मुख़्तार का नाम ही काफी था। माफिया से नेता बने मुख़्तार से आम जनमानस समेत विभाग अधिकारी भी डरते थे। वह पांच बार विधायक रहा है।  वाराणसी के अवधेश राय हत्याकांड में मुख़्तार अंसारी को MP-MLA कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट का यह फैसला हत्याकांड के 32 वर्ष बाद आया है। अवधेश राय कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय राय के भाई थे। जिनकी मुख़्तार और उसके गुर्गों ने सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी थी। मुख़्तार वर्तमान में यूपी के बांदा जेल में बंद है।


मुख़्तार की माफियागिरी में केवल वह अकेला दोषी नहीं है। मुख़्तार (Mukhtar Ansari Cases) के अपराधिक सफ़र में उसके पूरे परिवार ने उसका साथ दिया है। मुख़्तार के कुनबे में सबसे पहले उसकी पत्नी अफशां अंसारी का नाम आता है। जिसे यूपी पुलिस ने महिला माफियाओं की लिस्ट में फर्स्ट पोजीशन पर रखा है। माना जा रहा है कि जेल में बंद मुख़्तार के साम्राज्य को अफशां अंसारी ही चला रही है। उसके उपर पुलिस ने 75 हजार रुपए का ईनाम रखा है।


मुख़्तार (Mukhtar Ansari Cases) का बड़ा बेटा अब्बास अंसारी वर्तमान में कासगंज जेल में बंद है। वह भी वर्तमान में बीजेपी से गठबंधन पार्टी सुभासपा से विधायक है। वहीं छोटा बेटा उमर अंसारी फरार है। वह भी ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा से विधायक है। मात्र 24 वर्ष की उम्र में उमर अंसारी ने पिता की बदौलत अपराध और राजनीती दोनों का सफर तय किया है। मुख़्तार (Mukhtar Ansari Cases) की बड़ी बहू और अब्बास की पत्नी निखत अंसारी बांदा जेल में बंद है।


इनके बारे में भी कहा जाता है कि इन्होने जेल को ही अपना घर बना लिया था। उसके ऊपर भी अपने पति के गुनाहों में साथ देने के आरोप हैं। मुख़्तार के भाई अफजाल अंसारी ने ने भी अपने भाई के गुनाहों में पूरा साथ दिया। उसे लोग दूसरा मुख़्तार कहकर बुलाने लगे थे। अफजल वर्तमान में गाजीपुर जेल में बंद है।


ये भी पढ़ें...

img

भारत का Super Natwarlal, जिसने जज की कुर्सी पर बैठकर 2270 अपराधियों को दी जमानत, मजिस्ट्रेट के नाम लेटर टाइप पर भेजा छुट्टी पर, हैरान कर देने वाले कारनामे

भारत में ‘सुपर नटवरलाल’ और ‘इंडियन चार्ल्स शोभराज’ के नाम से कुख्यात धनीराम मित्तल की 85 साल की उम्र में हार्ट अटैक से मौत हो गई। वह भारत के सबसे विद्वान और बुद्धिमान अपराधियों के रूप में जाना जाता था। कानून में स्नातक की डिग्री लेने और हैंडराइटिंग एक्सपर्ट एवं ग्रॉफोलॉजिस्ट होने के बावजूद उसने चोरी

img

यूपी-बिहार बॉर्डर पर सपा बसपा सरकारों में भी होती थी वसूली, भाजपा सरकार में प्रतिदिन 10-15 लाख का टारगेट, आखिर किसने दिया वसूली का 'टेंडर'

पहले वसूली को लेकर पूछताछ शुरू हुई। इसके बाद दलालो को कुछ समझ में आया तो वह धीरे-धीरे खिसकने लगे। फिर धर पकड़ शुरू हो गई। इस दौरान दो पुलिस कर्मियों के अलावा 16 दलाल वसूली करते हुए पकड़े गये। तत्पश्चात एडीजी जोन सभी दलालों एवं पुलिस कर्मियों को लेकर नरही थाना पर पहुंचे और थानाध्यक्ष पन्नेलाल से पूछताछ

img

वाराणसी के अंकित यादव ने जरायम की दुनिया में बनाया था अपना वर्चस्व, पुलिस ने रखा था एक लाख का ईनाम, सपा से बगावत कर थामा था भाजपा का दामन

एसटीएफ के डिप्टी एसपी शैलेश प्रताप सिंह इस मामले की जांच कर रहे थे। सबूतों व गिरफ्तार अन्य अभियुक्तों से पूछताछ में पता चला कि अंकित यादव एक मनबढ किस्म का दबंग अपराधी है। इसने अपने क्षेत्र के कुछ मनबढ किस्म के लडको का एक गैंग बनाया है। यह गैंग आस-पास को लोगों से वसूली आदि का काम करता है। आस-पास के ल

Latest News

Latest News