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भारत का Super Natwarlal, जिसने जज की कुर्सी पर बैठकर 2270 अपराधियों को दी जमानत, मजिस्ट्रेट के नाम लेटर टाइप पर भेजा छुट्टी पर, हैरान कर देने वाले कारनामे
Super Natwarlal: नटवरलाल सुना है? भारत में नटवरलाल यानी सबसे बड़ा ठग कहा जाता है। लेकिन आज हम आपको भारत के सुपर नटवरलाल के बारे में बताएंगे, जिसकी कहानी जानकर आप भी दंग रह जाएंगे।
भारत में ‘सुपर नटवरलाल’ और ‘इंडियन चार्ल्स शोभराज’ के नाम से कुख्यात धनीराम मित्तल की 85 साल की उम्र में हार्ट अटैक से मौत हो गई। वह भारत के सबसे विद्वान और बुद्धिमान अपराधियों के रूप में जाना जाता था। कानून में स्नातक की डिग्री लेने और हैंडराइटिंग एक्सपर्ट एवं ग्रॉफोलॉजिस्ट होने के बावजूद उसने चोरी की जरिए जिंदगी गुजारने का रास्ता चुना।
हरियाणा के भिवानी में वर्ष 1939 में जन्मे धनीराम मित्तल ने दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, चंडीगढ़ और पंजाब जैसे विभिन्न राज्यों से 1000 से अधिक कारें चुराई हैं। वह इतना शातिर था कि उसने खास तौर पर दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और आसपास के इलाकों में दिन के उजाले में चोरियों को अंजाम दिया। बताया जाता है कि वह किसी भी राइटिंग की हूबहू नकल उतारने का मास्टर था।
Super Natwarlal: अपने मुकदमों की खुद करता था पैरवी
पुलिस के मुताबिक, धनीराम पर जालसाजी के 150 मुकदमे दर्ज थे। उसने वकालत की डिग्री हासिल की थी और अपने मुकदमों की खुद ही पैरवी भी करता था। इतना ही नहीं, उसने फर्जी दस्तावेजों के जरिए रेलवे में नौकरी भी हासिल कर ली थी। उसने वर्ष 1968 से 74 के बीच स्टेशन मास्टर के पद पर काम किया। हद तो तब हो गई जब उसने फर्जी चिट्ठी के सहारे जज बनकर 2270 आरोपियों को जमानत दे दी।
हाईकोर्ट के नाम से लेटर भेज जज को दी छुट्टी
यह 70 के दशक की बात है। धनीराम ने एक अखबार में झज्जर के एडिशनल जज के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश की खबर पढ़ी। इसके बाद उसने कोर्ट परिसर जाकर जानकारी ली और एक चिट्ठी टाइप कर सील बंद लिफाफे में वहां रख दिया। उसने चिट्ठी पर हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार की फर्जी स्टांप लगाकर साइन किया और विभागीय जांच वाले जज के नाम से पोस्ट कर दिया। इस लेटर में उस जज को 2 महीने की छुट्टी भेजने का आदेश था। इस फर्जी चिट्ठी को जज ने सही समझा और छुट्टी पर चले गए।
40 दिन तक मामलों का करता रहा निपटारा
इसके अगले दिन उसी अदालत में हरियाणा हाई कोर्ट के नाम से एक और सील बंद लिफाफा मिला। जिसमें उस जज के 2 महीने छुट्टी पर रहने के दौरान उनका काम देखने के लिए नए जज की नियुक्ति का आदेश था। इसके बाद धनीराम खुद ही जज बनकर कोर्ट पहुंच गया। सभी कोर्ट स्टाफ ने उसे सच में जज मान लिया। वह 40 दिन तक नकली मामलों की सुनवाई करता रहा और हजारों केस का निपटारा किया।
धनीराम ने इस दौरान 2740 आरोपियों को जमानत दे दी। माना जाता है कि धनीराम मित्तल ने फर्जी जज बनकर अपने खिलाफ केस की खुद ही सुनवाई की और खुद को बरी भी कर दिया। इससे पहले कि अधिकारी समझ पाते कि क्या हो रहा है, मित्तल पहला भाग चुका था। इसके बाद जिन अपराधियों को उसने रिहा किया या जमानत दी, उन्हें फिर से खोजा गया और जेल में डाला गया।