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यूपी-बिहार बॉर्डर पर सपा बसपा सरकारों में भी होती थी वसूली, भाजपा सरकार में प्रतिदिन 10-15 लाख का टारगेट, आखिर किसने दिया वसूली का 'टेंडर'

बलिया। उत्तर प्रदेश-बिहार की सीमा पर स्थित भरौली गोलम्बर पर आखिर किसने वसूली का ‘टेंडर’ दिया था। आखिर वह कौन लोग थे, जो बिहार की तरफ से उत्तर प्रदेश में आ रही ट्रकों से अवैध वसूली कर रहे थे। इसका खुलासा उस समय हुआ, जब एडीजी वाराणसी पीयूष मोरडिया ने बुधवार की देर रात भरौली गोम्बर पर छापेमारी की। फिल्मी अंदाज में लगभग तीन-चार गाड़ियों से एडीजी जोन भरौली गोलम्बर पहुंच गये और अपनी आंखों से वसूली का नजारा देखते रहे। इसके बाद एडीजी जोन मातहतों के साथ एक्शन में दिखे। 


पहले वसूली को लेकर पूछताछ शुरू हुई। इसके बाद दलालो को कुछ समझ में आया तो वह धीरे-धीरे खिसकने लगे। फिर धर पकड़ शुरू हो गई। इस दौरान दो पुलिस कर्मियों के अलावा 16 दलाल वसूली करते हुए पकड़े गये। तत्पश्चात एडीजी जोन सभी दलालों एवं पुलिस कर्मियों को लेकर नरही थाना पर पहुंचे और थानाध्यक्ष पन्नेलाल से पूछताछ शुरू हो गई। इस दौरान एडीजी के निर्देश पर थानाध्यक्ष का आवास सीज कर दिया गया। बड़ी कार्रवाई करने के बाद एडीजी पीयूष मोरडिया मातहतों के साथ वाराणसी के लिए रवाना हो गये।


इसके बाद गुरुवार को डीजीआई आजमगढ़ वैभव कृष्ण सादे वर्दी में प्राइवेट गाड़ी से नरही थाना पर पहुंचे। वह अपराह्न लगभग एक बजे तक नरही थाना में कार्रवाई प्रक्रिया में जुटे रहे। पत्रकारों से बातचीत करते हुए डीआईजी आजमगढ़ वैभव कृष्ण ने बताया कि एडीजी जोन वाराणसी ने छापेमारी की थी। अवैध वसूली करते समय 16 दलाल एवं दो पुलिस कर्मी हिरासत में लिये गये हैं। इनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। इसके बाद थानाध्यक्ष पन्नेलाल एवं चौकी प्रभारी कोरंटाडीह सहित कई पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया। पूरे मामले की जांच चल रही है।


अब तक के इतिहास में नहीं हुई थी इतनी बड़ी कार्रवाई


उत्तर प्रदेश के बलिया जिले का नरही थाना हमेशा राजनैतिक सुर्खियों में रहा है। सपा एवं बसपा सरकारों में नरही थाना पर थानाध्यक्ष की तैनाती के लिए बड़े से बड़े नेताओं की पैरवी होती थी। इसके पीछे वसूली एक मायने रखती थी। क्योकि जिले का नरही थाना मलाईदार थाना के रूप में शुमार करता है। इस थाना पर पुलिस अधीक्षक की भी नजर रहती है। यह थाना जिले के 22 थानों में एक अनोखा थाना है। उत्तर प्रदेश-बिहार सीमा के सुरक्षा की जिम्मेदारी नरही थाना क्षेत्र में आती है, लेकिन यहां सीमा सुरक्षा कम, वसूली पर ज्यादा फोकस किया जाता है। 


कई इंस्पेक्टर जिले के नरही थाना पर तैनाती को उत्सुक रहते है। जिसका जुगाड़ रहता है, उसी को यहां तैनाती मिलती है। भाजपा सरकार में भी वसूली बंद नहीं हुई। इसकी शिकायत शासन तक पहुंचती रही। बुधवार को एडीजी की छापेमारी के बाद बलिया समेत पूरे यूपी में चर्चा यह हो रही है कि अब तक के इतिहास में इतनी बड़ी पुलिसिया कार्रवाई नहीं हुई थी। अवैध वसूली के मामले में थानाध्यक्ष, चौकी प्रभारी समेत कई पुलिस कर्मी सस्पेंड कर दिये गये। आमजन में एडीजी एवं डीआईजी की प्रशंसा हो रही है।

 


एसपी को पता नहीं और एडीजी ने मार दिया छापा


पुलिस अधीक्षक देवरंजन वर्मा को यह पता नहीं था कि उनके जिले में एडीजी जोन वाराणसी एवं डीआईजी आजमगढ़ बुधवार की देर रात छापेमारी कर रहे है। एसपी को यह तब पता चला, जब छापेमारी की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी। जब एडीजी जोन वाराणसी एवं डीआईजी आजमगढ़ नरही थाना पहुंचे तो थानाध्यक्ष फरार हो गये। गुरुवार को नरही थाना में कार्रवाई के दौरान जब डीआईजी आजमगढ़ पत्रकारों को पूरे मामले की जानकारी दे रहे थे, उस समय पुलिस अधीक्षक खामोश थे और एएसपी पीछे खड़े थे। थाना के बाहर चर्चा यह हो रही थी कि जो काम बलिया के पुलिस अधीक्षक को करना चाहिए, वह काम एडीजी वाराणसी एवं डीआईजी आजमगढ़ को करना पड़ा। 


सादे वर्दी में बलिया पहुंचे एडीजी एवं डीआईजी


भरौली गोलम्बर पर छापेमारी करने के लिए एडीजी जोन वाराणसी एवं डीआईजी आजमगढ़ सादे वर्दी में प्राइवेट वाहन से बलिया पहुंचे। इसको लेकर पुलिस महकमे में हड़कंप मचा रहा। चर्चा यह होती रही कि काश, अन्य थानों पर भी इसी अंदाज में छापामारी होता तो पुलिस की अवैध वसूली पर विराम लग जाता।

 


भरौली में पुलिस लाइन से मंगाया था बंदी वाहन


छापेमारी से पहले एडीजी जोन वाराणसी एवं डीआईजी आजमगढ़ ने पुलिस लाइन से बंदी वाहन भरौली मंगवा लिया था। छापामारी के बाद बंदी वाहन से ही पकड़े गये दलालों एवं पुलिस कर्मियों को नरही थाना पर लाया गया।


छापेमारी के दौरान आवास में सो रहे थे थानेदार


नरही थानाध्यक्ष पन्नेलाल को यह जानकारी नहीं थी कि उनके थाना क्षेत्र के भरौली में एडीजी जोन वाराणसी एवं डीआईजी आजमगढ़ छापेमारी करने पहुंचे है। उनको यह तब पता चला जब छापेमारी के दौरान किसी ने फोन करके थानाध्यक्ष को जानकारी दी। थानाध्यक्ष काफी बेचैन थी। उनकी बेचैनी ऐसी थी कि उन्हें थाना छोड़कर भागना पड़ा। इसके बाद एडीजी जोन वाराणसी एवं डीआईजी आजमगढ़ के निर्देश पर थानाध्यक्ष पन्नेलाल का आवास सीज कर दिया गया। 


नया पुल बनने से बढ़ गई वसूली


भरौली-बक्सर के बीच बने पुल की हालत जर्जर होने के कारण 2014 में पुल से भारी वाहनों के आवागमन पर रोक लगा दी गई थी। यही नहीं, भरौली में दर्जनों ट्रांसपोर्ट भी बंद हो गये। इसके 17 मई 2023 को जब गंगा पर नया पुल बनकर तैयार हुआ तो ट्रकों के आवागमन की संख्या बढ़ गई। 


इसके बाद ट्रकों से बड़े पैमाने पर वसूली होने लगी। हालांकि, इसकी शिकायत विपक्षी दलों के नेताओं ने की थी। बावजूद इसके वसूली पर विराम नहीं लगा। लाल बालू, पशु तस्करी, शराब तस्करी का खेल हो रहा था।


विधायक ने सदन में उठाया था मामला


फेफना विधानसभा के विधायक एवं सपा जिलाध्यक्ष संग्राम सिंह यादव ने विगत् दिनों विधानसभा में नरही थाना के अवैध वसूली का मुद्दा उठाया था। उन्होंने नरही पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए जांच कर कार्रवाई की मांग किया था। 


पूर्व में कई बार हो चुकी है मारपीट


मलाईदार थानों में शुमार नरही थाना फिर एक बार चर्चा का विषय बन गया है। वसूली को लेकर भरौली पुलिस पिकेट पर कई बार मारपीट भी हुई है, लेकिन पहली बार पुलिस महकमा द्वारा इतनी बड़ी कार्रवाई की गई है। बक्सर-भरौली को जोड़ने वाला वीर कुंवर सिंह सेतु 12 मई 2014 को जर्जर होने के बाद जब बंद हुआ तो नरही थाने की अवैध वसूली में कमी आ गई। 


भरौली में स्थापित दर्जनों ट्रांसपोर्ट बंद हो गये। 17 मई 2023 को जब नया पुल चालू हुआ तो पुल से आने-जाने वाले ट्रकों की संख्या हजारों में हो गई, जहां पिकेट पर तीन पुलिस कर्मी हुआ करते थे। उनकी संख्या एक दर्जन हो गई। ट्रकों से वसूली के लिए चार दर्जन से अधिक प्राइवेट आदमी लग गये। प्रति ट्रक पांच सौ रूपया लेते थे और पुलिस को चार सौ रूपया देते थे। इसके अलावा भरौली से बिहार जाने वाले मवेशियों, शराब तस्करी, अवैध खनन जैसे कामों में भी पुलिस मोटी रकम लेती थी। 


एक हजार ट्रकों से होती थी वसूली


डीआईजी आजमगढ़ वैभव कृष्ण ने पत्रकार वार्ता में कहा कि एक हजार ट्रक से वसूली होती थी। यदि एक हजार ट्रक को भी माना जाए तो पांच लाख रूपया हो रहा है, जबकि ट्रकें दो हजार से अधिक जाती है। इधर, बिहार में लाल बालू खनन बंद होने से ट्रकों की संख्या में कमी आई है, जबकि गोवध तस्करी शराब तस्करी और अवैध खनन को जोड़ दिया जाए तो हर रोज दस से पंद्रह लाख की अवैध वसूली हो रही थी।


कुछ लोगों ने उठाया फायदा


भरौली गोलम्बर पर एडीजी जोन वाराणसी के छापेमारी कर चले जाने के एक घंटे बाद अवैध वसूली करने वाले कुछ लोग मौके का फायदा उठाते हुए गोलम्बर के आस-पास घंटों तक ट्रकों से वसूली करते रहे। जब कुछ लोगों ने एतराज किया, तब जाकर वसूली बंद हुई।


गोलम्बर पर जाने पर लगे ग्रामीण


भरौली गोलम्बर स्थित पुलिस पिकेट पर एडीजी जोन वाराणसी की छापामारी एवं वसूली करने वालों की पिटाई की जानकारी भरौली गांव में पहुंची तो दर्जनों ग्रामीण गोलम्बर पर पहुंच गए, लेकिन भागने वाले एक सिपाही ने ग्रामीणों को वहां से भागने के लिए बोल दिया और बड़ी अनहोनी होने से बच गई।


ट्रक चालकों को हो गई थी जानकारी


भरौली गोलम्बर पर पुलिस पिकेट पर वसूली बंद होने की जानकारी गुरुवार को दोपहर तक अधिकांश ट्रक वालों को हो गई। इसके बाद ट्रक वाले भरौली गोलम्बर पर गाड़ी का ब्रेक लगाना ही कम कर दिया है। दिन भर भरौली गोलम्बर पर पकड़े गए बाउंसरों की चर्चा जोरों पर रही। 

 


सब इंस्पेक्टर को दी थी थाने की कमान


छापामारी के बाद अब सवाल यह उठने लगा कि थानाध्यक्ष नरही पन्नेलाल इंस्पेक्टर रैंक के नहीं है। सब इंस्पेक्टर के पद पर रहने के बाद भी उन्हें थानाध्यक्ष बनाया गया था। उनकी पोस्टिंग 22 अगस्त 2022 को हुई थी।


लगभग 23 माह तक पन्नेलाल नरही थानाध्यक्ष बने रहे। इनके बारे में कहा जाता है कि वह आस-पास के थानेदारों एवं चौकी प्रभारियों के साथ बैठकबाजी भी करते थे। सूत्र यह बता रहे है कि इनके पास तीन से चार लग्जरी गाड़ियां भी थी, जिसे बदल-बदलकर चलते थे।


छापामारी की सूचना के बाद थानाध्यक्ष नरही पन्नेलाल अपने आवास में रखे सामानों को लेकर निजी वाहन से फरार हो गये। इसके बाद उनके आवास को सीज कर दिया गया। वैसे, चर्चा हो रही है कि थानाध्यक्ष नरही पन्नेलाल भले ही सब इंस्पेक्टर रैंक के थे, लेकिन पुलिस अधिकारियों की कृपा से वह सब इंस्पेक्टर के पद से थानेदारी चलाते रहे, जबकि पुलिस लाइन में प्रतीक्षारत कई इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी है। उनको थाने की कमान नहीं मिल पा रही है। या तो वह जुगाड़ में पीछे रह गये अथवा जी हूजुरी में। अभी भी कुछ ऐसे थाने है, जहां सब इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी ही थाना चला रहे है। पुलिस हेड क्वार्टर का सख्त निर्देश है कि इंस्पेक्टर रैंक के लोग ही थाना चलायेंगे। 


एडीजी ने दो एवं डीआईजी ने बनायी थी तीन टीमें


नरही थाना क्षेत्र के भरौली में अवैध वसूली की शिकायत पर हुई छापेमारी में यह जानकारी मिली कि एडीजी जोन वाराणसी पीयूष मोरडिया ने दो तथा डीआईजी आजमगढ़ वैभव कृष्ण ने तीन टीमें गठित की थी। कुल पांच टीमों ने बुधवार की रात्रि दो बजे छापेमारी की। घेराबंदी करके पांचों टीमों ने मौके से कुल 18 लोगों को हिरासत में लिया। इसमें 16 दलाल एवं दो पुलिस कर्मी शामिल थे। कुल 23 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। 


इसमें पांच पुलिस कर्मी, एक थानाध्यक्ष एवं एक चौकी प्रभारी शामिल है। डीआईजी आफिस में इंस्पेक्टर सुशील कुमार के द्वारा जो मुकदमा कायम कराया है, उसमें सिपाही हरिदयाल भरौली एवं सतीश गुप्त कोरंटाडीह पुलिस चौकी शामिल है। इसके अलावा हेकां. विष्णु यादव, दीपक मिश्र, बलराम यादव, चौकी प्रभारी राजेश कुमार, थानाध्यक्ष पन्नेलाल के खिलाफ मुकदमा कायम किया गया है।


करोड़ों की वसूली की हो रही चर्चा


नरही थानाध्यक्ष पन्नेलाल के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है। अब क्षेत्र में चर्चा यह हो रही है कि लगभग 23 माह से पन्नेलाल नरही थानाध्यक्ष थे और पशु तस्करी, बालू एवं अवैध शराब की वसूली से प्रतिदिन लाखों रुपये की कमाई होती थी। ऐसे में देखा जाय तो अब तक करोड़ों रुपये की कमाई हो चुकी है। 


अब छापेमारी के बाद बेहिचक ट्रकों का आवागमन शुरू हो चुका है। एडीजी जोन एवं डीआईजी के खौफ से पुलिस महकमे में हड़कंच मचा है, वहीं भरौली गोलम्बर पर बिना वसूली के ट्रकों का आवागमन शुरू हो चुका है। वैसे तो नरही थाना की वसूली नई नहीं, बल्कि बहुत पुरानी है। इसलिए इस थाना को मलाईदार थाना के रूप में माना जाता है।

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