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मिथुन चक्रवर्ती को मिलेगा 2024 का दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड, कभी नक्सली थे मिथुन दा, चार दशक तक बॉलीवुड इंडस्ट्री पर किया राज, डिस्को डांसर से मिली पहचान

नई दिल्ली। इस साल का प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड मिथुन चक्रवर्ती को दिया जाएगा। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 30 सितंबर को इसकी औपचारिक घोषणा की। 8 अक्टूबर को 70वीं नेशनल फिल्म अवॉर्ड सेरेमनी में मिथुन को यह सम्मान प्रदान किया जाएगा। मिथुन के सिनेमाई करियर ने चार दशकों तक भारतीय सिनेमा को एक नई दिशा दी है, और उन्हें उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए यह प्रतिष्ठित पुरस्कार दिया जाएगा।  


अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, "मिथुन दा की अद्वितीय सिनेमाई यात्रा कई पीढ़ियों को प्रेरित करती है। उनके भारतीय सिनेमा में दिए गए अद्वितीय योगदान के लिए उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा, यह घोषणा करते हुए मुझे गर्व हो रहा है।" 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मिथुन को इस सम्मान पर बधाई दी। उन्होंने अपने संदेश में लिखा, "यह देखकर खुशी हो रही है कि मिथुन चक्रवर्ती को भारतीय सिनेमा में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया जा रहा है।"

 


एक साधारण शुरुआत से सितारा बनने तक का सफर 


16 जून 1950 को कोलकाता में जन्मे मिथुन चक्रवर्ती का असली नाम गौरांग चक्रवर्ती है। उन्होंने केमिस्ट्री में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की थी, लेकिन उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा। ग्रेजुएशन के बाद मिथुन नक्सली आंदोलन से जुड़ गए और एक कट्टर नक्सली बन गए। हालांकि, उनके छोटे भाई की एक दुर्घटना में मौत हो गई, जिससे मिथुन ने आंदोलन से किनारा कर अपने परिवार की जिम्मेदारी संभालने का फैसला किया। नक्सलवाद से नाता तोड़ना मिथुन के लिए जानलेवा साबित हो सकता था, फिर भी उन्होंने इस रास्ते को चुना और अपने परिवार के पास लौट आए।

 


मिथुन की जिंदगी ने एक नया मोड़ लिया जब उनका रुझान फिल्मी दुनिया की ओर हुआ। उन्होंने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट से अभिनय की ट्रेनिंग ली और फिर काम की तलाश में मुंबई पहुंचे। यहां उन्होंने कठिन हालातों का सामना किया और कई दिन भूखे रहकर संघर्ष किया। कई महीनों तक छोटे-मोटे कामों के बाद उन्हें हेलन के असिस्टेंट के तौर पर काम करने का मौका मिला। हेलन के साथ काम करते हुए मिथुन को कुछ फिल्मों में छोटे-मोटे रोल मिलने लगे, जिनमें अमिताभ बच्चन की फिल्म दो अनजाने भी शामिल थी। इसी दौरान उन्हें फिल्मों में बॉडी डबल का काम भी करना पड़ा।

 


मृगया से मिली पहचान 


मिथुन की किस्मत तब चमकी जब प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक मृणाल सेन ने उन्हें एक कॉलेज में लड़कियों के साथ मस्ती करते हुए देखा। उनकी निडरता और आत्मविश्वास से प्रभावित होकर मृणाल सेन ने मिथुन को अपनी फिल्म मृगया में मुख्य भूमिका के लिए चुन लिया। यह 1976 की एक आर्ट फिल्म थी, जिसने मिथुन के करियर को एक नई दिशा दी।

 

 

अपनी पहली ही फिल्म के लिए मिथुन को बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिला। यह उपलब्धि उन्हें अन्य अभिनेताओं से अलग खड़ा करती है, क्योंकि अपनी पहली ही फिल्म से बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड हासिल करना किसी भी अभिनेता के लिए एक अद्वितीय सम्मान है। इसके बाद, उन्हें 1993 की फिल्म तहादेर कथा और 1996 की फिल्म स्वामी विवेकानंद के लिए भी नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।

 


डिस्को डांसर से मिली शोहरत 


1982 में आई फिल्म डिस्को डांसर ने मिथुन को नई पहचान दी। इस फिल्म ने हिंदी सिनेमा में एक अलग पहचान बनाई और यह पहली ऐसी फिल्म थी जिसने 100 करोड़ का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन किया। खास बात यह थी कि फिल्म का अधिकांश कलेक्शन सोवियत यूनियन से आया था। मिथुन एक प्रशिक्षित डांसर नहीं थे, लेकिन फिल्म की जरूरत के अनुसार उन्होंने जो डांस किया, वह पूरी दुनिया में फेमस हो गया। उनके डांस स्टेप्स ने पूरे देश में धूम मचा दी। 

 

फिल्मों का सुनहरा दौर 


मिथुन चक्रवर्ती के करियर का सुनहरा दौर 80 और 90 के दशक में आया, जब उन्होंने एक के बाद एक हिट फिल्में दीं। उन्होंने हिंदी, बंगाली, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, ओडिया और भोजपुरी फिल्मों में काम किया। उनका फिल्मी करियर चार दशकों से अधिक का रहा है, और इस दौरान उन्होंने 350 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया। मिथुन अपने समय के सबसे ज्यादा कमाई करने वाले अभिनेताओं में से एक थे। 1989 में उनकी 19 फिल्में रिलीज हुई थीं, जिनमें उन्होंने मुख्य भूमिका निभाई थी। इस रिकॉर्ड को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है, और आज तक कोई भी अभिनेता इस रिकॉर्ड को तोड़ नहीं पाया है। 

 


हाल के वर्षों में भी सक्रिय 


मिथुन चक्रवर्ती का फिल्मी करियर समय के साथ बदलता रहा, लेकिन उनका जोश कभी कम नहीं हुआ। जनवरी 2024 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 2022 में उनकी हिंदी फिल्म द कश्मीर फाइल्स ने एक बार फिर से उनकी अभिनय की काबिलियत को साबित किया। इसके अलावा, उन्होंने बंगाली फिल्मों प्रजापति और काबुलीवाला में भी काम किया। 

 

बीते साल वहीदा रहमान को मिला था यह सम्मान
 

2023 में वेटरन अभिनेत्री वहीदा रहमान को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। वे यह पुरस्कार पाने वाली आठवीं महिला थीं। उनसे पहले यह पुरस्कार देविका रानी, रूबी मेयर्स, कानन देवी, दुर्गा खोटे, लता मंगेशकर, आशा भोसले और आशा पारेख को दिया जा चुका है। 


मिथुन चक्रवर्ती का जीवन संघर्षों से भरा रहा है, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत, समर्पण और अभिनय कौशल से भारतीय सिनेमा में एक अमिट छाप छोड़ी है। दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित होने के साथ ही उनकी उपलब्धियों की सूची में एक और बड़ा सम्मान जुड़ जाएगा, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बना रहेगा।

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