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यूपी में माफियाओं से रिश्ते बढ़ा रहा लॉरेंस बिश्नोई गैंग: कई स्लीपिंग मॉड्यूल कर रहा एक्टिव, अलर्ट पर सुरक्षा एजेंसियां
लखनऊ। बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद उत्तर प्रदेश में लॉरेंस बिश्नोई गैंग की गतिविधियों को लेकर सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। बिश्नोई गैंग के स्लीपिंग मॉड्यूल की खोज जारी है, और यह पता लगाया जा रहा है कि किस प्रकार से यह गैंग यूपी में अपनी जड़ें फैला रहा है। हाल के महीनों में बिश्नोई का नाम राज्य में कई संगठित अपराधों से जुड़ा है, जिसने सुरक्षा एजेंसियों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है।
2022 विस चुनाव के समय यूपी में लॉरेंस बिश्नोई का नाम आया था सामने
लॉरेंस बिश्नोई का नाम यूपी में पहली बार तब प्रमुखता से सामने आया था, जब 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अभय सिंह पर हमला हुआ था। उस समय इसे राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का परिणाम माना जा रहा था, लेकिन बाद में अभय सिंह ने दावा किया कि उनकी जान को लॉरेंस बिश्नोई से खतरा है। उन्होंने पूर्वांचल के एक कुख्यात माफिया पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह बिश्नोई के जरिए उनकी हत्या कराना चाहता है। यह खुलासा राज्य में लॉरेंस बिश्नोई की बढ़ती सक्रियता को उजागर करता है।
अभय सिंह के आरोपों के बाद यह भी संदेह जताया जाने लगा कि बिश्नोई यूपी के माफिया से हाथ मिला रहा है। पूर्व में भुल्लर के जरिए मुख्तार अंसारी के साथ बिश्नोई के संबंधों की खबरें आई थीं, और अब अभय सिंह के आरोपों ने इस कयास को और मजबूत कर दिया कि लॉरेंस बिश्नोई यूपी के माफिया तंत्र के जरिए अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है।
सुरक्षा एजेंसियों की नजर में बिश्नोई का नेटवर्क
जब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने लॉरेंस बिश्नोई से पूछताछ की थी, तब उसने अयोध्या के विकास सिंह देवगढ़ का नाम लिया था। विकास सिंह को बिश्नोई का करीबी सहयोगी माना जाता है, और उसकी गिरफ्तारी के बाद पता चला कि वह अयोध्या और उसके आसपास के क्षेत्रों में बिश्नोई के लिए पनाहगाह का काम कर रहा था। विकास सिंह के माध्यम से लॉरेंस बिश्नोई ने अयोध्या के आस-पास एक विस्तृत नेटवर्क तैयार कर लिया है।
इसके अलावा, बिश्नोई के बारे में यह भी कहा जा रहा है कि वह नेपाल में अपने शूटरों को ट्रेनिंग दिलवा रहा है, और पूर्वी उत्तर प्रदेश उसके लिए एक सुरक्षित ठिकाना बन सकता है। यूपी के अलावा राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में भी लॉरेंस बिश्नोई अपना नेटवर्क फैला रहा है।
मिस्ट्री बने यूपी के कई केस
लॉरेंस बिश्नोई के यूपी में सक्रिय होने की संभावना पर चर्चा तब और बढ़ गई, जब प्रयागराज में अतीक-अशरफ की हत्या और लखनऊ में माफिया जीवा की अदालत के अंदर हत्या जैसी घटनाओं में बिश्नोई का नाम सामने आया। बाबा सिद्दीकी की हत्या के पीछे भी यूपी का कनेक्शन होने के संकेत मिल रहे हैं।
ऐसे कई संगीन अपराधों में लॉरेंस बिश्नोई की संलिप्तता की आशंका जताई जा रही है। अतीक-अशरफ की हत्या के दौरान पकड़े गए शूटर मूल रूप से प्रतापगढ़ के थे, जिससे यह संकेत मिला कि बिश्नोई के स्लीपिंग मॉड्यूल राज्य के अलग-अलग हिस्सों में सक्रिय हो सकते हैं। एक ओर अयोध्या से बहराइच और दूसरी ओर प्रतापगढ़ से प्रयागराज तक बिश्नोई गैंग की चर्चा जोरों पर है।
साबरमती जेल में बंद है लॉरेंस बिश्नोई
लॉरेंस बिश्नोई, जो पिछले डेढ़ साल से गुजरात की अहमदाबाद स्थित साबरमती जेल के हाई सिक्योरिटी जोन में बंद है, उस पर कई राज्यों की सुरक्षा एजेंसियों की नजर है। यूपी के कुख्यात गैंगस्टर अतीक अहमद ने भी इसी जेल में रहते हुए एक शख्स की हत्या करवाई थी, जिसका वीडियो बाद में यूपी पुलिस की जांच में सामने आया था। यह मामला तब इतना बढ़ गया था कि अतीक अहमद को साबरमती जेल से यूपी लाया गया था, और बाद में उसकी हत्या हो गई थी।
लॉरेंस बिश्नोई को फिलहाल किसी भी अन्य राज्य की पुलिस रिमांड पर नहीं ले सकती है। इसका कारण केंद्रीय गृह मंत्रालय का वह आदेश है, जो साबरमती जेल से बिश्नोई को शिफ्ट करने पर रोक लगाता है। यह आदेश अगस्त 2024 तक प्रभावी था, जिसे बाद में बढ़ा दिया गया। लॉरेंस को सीमा पार से ड्रग्स की तस्करी के आरोप में तिहाड़ से साबरमती जेल शिफ्ट किया गया था, और तब से वह वहीं बंद है।
विधायक अभय सिंह के आरोप
समाजवादी पार्टी के विधायक (अब बागी) अभय सिंह का कहना है कि लॉरेंस बिश्नोई का यूपी में सबसे पुराना संबंध पूर्वांचल के एक माफिया से है। अभय सिंह ने आरोप लगाया था कि 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान उनके काफिले पर हुए हमले में बिश्नोई के गुर्गों का हाथ था। उन्होंने यह भी दावा किया कि विकास सिंह के यहां कौन-कौन आता-जाता था, इसका पता लगाया जाना चाहिए, और जांच एजेंसियों को इस पर गहराई से ध्यान देना चाहिए।
अभय सिंह की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार ने उन्हें Y कैटेगरी की सुरक्षा प्रदान की है, जो उनके ऊपर मंडराते खतरे की गंभीरता को दर्शाता है।
यूपी के पूर्व डीजीपी की राय
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी एके जैन का कहना है कि यूपी में कई बड़े अपराध अब भी मिस्ट्री बने हुए हैं। चाहे लखनऊ के गोमतीनगर में अजीत सिंह की हत्या हो, अतीक-अशरफ की हत्या का मामला हो, या अदालत के अंदर माफिया जीवा की हत्या—इन सभी मामलों में लॉरेंस बिश्नोई के संबंध की जांच की जानी चाहिए। हालांकि, अभी तक बिश्नोई के गुर्गों की यूपी में मौजूदगी के कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं, लेकिन इन घटनाओं में बार-बार बिश्नोई का नाम सामने आने से शक की सूई उसकी ओर जाती है।
लॉरेंस बिश्नोई का उत्तर प्रदेश में बढ़ता प्रभाव और उसकी गैंग की स्लीपिंग मॉड्यूल की सक्रियता सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर चुनौती बनती जा रही है। यूपी में कई मिस्ट्री बने मामलों के पीछे बिश्नोई का हाथ होने की संभावना ने राज्य में अपराध और माफिया की सियासत को और भी उलझा दिया है। अब देखना यह है कि सुरक्षा एजेंसियां इस चुनौती से कैसे निपटती हैं और बिश्नोई गैंग की जड़ें कितनी गहरी हो चुकी हैं।