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Pitru Paksh 2024: मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है? कैसे आत्मा पहुंची है यमलोक? जानिए, क्या कहता है गरुड़ पुराण...

Pitru Paksh 2024: पितृपक्ष कल से शुरू हो चुका है। लोग अपने पितरों के अतृप्त आत्मा की मुक्ति के लिए तर्पण कर रहे हैं। मोक्ष नगरी काशी में एक दिन में 20 हजार अतृप्त आत्माओं का तर्पण किया जा रहा है। घर-परिवार के मृत सदस्यों को पितर देव कहते हैं। किसी व्यक्ति के मरने के बाद उसकी आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में धर्म-कर्म किया जातl है।

 


मरने के बाद व्यक्ति की आत्मा के साथ क्या-क्या होता है, कैसे आत्मा यमलोक पहुंचती है, आत्मा को यमलोक पहुंचने में कितने दिन लगते हैं। आज हम इन्हीं बातों को जानेंगे। गरुड़ पुराण में इसके बारे में विस्तार से बताया गया है।


गरुड़ पुराण हिंदू धर्म के 18 महापुराणों में से एक महत्वपूर्ण पुराण है, जिसमें मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा और उसके कर्मों के आधार पर उसके पुनर्जन्म और मोक्ष के बारे में विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है। इसे मृत्यु, आत्मा, और धर्म से संबंधित विषयों पर एक मार्गदर्शक के रूप में देखा जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, आत्मा की यात्रा और उसके साथ होने वाली घटनाओं को समझने के लिए हमें इसके विभिन्न पहलुओं को समझना होगा।

 


आत्मा की प्रकृति


गरुड़ पुराण के अनुसार, आत्मा अमर, अविनाशी और शाश्वत है। यह शरीर के नष्ट होने के बाद भी बनी रहती है। आत्मा का मूल स्वभाव शुद्ध, निराकार और निराकार परमात्मा के समान होता है। जब व्यक्ति का शरीर नष्ट हो जाता है, तो आत्मा उससे मुक्त होकर एक नई यात्रा पर निकलती है। यह यात्रा कर्मों पर आधारित होती है, यानी व्यक्ति के जीवन में किए गए अच्छे और बुरे कर्म आत्मा की दिशा तय करते हैं।


मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा


गरुड़ पुराण में आत्मा की मृत्यु के बाद की यात्रा को बहुत विस्तार से बताया गया है। जब व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो आत्मा उसके शरीर से बाहर निकलती है। इसे "जीवात्मा" कहा जाता है। इस जीवात्मा को धर्मराज (यमराज) के दूत पकड़ लेते हैं और यमलोक (धर्मराज का निवास स्थान) की ओर ले जाते हैं। यमलोक की यह यात्रा 13 दिनों की होती है, और इस दौरान आत्मा को अनेक कठिनाइयों और कष्टों का सामना करना पड़ता है, जो उसके जीवन के बुरे कर्मों के अनुसार होते हैं।

 


यमलोक की यात्रा


गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मृत्यु के बाद आत्मा को यमलोक की यात्रा करनी पड़ती है। इस यात्रा में आत्मा को अनेक प्रकार की यातनाओं का सामना करना पड़ता है, जो उसके पाप कर्मों का फल होती हैं। आत्मा को विभिन्न नरकों में भेजा जाता है, जहां उसे विभिन्न प्रकार की यातनाएं सहनी पड़ती हैं। उदाहरण के लिए, झूठ बोलने वालों को "रौरव" नरक में भेजा जाता है, जहां उन्हें दुष्ट प्राणियों द्वारा कष्ट दिया जाता है। इसी तरह, हत्या करने वालों को "महारा" नामक नरक में भेजा जाता है, जहां उन्हें अत्यधिक पीड़ा सहनी पड़ती है।

 


यह यात्रा बहुत ही भयावह होती है, लेकिन जो व्यक्ति अपने जीवन में धर्म, सत्य और पुण्य कर्म करता है, उसकी आत्मा को कम कष्ट सहने पड़ते हैं। इसके अलावा, गरुड़ पुराण में इस बात का भी उल्लेख है कि यदि मृत्यु के बाद मृतक के परिवारजन धार्मिक कर्मकांड जैसे श्राद्ध और तर्पण आदि करते हैं, तो आत्मा को यमलोक की इस यात्रा में सहायता मिलती है और उसे कम कष्ट उठाने पड़ते हैं।


कर्मों के आधार पर न्याय


यमलोक में पहुंचने के बाद, आत्मा को धर्मराज (यमराज) के सामने उपस्थित किया जाता है। धर्मराज उस आत्मा के जीवन के सभी कर्मों का लेखा-जोखा देखते हैं और उसके आधार पर उसे स्वर्ग या नरक का फल देते हैं। गरुड़ पुराण में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि हर आत्मा को उसके कर्मों के अनुसार न्याय प्राप्त होता है। जो व्यक्ति धर्म, सत्य और परोपकार के मार्ग पर चला होता है, उसे स्वर्ग में स्थान मिलता है। वहीं, जो व्यक्ति पाप और अधर्म के रास्ते पर चलता है, उसे नरक में भेजा जाता है, जहां उसे अपने पापों का दंड भुगतना पड़ता है।

 


पुनर्जन्म की प्रक्रिया


गरुड़ पुराण के अनुसार, आत्मा को नरक या स्वर्ग में मिलने वाले फलों के आधार पर पुनर्जन्म मिलता है। यदि आत्मा ने अपने पिछले जन्म में अच्छे कर्म किए होते हैं, तो उसे अच्छे परिवार और सुख-सुविधाओं से युक्त जीवन मिलता है। वहीं, पापी आत्माओं को निचले योनियों में जन्म मिलता है, जैसे कि कीड़े, जानवर या फिर किसी दुष्कर परिस्थिति में जन्म लेना। पुनर्जन्म का यह चक्र तब तक चलता रहता है, जब तक आत्मा मोक्ष प्राप्त नहीं कर लेती।


कैसे मिलता है मोक्ष


गरुड़ पुराण में मोक्ष को आत्मा की अंतिम और सर्वोच्च स्थिति बताया गया है। मोक्ष का अर्थ है आत्मा का जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होना और परमात्मा में विलीन होना। आत्मा को मोक्ष प्राप्त करने के लिए अपने जीवन में धर्म, सत्य, अहिंसा और भगवान की भक्ति के मार्ग पर चलना होता है। मोक्ष प्राप्ति के बाद आत्मा को फिर से जन्म लेने की आवश्यकता नहीं होती और वह सदा के लिए परमात्मा में लीन हो जाती है।


श्राद्ध और तर्पण का महत्व


गरुड़ पुराण में मृत व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण के महत्व पर विशेष रूप से बल दिया गया है। यह माना जाता है कि जब तक श्राद्ध और तर्पण नहीं किया जाता, तब तक आत्मा को शांति नहीं मिलती और वह भटकती रहती है। श्राद्ध के माध्यम से आत्मा को भोजन और जल की व्यवस्था की जाती है, जिससे उसे शांति मिलती है और वह अपने अगले गंतव्य की ओर बढ़ सकती है। श्राद्ध कर्मकांड आत्मा के यमलोक की यात्रा को सरल बनाने में मदद करते हैं और उसे मोक्ष की दिशा में अग्रसर करते हैं।

 


नरक के प्रकार और उनके दंड


गरुड़ पुराण में नरक के विभिन्न प्रकारों का भी वर्णन किया गया है। प्रत्येक नरक आत्मा के कर्मों के अनुसार विभिन्न प्रकार की यातनाएं देने के लिए होता है। कुछ प्रमुख नरक और उनके दंड इस प्रकार हैं:


1. रौरव नरक: झूठ बोलने वालों और धोखा देने वालों को यहां भेजा जाता है, जहां उन्हें अत्यधिक पीड़ा दी जाती है।


2. महारा नरक: हत्या करने वालों को इस नरक में भेजा जाता है, जहां उन्हें क्रूर प्राणियों द्वारा लगातार कष्ट दिया जाता है।


3. तप्तकुंभ नरक: चोरी करने वाले और दूसरों का धन हड़पने वाले इस नरक में जाते हैं, जहां उन्हें उबलते तेल के कुंड में डाला जाता है।


4. कुम्भीपाक नरक: अत्याचारी और निर्दयी व्यक्तियों को इस नरक में भेजा जाता है, जहां उन्हें उबलते तेल में उबाला जाता है।


स्वर्ग और उसके सुख


स्वर्ग का वर्णन गरुड़ पुराण में एक अद्भुत और आनंदमय स्थान के रूप में किया गया है, जहां आत्माओं को उनके अच्छे कर्मों के फलस्वरूप सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं। स्वर्ग में रहने वाली आत्माओं को दिव्य भोजन, वस्त्र, और आनंद का अनुभव होता है। यह आत्माएं देवताओं और संतों के साथ समय बिताती हैं और उन्हें कोई कष्ट नहीं होता। स्वर्ग में आत्माओं को उनके कर्मों के अनुसार अलग-अलग स्तर पर रखा जाता है, और वहां का सुख अनंतकाल तक चलता है।


आत्मा की मुक्ति


आत्मा की अंतिम मुक्ति (मोक्ष) गरुड़ पुराण के प्रमुख सिद्धांतों में से एक है। आत्मा को मोक्ष प्राप्त करने के लिए अपने कर्मों को सुधारना पड़ता है, धर्म का पालन करना होता है और भगवान की भक्ति करनी होती है। जब आत्मा अपने समस्त कर्मों से मुक्त हो जाती है और केवल भगवान में विश्वास और प्रेम करती है, तभी उसे मोक्ष प्राप्त होता है। मोक्ष प्राप्त आत्मा जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाती है और सदा के लिए परमात्मा में लीन हो जाती है।


गरुड़ पुराण आत्मा की यात्रा, कर्मों के फल, नरक और स्वर्ग की अवधारणा, और मोक्ष के मार्ग पर गहन रूप से विचार करता है। यह ग्रंथ यह सिखाता है कि मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा उसके कर्मों पर आधारित होती है, और इसलिए हमें अपने जीवन में अच्छे कर्म करने चाहिए।

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