दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान पाकिस्तान से आए 186 हिंदू शरणार्थियों ने पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग किया। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) के तहत भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के बाद इन लोगों ने दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर हुए मतदान में भाग लिया।
पहली बार वोट डालने की खुशी
दिल्ली के मजनू का टीला स्थित मतदान केंद्र पर 50 वर्षीय रेशमा ने पहली बार मतदान किया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक उम्मीदवार चुनने का मौका नहीं था, बल्कि उनके परिवार के भविष्य को सुरक्षित करने का एक कदम था। इसी तरह, चंद्रमा नाम की एक महिला ने भावुक होकर कहा, "मैं 17 साल से यहां रह रही हूं, लेकिन आज पहली बार मुझे सच में हिंदुस्तान का हिस्सा महसूस हो रहा है।"
CAA के तहत मिली नागरिकता
पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी समुदाय के अध्यक्ष धर्मवीर सोलंकी ने उम्मीद जताई कि अब उनका संघर्ष कम हो जाएगा। उन्होंने कहा, "अब हमें बार-बार अपना स्थान नहीं बदलना पड़ेगा। हमें स्थायी घर और आजीविका का स्थिर साधन मिलेगा।"
शरणार्थियों को मजनू का टीला में अस्थायी आश्रय दिया गया है। वर्षों तक दिहाड़ी मजदूरी करके जीवन यापन करने वाले इन लोगों के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण था। 27 वर्षीय यशोदा भारतीय नागरिकता पाने वाली पहली पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी थीं और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का अवसर भी मिला था।
'जब मैंने बटन दबाया तो बदलाव महसूस हुआ'
फरीदाबाद से आई 23 वर्षीय मैना के लिए यह अनुभव बिल्कुल नया था। उन्होंने कहा, "जब मैं मतदान केंद्र में गई तो मुझे नहीं पता था कि वोट कैसे देना है या कौन सी पार्टी किसका प्रतिनिधित्व करती है। लेकिन जब मैंने बटन दबाया, तो मुझे अहसास हुआ कि अब मेरी भी आवाज है।"
CAA के तहत नागरिकता का रास्ता खुला
केंद्र सरकार ने 11 मार्च 2024 को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 को लागू किया था। इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का रास्ता साफ हुआ।
अब बेहतर भविष्य की उम्मीद
यशोदा और मैना जैसी शरणार्थियों को अब उम्मीद है कि उन्हें नौकरी, घर और सम्मानजनक जीवन मिलेगा। उनके लिए मतदान करना सिर्फ एक नागरिक कर्तव्य नहीं, बल्कि यह उनके भारतीय नागरिक होने की आधिकारिक पहचान थी।