सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज महाकुंभ भगदड़ मामले में सुनवाई से किया इंकार, कहा - हाईकोर्ट में याचिका दायर करें, 29 जनवरी को 30 लोगों की हुई थी मौत

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रयागराज महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए गाइडलाइन्स जारी करने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया और उत्तर प्रदेश सरकार की उस दलील को ध्यान में रखा, जिसमें कहा गया था कि इस मामले में याचिका पहले ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर की जा चुकी है।


सुप्रीम कोर्ट ने 29 जनवरी को कुंभ मेला क्षेत्र में हुई भगदड़ की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया था और कहा कि मामले में उच्च न्यायालय में सुनवाई जारी रहे। इस याचिका में देशभर में श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की अपील की गई थी।

 


महाकुंभ में भगदड़ की घटना 28 जनवरी की रात को संगम नोज इलाके में घटी। उस वक्त भारी भीड़ के कारण भगदड़ मच गई थी, जिसमें 30 लोगों की जान चली गई और 60 लोग घायल हो गए। घटना के बाद, सुप्रीम कोर्ट में विशाल तिवारी द्वारा दायर जनहित याचिका में महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर कई मांगें की गई थीं, जिनमें विभिन्न भाषाओं में साइन बोर्ड लगाए जाने, इमरजेंसी के दौरान मदद के लिए राज्य सरकारों के सुविधा केंद्र स्थापित करने और वीआईपी मूवमेंट से आम श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर ध्यान देने की बात शामिल थी।


इस हादसे के बाद मेला प्रशासन ने तुरंत उपाय किए और एम्बुलेंस की सहायता से 90 लोगों को अस्पताल पहुंचाया। अधिकारियों का कहना है कि बैरिकेड्स टूटने से भगदड़ मची, जिससे भीड़ में कुचलने की घटना घटी। इस घटना के पीछे साजिश की संभावना भी जताई जा रही है, और जांच के दौरान कुछ संदिग्ध मोबाइल फोन ट्रैक किए गए हैं, जो घटना के वक्त एक्टिव थे।

 


उत्तर प्रदेश एसटीएफ और महाकुंभ मेला पुलिस अब इस घटना की जांच साजिश के एंगल से कर रही है, और CCTV फुटेज के माध्यम से इसकी पुष्टि करने की कोशिश कर रही है।

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