Latest News
गुप्ता परिवार हत्याकांड: हरिश्चंद्र घाट पर एक साथ जली पांच चिताएं, जलती चिताएं देख छलक पड़े आंसू, शराब कारोबारी को भतीजे ने दी मुखाग्नि, पुलिस के सामने कई अनसुलझी गुत्थियां
वाराणसी में प्रमुख शराब कारोबारी राजेंद्र गुप्ता और उनके परिवार के पांच सदस्यों की हत्या के मामले ने पूरे शहर को शोक में डाल दिया है। इस मामले की गुत्थी सुलझाने में जुटी पुलिस अब तक सटीक निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई है, जबकि हर दिन नए तथ्य सामने आ रहे हैं। परिवार के सभी सदस्यों का गुरुवार को हरिश्चंद्र घाट पर अंतिम संस्कार किया गया, जहाँ पूरे क्षेत्र में भावुक और गमगीन माहौल था। इस सामूहिक हत्या में शामिल संदिग्धों की खोज जारी है और पुलिस की कई टीमें विभिन्न पहलुओं पर जांच कर रही हैं।
भावुक अंतिम संस्कार का दृश्य
राजेंद्र गुप्ता, उनकी पत्नी नीतू, और तीन बच्चों का अंतिम संस्कार वाराणसी के हरिश्चंद्र घाट पर किया गया। अंतिम संस्कार की रस्में उनके भतीजे जुगनू द्वारा पूरी की गईं, जिन्हें बाद में पुलिस हिरासत में वापस ले लिया गया। जब मीडिया ने जुगनू से बात करने की कोशिश की, तो उन्होंने हाथ जोड़कर बातचीत से इनकार कर दिया। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान घाट पर राजेंद्र के परिवार के लोग मौजूद थे। पाँच चिताओं के साथ अंतिम संस्कार के इस दृश्य ने सभी को भावुक कर दिया।
हत्या का केस दर्ज, पोस्टमॉर्टम के बाद सुरागों की तलाश
घटना के बाद पुलिस ने नीतू गुप्ता की सहेली की शिकायत के आधार पर हत्या का मामला दर्ज किया। पुलिस को केस दर्ज करने में 36 घंटे लगे और पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया 60 घंटे बाद पूरी हुई। पुलिस ने शवों का एक्स-रे भी किया, जो 24 घंटे से अधिक समय में पूरा हो सका। फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल पर जाकर सबूत जुटाए और पुलिस अब भी घटनास्थल के आसपास के हर सुराग की पड़ताल कर रही है। राजेंद्र के घर के बाहर पुलिस बल तैनात कर दिया गया है, जहाँ हर आगंतुक का नाम और संबंध पूछकर प्रवेश की अनुमति दी जा रही है।
सीसीटीवी फुटेज और संदिग्धों से पूछताछ
पुलिस ने घटना से जुड़े 200 से अधिक सीसीटीवी फुटेज खंगाले हैं और दर्जनों लोगों से पूछताछ की है, लेकिन इस जघन्य हत्याकांड के पीछे की असल वजह का अब तक कोई ठोस सुराग नहीं मिल सका है। हत्या के संदेह में राजेंद्र के भतीजे विक्की का नाम सामने आया है। पुलिस का कहना है कि इस हत्याकांड में परिवार के कुछ नज़दीकी लोग ही संलिप्त हो सकते हैं। विक्की के साथ-साथ पुलिस अन्य संदिग्धों से भी पूछताछ कर रही है।
घटना की रात क्या हुआ?
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इस हत्याकांड से एक रात पहले यानी सोमवार की रात को राजेंद्र के बेटे ने अपने मोबाइल से ऑनलाइन फूड ऑर्डर किया था और उस वक्त घर में सब कुछ सामान्य प्रतीत हो रहा था। पुलिस ने फूड डिलीवरी बॉय से भी पूछताछ की है और उसकी गवाही नोट की है। इसके अलावा, पुलिस ने राजेंद्र के भतीजे जुगनू उर्फ प्रशांत, घर में काम करने वाली नौकरानी और अन्य रिश्तेदारों से भी पूछताछ की है, लेकिन कोई पुख्ता सबूत हाथ नहीं लगा है।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में खुलासे
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में इस सामूहिक हत्या से जुड़े कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, गुप्ता परिवार के पांच सदस्यों को कुल 15 गोलियां मारी गई थीं। राजेंद्र को तीन गोली मारी गई थी; दो गोली उनकी दाईं कनपटी पर और तीसरी गोली उनके सीने पर थी। उनके बड़े बेटे नमनेंद्र को चार गोली लगी थीं, जिसमें दो सिर में और दो सीने पर। राजेंद्र की पत्नी नीतू को भी चार गोली मारी गई, जबकि बेटी गौरांगी और छोटे बेटे सुबेंद्र को दो-दो गोली मारी गई।
15 गोलियां चलाकर हुई थी हत्या
जांच के अनुसार, इस सामूहिक हत्याकांड में चार से पांच हत्यारों के शामिल होने की आशंका जताई जा रही है, जिन्होंने पिस्टल और रिवॉल्वर का इस्तेमाल किया। घटनास्थल पर 15 गोलियां चलाई गई थीं, लेकिन पुलिस को केवल तीन खोखे मिले हैं। पुलिस को संदेह है कि हत्यारों ने घटना के दौरान कीमती सामान और नकदी की भी तलाश की, क्योंकि कमरों में सामान बिखरा हुआ पाया गया था।
किराएदारों की भूमिका संदिग्ध
पुलिस को संदेह है कि भदैनी स्थित मकान में रहने वाले तीन किराएदार भी इस हत्याकांड में शामिल हो सकते हैं, क्योंकि घटना की रात के बाद से वे गायब हैं और उनके मोबाइल फोन बंद हैं। पुलिस ने उनकी तलाश शुरू कर दी है और वे भी इस मामले में एक महत्वपूर्ण कड़ी माने जा रहे हैं।
पुराने विवाद और हत्या का कनेक्शन
इस सामूहिक हत्या के पीछे पारिवारिक विवाद हो सकता है। पुलिस इस मामले में राजेंद्र के पुराने आपराधिक इतिहास को भी ध्यान में रख रही है। 1997 में राजेंद्र पर अपने छोटे भाई, उसकी पत्नी, और पिता की हत्या का आरोप भी लग चुका है, हालाँकि बाद में उन्हें बरी कर दिया गया था। इस पुराने मामले के चलते पुलिस जांच के दौरान हर पहलू को गहराई से देख रही है।
डीसीपी का बयान
काशी ज़ोन के डीसीपी गौरव बंशवाल ने बताया कि मामले की तहकीकात कई एंगल से की जा रही है। इस केस में पुलिस की कुल 10 टीमें लगी हुई हैं, जिनमें से छह टीम संदिग्धों की गिरफ्तारी पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं और चार टीम सबूतों की खोज में लगी हुई हैं।
विक्की की खोज और जांच का नया मोड़
इस हत्याकांड में नया मोड़ तब आया जब पता चला कि बेंगलुरु में नौकरी करने वाला राजेंद्र का भतीजा विक्की दीपावली के दौरान वाराणसी आया था। उसने अपनी दादी से कहा था कि वह एक विशेष काम पूरा करने के बाद ही वापस जाएगा। घटना के बाद से विक्की का मोबाइल बंद है, और पुलिस उसकी संभावित ठिकानों पर खोजबीन कर रही है।
फोरेंसिक जांच में क्या मिला
पुलिस के अनुसार, घटना स्थल पर किसी प्रकार की घुसपैठ के निशान नहीं मिले हैं, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि अपराधियों ने बिना किसी संघर्ष के वारदात को अंजाम दिया। इसके अलावा, पुलिस ने फोरेंसिक सबूत भी इकट्ठे किए हैं, जिनका परीक्षण किया जा रहा है। फोरेंसिक रिपोर्ट में यह भी जानकारी है कि पिस्टल और रिवॉल्वर दोनों का उपयोग किया गया था, जो इस वारदात की साजिश में पेशेवर तरीके का संकेत देता है।
सफाईकर्मी की सूचना और पड़ोसी किराएदारों की भूमिका
इस घटना का पता सबसे पहले सुबह नौकरानी रीता ने लगाया, जब उसने घर का दरवाजा बंद पाया और अंदर जाने पर सामान बिखरा हुआ मिला। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने विक्की के साथ-साथ मकान में हाल ही में आए तीन युवकों की तलाश शुरू कर दी है, जिनके साथ घटना के कुछ दिन पहले राजेंद्र की बहस हुई थी। फ़िलहाल इस मामले में पुलिस अपनी जांच कर रही है. पुलिस की जांच पूरी होने के बाद घटना की असली तस्वीर सामने आ पाएगी.