वाराणसी। उत्तर प्रदेश में वाराणसी से प्रयागराज के बीच यात्रियों को जल्द ही जाम से राहत मिलने की उम्मीद है। बढ़ते ट्रैफिक दबाव को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक नई ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे परियोजना की तैयारी शुरू कर दी है। यह नया राजमार्ग गंगा नदी के किनारे से होकर गुजरेगा, जिससे न केवल यात्रा सुगम होगी, बल्कि आसपास के गांवों और जिलों में विकास को भी नया आयाम मिलेगा।
160 किमी लंबा होगा ग्रीनफील्ड कॉरिडोर
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) इस नए एक्सप्रेसवे की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार कर रहा है। प्रस्तावित सड़क वाराणसी से मीरजापुर होते हुए प्रयागराज तक लगभग 160 किलोमीटर लंबी होगी और गंगा किनारे बनेगी। यह मार्ग मौजूदा छह लेन हाईवे का विकल्प बनेगा, जहां फिलहाल अत्यधिक यातायात के चलते आए दिन लंबा जाम लग रहा है।
एक साल में तैयार हो सकती है रिपोर्ट
इस परियोजना की व्यवहार्यता, लागत, संभावित लाभ और पर्यावरणीय असर जैसे बिंदुओं पर विस्तृत अध्ययन चल रहा है। NHAI इसके लिए उन्नत तकनीकों जैसे सिमुलेशन सॉफ्टवेयर, जीआईएस मैपिंग, जीपीएस और थियोडोलाइट का इस्तेमाल कर सड़क की रूपरेखा तय कर रहा है। उम्मीद है कि अगले एक वर्ष के भीतर DPR को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
दो या चार लेन पर हो रहा विचार
रिपोर्ट में यह भी निर्णय लिया जाएगा कि इस सड़क को दो लेन बनाया जाए या चार लेन। ट्रैफिक के आंकड़े, भूमि उपयोग, भौगोलिक परिस्थितियों और स्थानीय लोगों की आवाजाही के आधार पर यह तय होगा कि सड़क की चौड़ाई कितनी रखी जाए।
मल्टीमॉडल टर्मिनल से भी जुड़ सकता है नेटवर्क
इस परियोजना को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए इसे वाराणसी के रामनगर स्थित मल्टीमॉडल टर्मिनल से जोड़ने की योजना भी सामने आई है। अगर यह जुड़ाव होता है, तो सड़क और जलमार्ग दोनों के माध्यम से माल और लोगों की आवाजाही में जबरदस्त सुधार आएगा। यह पूर्वांचल के लिए लॉजिस्टिक के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।
ग्रामीण क्षेत्रों को मिलेगा सीधा फायदा
यह एक्सप्रेसवे न केवल दो बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक शहरों को जोड़ेगा, बल्कि इसके आसपास बसे सैकड़ों गांवों और छोटे कस्बों को भी बेहतर कनेक्टिविटी देगा। इससे क्षेत्रीय रोजगार, आवागमन और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
परिवहन मंत्रालय की बड़ी पहल
NHAI के पूर्वी क्षेत्र के क्षेत्रीय अधिकारी एस.के. आर्या के अनुसार, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इस परियोजना पर तेजी से काम करने का निर्देश दिया है। फिलहाल सर्वेक्षण और तकनीकी मूल्यांकन का कार्य प्राथमिक चरण में है, जिसे समयबद्ध तरीके से पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।