पांच देश, 6 राज्य, घर से 1300 किलोमीटर दूर मिलीं आगरा की लापता बहनें: इंस्टाग्राम से लड़कियों को फंसाया, धर्मांतरण के रैकेट में धकेला, कनवर्टेड हिंदूओं ने किया ब्रेनवाश 

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आगरा से कोलकाता तक की यह कहानी सिर्फ दो बहनों के लापता होने की नहीं, बल्कि एक सुनियोजित धार्मिक साजिश की परतें खोलती है, जिसके तार न केवल देश के छह राज्यों से, बल्कि पांच विदेशी देशों से भी जुड़े हैं। चार महीने पहले गायब हुईं दो बहनें जब कोलकाता में बरामद हुईं, तो यूपी पुलिस समेत खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हो गए। यह मामला सिर्फ अपहरण या गुमशुदगी का नहीं, बल्कि एक बड़े धर्मांतरण नेटवर्क से जुड़ा था, जो सोशल मीडिया, कॉलेज फ्रेंडशिप और धार्मिक प्रचार के जरिए युवाओं को निशाना बना रहा है।


दोस्ती से शुरू हुई साजिश की पटकथा


साल 2021, आगरा के सदर इलाके में एक सामान्य हिंदू परिवार की दो बहनें – बड़ी बहन ‘मुस्कान’ (परिवर्तित नाम), 33 वर्ष, और छोटी बहन ‘खुशबू’ (परिवर्तित नाम), 16 वर्ष – एक सामान्य जीवन बिता रही थीं। मुस्कान डीईआई कॉलेज में एमफिल कर रही थी। वहीं उसकी मुलाकात हुई खुशबू उर्फ साइमा से, जो जम्मू-कश्मीर के ऊधमपुर की रहने वाली थी। कॉलेज और कोचिंग के दौरान साइमा ने मुस्कान से गहरी दोस्ती बना ली।

 


धीरे-धीरे साइमा ने इस दोस्ती को अपने धार्मिक एजेंडे का माध्यम बनाया। वह मुस्कान को इस्लाम धर्म की अच्छाइयों के बारे में बताती, हिजाब पहनने की सलाह देती, और यह कहती कि इस्लाम अपनाने से ही सच्ची सुरक्षा मिलेगी। वह मोबाइल पर धार्मिक वीडियो दिखाकर मुस्कान को प्रभावित करती रही।


घर में पूजा रोक, नमाज की ओर झुकाव


साइमा के प्रभाव में आकर मुस्कान ने घर पर ही नमाज पढ़नी शुरू कर दी। पहले वह इसे परिवार से छिपाकर करती रही, लेकिन एक दिन उसने अपनी मां को मंदिर में पूजा करते देख टोक दिया – "इससे कुछ नहीं होगा, आप नमाज पढ़ा करो।" इसके बाद उसने घर में पूजा-पाठ का विरोध करना शुरू कर दिया और इस्लामिक साहित्य को हिंदी अनुवाद में परिवार को पढ़ने के लिए देने लगी।


पहला प्रयास: घर से भागना


2021 में मुस्कान पहली बार घर से भागी थी। वह साइमा के कहने पर जम्मू-कश्मीर जा रही थी, लेकिन रास्ते में भूस्खलन में फंस गई। तब उसने खुद परिवार को फोन कर मदद मांगी। पिता उसे लेकर लौट आए, लेकिन तब मुस्कान ने भागने की असल वजह नहीं बताई। परिवार ने राहत की सांस ली, पर साजिश अभी खत्म नहीं हुई थी।


छोटी बहन भी हुई ब्रेनवॉश का शिकार


परिवार ने मुस्कान से उसका मोबाइल छीन लिया, लेकिन वह छोटी बहन के फोन से साइमा और इस्लामिक वीडियो देखती रही। इसी दौरान मुस्कान ने अपनी बहन को भी ब्रेनवॉश करना शुरू कर दिया। दोनों मिलकर घंटों इस्लाम पर चर्चा करतीं और घरवालों से बातें छिपाने लगीं। अब साइमा को अंदाजा हो गया कि मुस्कान पर नियंत्रण कमजोर हो रहा है, इसलिए उसने एक नया मोहरा पेश किया – रीत बनिक उर्फ मोहम्मद इब्राहिम।

 


रीत बनिक: सोशल मीडिया का ‘धर्मांतरण संचालक’


रीत बनिक इंस्टाग्राम पर इस्लामिक कट्टरता से जुड़े पोस्ट करता था और उन लोगों को खोजता जो धर्म परिवर्तन में रुचि रखते थे। उसने बहनों को यह यकीन दिलाया कि सनातन धर्म में रहकर वो कभी आजाद नहीं होंगी, इस्लाम कबूल करने से उन्हें नई आजादी मिलेगी।


धर्म परिवर्तन की पूरी योजना


मुस्कान और खुशबू को भागने, छिपने और धर्म बदलने की साजिश तैयार हुई। चूंकि खुशबू नाबालिग थी, इसलिए दो साल तक इंतजार किया गया। 24 मार्च 2024 को जब उनके माता-पिता दिल्ली गए थे, उसी दिन दोनों बहनें आगरा से भाग निकलीं। सबसे पहले उन्हें एक मस्जिद ले जाया गया जहां कलमा पढ़वाया गया। फिर उन्हें दिल्ली, बिहार होते हुए कोलकाता पहुंचाया गया।


कोलकाता में धर्म परिवर्तन


कोलकाता में दोनों बहनों को मुस्लिम बस्ती में रखा गया। उनके नाम भी बदल दिए गए – बड़ी बहन बनी ‘अमीना’ और छोटी ‘जोया’। उन्हें बुरका पहनकर बाहर निकलने की हिदायत थी और मुस्लिम युवकों से निकाह की योजना बनाई गई थी ताकि वो फिर कभी अपने मूल धर्म में न लौट सकें। दोनों अब सोशल मीडिया पर इस्लामिक प्रचार में भी सक्रिय हो चुकी थीं।


41 दिन बाद लिखी गई एफआईआर, फिर हिला पूरा तंत्र


इधर आगरा में पिता ने उनकी गुमशुदगी दर्ज करवाई, लेकिन पुलिस ने शुरुआत में मामले को गंभीरता से नहीं लिया। 41 दिन बाद जब अपहरण का केस दर्ज हुआ और साइमा को नामजद किया गया, तब जाकर जांच तेज हुई। जांच में सामने आया कि यह मामला पूरी तरह ‘द केरल स्टोरी’ जैसी थीम पर आधारित है, जिसमें लड़कियां लड़कियों को फंसाती हैं।


डीजीपी तक पहुंचा मामला, सात टीमें गठित


जब मामला डीजीपी राजीव कृष्ण तक पहुंचा, तो उन्होंने खुद संज्ञान लिया। आगरा पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार की देखरेख में सात टीमें गठित हुईं। साइबर सेल और सर्विलांस की मदद से कोलकाता, गोवा, देहरादून, जयपुर, आगरा और मुजफ्फरनगर में दबिश दी गई।


बड़ी कार्रवाई: 10 गिरफ्तार, 6 राज्यों में रेड


कोलकाता के बैरकपुर से बहनों को बरामद किया गया। वहीं से आरोपी शेखर रॉय उर्फ हसन अली को पकड़ा गया, जो बारासात कोर्ट में कर्मचारी है। उसकी निशानदेही पर गोवा से आयशा (पहले एसबी कृष्णा), देहरादून से अब्दुर रहमान, जयपुर से मोहम्मद अली, मुजफ्फरनगर से अब्बू तालिब, आगरा से रहमान कुरैशी सहित 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया।


धर्म बदल चुके हिंदू भी थे शामिल


पुलिस ने खुलासा किया कि गिरोह में कुछ ऐसे लोग भी थे जो पहले हिंदू थे, फिर इस्लाम कबूल कर इस नेटवर्क का हिस्सा बन गए। अब वे खुद नए लोगों को फंसाकर इस्लाम अपनाने को मजबूर कर रहे थे। इस गिरोह को पांच विदेशी देशों से आर्थिक मदद मिल रही थी, जो भारत में इस्लाम के प्रचार के लिए फंड भेज रहे थे।


मास्टरमाइंड अब भी फरार


इस पूरे ऑपरेशन में गिरोह का मास्टरमाइंड अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर है। पुलिस को शक है कि वह किसी विदेशी नेटवर्क से जुड़ा हुआ है और भारत में धर्मांतरण के एजेंडे को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहा है।

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