निरंजन अखाड़े की पेशवाई कर चर्चा में आईं हर्षा रिछारिया ने भावुक मन से छोड़ा महाकुंभ, फूट-फूटकर रोईं: पहले बोलीं थी – यहां सुकून के तलाश में आई हूं...  

प्रयागराज। महाकुंभ क्षेत्र में 4 जनवरी को निरंजनी अखाड़े की पेशवाई में रथ पर बैठकर चर्चा में आईं हर्षा रिछारिया ने शुक्रवार (17 जनवरी) को क्षेत्र छोड़ने का फैसला किया। उनके पीए ने बताया कि मानसिक तनाव के कारण हर्षा ने कुंभ क्षेत्र छोड़ने का निर्णय लिया है, और वह कुछ दिनों बाद फिर वापस आएंगी।


आनंद स्वरूप पर हमला और खुद की स्थिति स्पष्ट की


गुरुवार को हर्षा ने मीडिया से बातचीत में शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप पर जमकर हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि संतों ने महिला होने के बावजूद उनका अपमान किया। हर्षा ने कहा कि वह इस वक्त मानसिक रूप से परेशान हैं और इसके कारण वह महाकुंभ मेला छोड़ने का निर्णय ले रही हैं। इस दौरान वह फूट-फूटकर रो पड़ीं।

 


स्वामी आनंद स्वरूप ने वीडियो जारी करते हुए हर्षा पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में हर्षा जैसी कई लड़कियां आईं हैं, और उनकी असलियत अब सबके सामने आ गई है।


महाकुंभ की पेशवाई पर छिड़ा विवाद


महाकुंभ में निरंजनी अखाड़े की पेशवाई के दौरान 30 वर्षीय मॉडल हर्षा रिछारिया रथ पर बैठी थीं, जो समाज में एक विवाद का कारण बनी। इस पर जब पत्रकारों ने उनसे साध्वी बनने के बारे में सवाल किया, तो हर्षा ने कहा था कि वह सुकून की तलाश में इस जीवन को अपना रही हैं। इसके बाद वह मीडिया की सुर्खियों में आ गईं और ट्रोलर्स के निशाने पर भी रहीं।


हर्षा ने बाद में स्पष्ट किया कि वह साध्वी नहीं हैं, बल्कि वह केवल दीक्षा ग्रहण कर रही हैं। वहीं, स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि पेशवाई के दौरान एक मॉडल को रथ पर बैठाना उचित नहीं था, क्योंकि इससे समाज में गलत संदेश फैलता है।

 


क्या बोलीं हर्षा


हर्षा ने अपने बारे में कहा, "मैं संत नहीं हूं, यह एक बहुत बड़ी पदवी है। मैं कभी भी मॉडल नहीं रही हूं। मैं सिर्फ एक साधारण शिष्या हूं, जो महाकुंभ को समझने और महसूस करने के लिए यहां आई हूं।" उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई व्यक्ति वेस्टर्न कल्चर को छोड़कर सनातन धर्म की संस्कृति से जुड़ना चाहता है, तो उसे परिवार की तरह स्वीकार किया जाना चाहिए, न कि उसका विरोध किया जाना चाहिए।

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