भोपाल। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने महाकुंभ में बढ़ती 'रील संस्कृति' पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ का उद्देश्य आस्था और संस्कृति को बढ़ावा देना है, न कि इसे किसी की लोकप्रियता बढ़ाने का जरिया बनाना। उन्होंने रील बनाने वालों से अपील की कि वे महाकुंभ को रील के बजाय वास्तविक आस्था के रूप में देखें।
रविवार को मध्यप्रदेश के छतरपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि महाकुंभ की पवित्रता भटक रही है। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि लोग व्यक्तिगत महिमामंडन और विवादों में उलझ रहे हैं। उन्होंने कहा, "किसी व्यक्ति, बच्ची, या किसी अन्य के खिलाफ जो भी कहा जा रहा है, वह उचित नहीं है। महिमामंडन का एक दिन काफी है, लेकिन महाकुंभ को उसके वास्तविक उद्देश्य से दूर नहीं किया जाना चाहिए।"
हिंदुत्व की जागृति के लिए करें विचार
उन्होंने सनातन धर्म और हिंदुत्व के संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि महाकुंभ एक मंच होना चाहिए जहां इस पर विचार किया जाए कि हिंदुत्व कैसे जागृत होगा और भारत को हिंदू राष्ट्र के रूप में कैसे स्थापित किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग किसी कारणवश हिंदू धर्म से अलग हो गए हैं, उन्हें वापस लाने की योजनाएं बनानी चाहिए।
24 को महाकुंभ जाएंगे बागेश्वर वाले बाबा
24 जनवरी को धीरेंद्र शास्त्री संगम स्नान के लिए प्रयागराज के महाकुंभ में पहुंचेंगे। वे तीन दिनों तक कथा करेंगे और 'हिंदू बचाओ, हिंदुस्तान बचाओ' का संदेश देंगे। उनका दरबार लेटे हुए हनुमान मंदिर के सामने लगेगा, जहां सनातन धर्म और हिंदुत्व जागरण पर संवाद किया जाएगा।