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उलझती जा रही शराब कारोबारी परिवार हत्याकांड की गुत्थी: राजेंद्र का भतीजा मोबाइल बंद कर फरार, संदिग्ध मोबाइल नंबरों का पता लगा रही पुलिस, खंगाले जा रहे सीडीआर
वाराणसी में शराब कारोबारी राजेंद्र गुप्ता के परिवार हत्याकांड का मामले में मुख्य आरोपी अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। घटना के चार दिनों बाद भी इस मामले में पुलिस के हाथ खाली हैं। हालांकि पुलिस की कई टीमें इस घटना की जांच पड़ताल, आरोपियों की गिरफ्तारी और सबूतों को जुटाने में लगी हुई हैं। वाराणसी पुलिस की छह टीमें सीसीटीवी फुटेज और सर्विलांस का सहारा लेकर आरोपी विक्की की तलाश में जुटी हुई हैं, जो हत्या के बाद से फरार है।
राजेंद्र प्रसाद गुप्ता और उनके परिवार के नृशंस हत्या मामले में शक का दायरा कई लोगों तक फैला हुआ है। पुलिस की जांच में यह बात सामने आई है कि राजेंद्र के परिवार के कुछ मोबाइल नंबर भी संदिग्ध माने जा रहे हैं, लेकिन कई नंबरों के बंद होने के कारण उनकी लोकेशन का पता नहीं चल सका है। डीसीपी काशी जोन गौरव बंशवाल ने बताया कि पुलिस विक्की की खोज के लिए वाराणसी के अलावा दूसरे शहरों में भी छापेमारी कर रही है। पुलिस को विश्वास है कि जल्द ही वे विक्की को गिरफ्तार कर लेंगे।
वर्षों पुरानी दुश्मनी का सिलसिला
जानकारी के मुताबिक, इस हत्याकांड की कहानी की शुरुआत साल 1997 में हुई थी, जब राजेंद्र गुप्ता के छोटे भाई कृष्णा गुप्ता और उनकी पत्नी बबीता की हत्या स्वयं राजेंद्र ने कर दी थी। उनके बेटे विक्की और जुगनू उस समय राजेंद्र के संरक्षण में आ गए थे। हालांकि, रिश्तों में तनाव तब शुरू हुआ जब विक्की और राजेंद्र के बीच तनाव बढ़ने लगा। राजेंद्र अपने भतीजे विक्की से नाराज रहते थे लेकिन उसकी पढ़ाई-लिखाई का जिम्मा खुद उठाया।
घरेलू विवाद से शुरू हुआ टकराव
दो साल पहले एक घरेलू विवाद ने विक्की और राजेंद्र के रिश्ते में खाई और गहरी कर दी। विक्की, जो बेंगलुरु से बीटेक की पढ़ाई कर चुका था, घर में बेरोजगारी के कारण राजेंद्र के गुस्से का शिकार हो गया। एक दिन, नौकरी को लेकर हुई बहस इतनी बढ़ गई कि राजेंद्र ने अपने बेटे नमनेंद्र के साथ मिलकर विक्की की पिटाई कर दी। इस घटना के बाद विक्की ने घर छोड़ दिया और नौकरी की तलाश में बेंगलुरु चला गया। पुलिस की थ्योरी के अनुसार, इसी घटना से विक्की के अंदर बदले की भावना जाग गई।
हत्या की योजना और संदिग्ध गतिविधियाँ
पुलिस की जांच में यह बात सामने आई कि विक्की ने घर छोड़ने के बाद परिवार के बाकी लोगों से भी बातचीत बंद कर दी थी। उसके भाई जुगनू ने पुलिस को बताया कि विक्की उससे भी बहुत कम बातचीत करता था और हर बार अलग-अलग नंबरों से संपर्क करता था। हत्या के बाद गुरुवार को राजेंद्र के परिवार का अंतिम संस्कार कर दिया गया, लेकिन पुलिस जुगनू को पूछताछ के लिए हिरासत में रखे हुए है।
एक गवाह महिला की तलाश में पुलिस
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, हत्या से एक घंटे पहले राजेंद्र के कमरे से एक महिला निकलती हुई देखी गई थी, जिसकी तलाश में पुलिस जुटी हुई है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से यह भी पता चला कि राजेंद्र को मारने के लिए हत्यारे पहले उनके मीरापुर स्थित घर पहुंचे थे, जहां उन्हें सिर और छाती में गोली मारी गई। इसके बाद, हत्यारे भदैनी के घर गए और वहां नीतू और उनके तीन बच्चों को भी मार डाला।
संदिग्ध नंबर और लापता विक्की की पहेली
विक्की के कॉल डिटेल रिकॉर्ड में तीन संदिग्ध नंबरों की जानकारी मिली थी, जो अब बंद हो चुके हैं और उनकी लोकेशन का कोई पता नहीं चल पा रहा है। पुलिस की चार टीमें विक्की और शूटरों को पकड़ने के लिए विभिन्न स्थानों पर दबिश दे रही हैं।
आसनसोल में तलाशी जारी
राजेंद्र गुप्ता की पहली पत्नी के बेटे आदित्य की तलाश में भी एक टीम आसनसोल (पश्चिम बंगाल) भेजी गई, लेकिन वहां से भी पुलिस को कोई ठोस जानकारी नहीं मिली। जिस पते और मोबाइल नंबर के सहारे पुलिस आसनसोल पहुंची थी, वो सब बेबुनियाद निकला, क्योंकि आदित्य पहले ही वहां से किसी और जगह जा चुका था। पुलिस अभी भी आसनसोल में उसकी तलाश कर रही है।