सुप्रसिद्ध हास्य राजनीती आविष्कारक मि. राहुल गाँधी ने देश की सबसे बड़ी जाँच एजेंसी (CBI) की जाँच कर ज्ञात किया कि CBI के रूप में तोता बैठा है। तोता जो बोल रहा नमो-नमो और बोला जब राहुल ने बोलो राहुल-राहुल। तो बोला आउल-आउल फिर क्या मच गया कोहराम।अब CBI को भी चाहिए होता है दाना -पानी। जो देती है सरकार तो सरकार को ही करता नमस्कार। तो हो सके ऐसे ही दाना पानी चुगते चुगते सीबीआई को मिल गया तोते का पुरस्कार।अब तोता है जांच करो तो तोता, जांच ना करो तो तोता और तोता भी ऐसा जो उड़ ना सके। आगे आ गया तो पीछे मुड़ ना सके।क्यों कि आगे है भूकंप ला देने वाला भारतीय मीडिया तो पीछे परम ज्ञानी राहुल गाँधी, ट्विटर की भाषा में बोलो तो आउल गाँधी।तो मि. आउल जी तोते को पीछे से धक्का मार रहे हैं कि तोता उड़े और पिंजरे में जा घुसे। अब मीडिया का मानना है कि जैसे तोते की आदत होती है। जो उससे बुलाया जाए वही बोलना तो वहीँ आउल की मजबूरी होती है। केवल रात में देख पाना, सो रात को तो तोता भी सोयेगा। किसी ना किसी सरकारी जगह पर, अब जगह सरकारी तो तोता मतलब पिंजरे में है। CBI देश की सबसे विश्वसनीय संस्थाओं में से एक है। यदि इस तरह इस की साख पर बट्टा लगता है, तो यह वाकई काफी दुःखद है। देश के किसी भी राजनीतिक पार्टी व व्यक्ति हो यह अधिकार नहीं कि वह इस प्रकार से देश की संवैधानिक संस्थाओं को अपमानित करे। ऐसी संवैधानिक संस्थाओं का अपमान देश का अपमान है।देश में संवैधानिक संस्थाओं का अपमान कोई बर्दाश्त नहीं कर पायेगा, ना ही कर इस करना चाहिए। अतः ये जरूरी है, CBI जैसी संस्थाओं का सम्मान हो, ताकि देश अस्मिता बची रहे।