आपके मोबाइल से अश्लील मैसेज भेजे जा रहे... वाराणसी की महिला को 48 घंटे रखा डिजिटल अरेस्ट, ठगे 81 लाख, जानिए कहां यूज़ होता है साइबर ठगी का पैसा

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वाराणसी। साइबर ठगों ने वाराणसी की एक महिला को डरा कर 48 घंटे तक डिजिटल बंधक बना लिया और इस दौरान 81 लाख रुपये तीन अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करवा लिए। महिला को पहले डराया गया कि उसके मोबाइल से अश्लील मैसेज भेजे गए हैं और उस पर सीबीआई ने पहले ही मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। फिर उसे राहत का झांसा देकर आरबीआई की फर्जी जांच में सहयोग के नाम पर मोटी रकम निकलवा ली गई।


घटना शहर के कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत चौखंभा स्थित गोपाल मंदिर इलाके की निवासी मीतू गोठी के साथ हुई। 30 जून की शाम करीब चार बजे मीतू के पास एक अनजान कॉल आया। फोन पर मौजूद व्यक्ति ने कहा कि उनके मोबाइल से अश्लील मैसेज भेजे जा रहे हैं और उनके खिलाफ भारतीय रिजर्व बैंक ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है। बातों में उलझाकर महिला को मानसिक रूप से इतना भयभीत कर दिया गया कि उसने बैंक खाते में जमा अपनी पूरी जमा पूंजी ठगों के बताए खातों में ट्रांसफर कर दी।

 


जांच के नाम पर फंसाया जाल


कॉल करने वालों ने मीतू से कहा कि बैंक में जमा राशि अवैध गतिविधियों से जुड़ी हो सकती है, इसलिए वह उसे जांच हेतु आरबीआई के खातों में ट्रांसफर कर दे। वादा किया गया कि जांच के बाद पैसा वापस कर दिया जाएगा। मीतू ने डरकर 1 जुलाई को यूनियन बैंक से पहले 30 लाख रुपये ट्रांसफर किए। अगले दिन, 2 जुलाई को दो बार में और रकम भेजी — पहले 37 लाख और फिर 14 लाख रुपये।


कुल मिलाकर महिला ने दो दिनों में 81 लाख रुपये गंवा दिए, जो उसने हाल ही में संपत्ति बेचकर जुटाए थे। इन रुपयों का इस्तेमाल वह अपने पारिवारिक खर्च और बीमार पति के इलाज में करना चाहती थीं।

 


जब फोन बंद हुआ, तब टूटा भ्रम


2 जुलाई को अंतिम ट्रांजेक्शन के बाद जब मीतू ने संपर्क करने की कोशिश की तो ठग का मोबाइल स्विच ऑफ मिला। यहीं से उन्हें ठगी का आभास हुआ। दो दिन तक मानसिक उथल-पुथल के बाद उन्होंने हिम्मत जुटाकर साइबर थाने पहुंचकर एफआईआर दर्ज करवाई। पुलिस ने तेजी दिखाते हुए कार्रवाई शुरू की और अब तक 18 लाख रुपये की राशि विभिन्न बैंक खातों में फ्रीज करा दी है। शेष राशि की रिकवरी के प्रयास तेज कर दिए गए हैं।


मनी लॉन्ड्रिंग का झांसा बना हथियार


साइबर एक्सपर्ट मृत्युंजय सिंह बताते हैं कि मनी लॉन्ड्रिंग यानी अवैध रूप से अर्जित धन को वैध दिखाने की प्रक्रिया, इस पूरे अपराध का मूल आधार बनी। अपराधी इस शब्द का इस्तेमाल कर पीड़िता को भ्रमित करते रहे। सामान्यतः मनी लॉन्ड्रिंग में नशीली दवाओं की तस्करी, भ्रष्टाचार, हवाला कारोबार जैसी गतिविधियों से कमाया गया पैसा कई खातों में घुमाया जाता है और फिर रियल एस्टेट, होटल या दूसरे व्यवसायों में लगाकर उसे वैध कमाई के रूप में दिखाया जाता है।


मीतू गोठी को बताया गया कि उन पर भी इसी तरह के अपराध का संदेह है, जिससे बचने के लिए उन्हें सहयोग करना होगा। उन्होंने भयवश ठगों पर भरोसा कर लिया और अपनी जीवन भर की कमाई गंवा बैठीं।

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