निरहुआ बोले – मुझे योगी को फिल्म दिखाने की हिम्मत नहीं; बच्चों के साथ देखें अभिभावक, ‘अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी’ से समाज को मिलेगी प्रेरणा

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मुंबई। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर बनी फिल्म ‘अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी’ आगामी 19 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है। इस फिल्म को लेकर भोजपुरी फिल्मों के जुबली स्टार और अब हिंदी पर्दे पर कदम रखने वाले दिनेश लाल यादव निरहुआ ने अपनी भावनाएं साझा कीं। उन्होंने कहा कि यह किसी राजनीतिक एजेंडे पर आधारित फिल्म नहीं है, बल्कि एक सामान्य परिवार में जन्मे उस बच्चे की कहानी है जिसने समाज की व्यवस्था को बदलने का साहस किया। यह फिल्म युवाओं, अभिभावकों और आमजन सभी के लिए प्रेरणास्रोत बनेगी।


निरहुआ ने बताया कि फिल्म को रिलीज करने की राह आसान नहीं थी। कई बार रुकावटें आईं और सेंसर बोर्ड की प्रक्रियाओं में फिल्म अटक गई। उन्होंने कहा कि जब किसी प्रोजेक्ट पर बहुत मेहनत की जाती है और बीच में रुकावट आ जाती है तो मन में घबराहट होती है। मैं तो भोजपुरी फिल्मों का कलाकार हूं, और यह मेरी पहली हिंदी फिल्म है। लगा था कि अच्छा अवसर मिला है, लेकिन अचानक अड़चनें आ गईं। अब सब ठीक है और ट्रेलर को दर्शकों ने सराहा है। हम खुद भी थिएटर में जाकर फिल्म देखेंगे और लोगों से निवेदन करेंगे कि इसे जरूर देखें, क्योंकि यह हम जैसे आम लोगों की कहानी है।

 

 

एक साधारण से खास बनने की यात्रा


फिल्म में यह दिखाया गया है कि कैसे एक सामान्य घर का बच्चा बड़े संघर्षों से गुजरकर व्यवस्था की गलतियों को पहचानता है और उनमें बदलाव की कोशिश करता है। निरहुआ के मुताबिक, “हर अभिभावक जब अपने बच्चों के साथ यह फिल्म देखेंगे तो उन्हें लगेगा कि यह सिर्फ मनोरंजन नहीं बल्कि सीख देने वाली कहानी है। जिस बच्चे ने कठिनाइयों के बीच पला-बढ़ा, उसने समाज की गड़बड़ियों को देखकर उनमें सुधार की कोशिश की – यही इस फिल्म का मूल संदेश है।”


पत्रकार की भूमिका में निरहुआ


फिल्म में दिनेश लाल यादव ने पहली बार पत्रकार का किरदार निभाया है। उन्होंने कहा कि यह अनुभव उनके लिए बेहद रोचक रहा। गांव में जब मैं एल्बम गाता था, तभी से पत्रकार भाइयों का साथ मिला। उन्होंने मेरी कला को लोगों तक पहुंचाया। इसलिए पत्रकारों के हाव-भाव और उनके कार्यशैली को मैं करीब से जानता हूं। यही वजह रही कि इस किरदार को निभाना आसान और मजेदार रहा।


स्क्रिप्ट से मिला विश्वास


निरहुआ ने बताया कि जब उन्होंने इस फिल्म की किताब और स्क्रिप्ट पढ़ी, तभी उन्हें विश्वास हो गया कि यह एक सार्थक प्रोजेक्ट है। गरीबी में पैदा हुआ व्यक्ति भी अगर उसके अंदर कुछ करने की आग है तो बड़ी उपलब्धियां हासिल कर सकता है। यही भाव इस कहानी में है। मुझे लगा कि यह विषय समाज को प्रेरित कर सकता है और इसका हिस्सा बनना मेरे लिए गर्व की बात होगी।

 


योगी आदित्यनाथ से निजी जुड़ाव


निरहुआ ने माना कि वे वास्तविक जीवन में भी योगी आदित्यनाथ के साथ मंच साझा करते रहे हैं और उनकी कार्यशैली को करीब से देखा है। उन्होंने अभिनेता अनंत जोशी की तारीफ करते हुए कहा कि अनंत जोशी ने योगी जी का किरदार इतना सजीव ढंग से निभाया है कि कई बार शूटिंग के दौरान मुझे लगा जैसे सचमुच योगी जी मेरे सामने खड़े हैं।


सेंसर बोर्ड ने सीएम ऑफिस से मांगी थी NOC


फिल्म को लेकर विवाद तब खड़ा हुआ जब सेंसर बोर्ड ने सीएम ऑफिस से एनओसी (अनापत्ति प्रमाणपत्र) मांगा और रिलीज रोक दी। निरहुआ ने कहा कि मुझे लगा था कि निर्माता-निर्देशक ने पहले ही अनुमति ले ली होगी। जब शूटिंग चल रही थी तब इस विषय पर मेरी योगी जी से कोई बातचीत नहीं हुई। बाद में जब मामला कोर्ट तक पहुंचा, तब अदालत ने फिल्म को प्रेरणादायक बताते हुए रिलीज का रास्ता साफ किया। सच कहूं तो विवाद बेवजह खड़ा हुआ था, क्योंकि फिल्म में किसी प्रकार का राजनीतिक गुणगान नहीं है, बल्कि बदलाव की ललक दिखाई गई है।


फिल्म के यादगार दृश्य


निरहुआ ने फिल्म के कुछ महत्वपूर्ण दृश्यों का जिक्र करते हुए कहा कि इन्हें पढ़ते और शूट करते समय उनके रोंगटे खड़े हो गए।


•    कॉलेज के दिनों का एक दृश्य, जब कुछ छात्रों ने लेडीज टॉयलेट में आपत्तिजनक बातें लिखीं। शिकायत पर ध्यान न दिए जाने पर योगी जी ने स्वयं ताला लगा दिया। उन्होंने कहा, “मेरे पास केवल 250 रुपये थे, अगर ज्यादा पैसे होते तो बुलडोजर चला देता।”


•    दूसरा दृश्य, जब गोरखपुर में एक घटना के बाद योगी जी शिकायत लेकर डीएम के पास पहुंचे। डीएम ने उनसे पूछा कि क्या वे विधायक, सांसद या मुख्यमंत्री हैं? तब योगी जी ने जवाब दिया, “क्या तुमसे बात करने के लिए कुछ बनना पड़ेगा?” इसके बाद ही उन्होंने राजनीति में आने का निर्णय लिया।


इन दृश्यों से यह संदेश मिलता है कि बदलाव की शुरुआत व्यक्तिगत साहस से होती है।


 ‘प्रोपेगेंडा’ के सवाल पर जवाब


जब निरहुआ से पूछा गया कि क्या यह फिल्म एक राजनीतिक प्रचार का साधन है, तो उन्होंने स्पष्ट कहा,


“यह फिल्म प्रोपेगेंडा नहीं है। जब मैंने स्क्रिप्ट सुनी तो पाया कि यह प्रेरणा देने वाली कहानी है। अगर समाज में कुछ गलत है तो दो ही रास्ते हैं – या तो चुपचाप सहो या फिर उसे बदलो। यही सोच फिल्म में दिखाई गई है।”


योगी जी को फिल्म दिखाने का सवाल


क्या वे स्वयं योगी आदित्यनाथ को फिल्म दिखाने का विचार करेंगे? इस पर निरहुआ ने मुस्कुराते हुए कहा, “मेरी इतनी हिम्मत नहीं है कि मैं योगी जी से कहूं कि वे ढाई घंटे का समय निकालकर फिल्म देखें। वे सुबह से देर रात तक लगातार काम करते रहते हैं। जिस स्थान पर वे हैं, वहां भारी जिम्मेदारी है और वे उसे पूरी तरह निभा रहे हैं। हम कलाकारों का काम समाज को संदेश देना है और वही हमने इस फिल्म के जरिए किया है।”

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