यूपी के महराजगंज जिले में निषाद पार्टी के प्रदेश सचिव धर्मात्मा निषाद (29) की आत्महत्या ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। धर्मात्मा ने फेसबुक पर एक लंबी पोस्ट लिखने के बाद रविवार को फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया। इस पोस्ट में उन्होंने कैबिनेट मंत्री संजय निषाद और उनके दो बेटों पर गंभीर आरोप लगाए थे। उनकी मौत के बाद स्थानीय लोगों में गुस्से का माहौल है और बड़ी संख्या में लोग न्याय की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
गांव में भारी पुलिस बल तैनात, अंतिम यात्रा में उमड़ी भीड़
धर्मात्मा निषाद का पोस्टमॉर्टम पूरा हो चुका है और उनका शव पैतृक गांव पहुंच गया है। अंतिम संस्कार के दौरान हजारों लोग जुटे और “धर्मात्मा निषाद अमर रहें” के नारे लगाते रहे। स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने 5 थानों की पुलिस फोर्स तैनात कर दी है।
गांव में उनके समर्थकों और स्थानीय निवासियों की भीड़ जमा है, जिससे तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है। शव यात्रा में न सिर्फ उनके गांव के लोग बल्कि आसपास के गांवों से भी बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। कई लोग छतों पर चढ़कर अंतिम यात्रा के दृश्य देख रहे थे।
मंत्री संजय निषाद पर नहीं हुई एफआईआर, परिजनों का विरोध जारी
धर्मात्मा निषाद के परिजनों और ग्रामीणों ने मंत्री संजय निषाद, उनके बेटों और जेपी निषाद पर केस दर्ज करने की मांग की थी। हालांकि, पुलिस ने सिर्फ जेपी निषाद और तीन अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
धर्मात्मा के भाई परमात्मा निषाद ने इस पर नाराजगी जताई और कहा कि सरकार हमारी कोई सुनवाई नहीं कर रही। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने जानबूझकर तीन लोगों के नाम हटा दिए हैं और सिर्फ एक आरोपी को नामजद किया गया है।
डीएम के आश्वासन के बाद शांत हुआ परिवार
सोमवार सुबह धर्मात्मा के बड़े भाई परमात्मा निषाद ने डीएम और एसपी से मुलाकात की। बैठक के बाद परिवार को आश्वासन दिया गया कि धर्मात्मा की पत्नी को सरकारी नौकरी, परिवार को 5 हजार रुपये मासिक सहायता, 25 डिसमिल जमीन और संजय निषाद सहित चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
इस आश्वासन के बाद परिवार ने विरोध प्रदर्शन समाप्त कर दिया। इस दौरान कांग्रेस के जिला अध्यक्ष शरद कुमार और कांग्रेस कार्यकर्ता भी परिवार के साथ डीएम कार्यालय पहुंचे थे। समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रतिनिधि मंडल ने भी धर्मात्मा निषाद के घर जाकर परिजनों से मुलाकात की।
धर्मात्मा की आत्महत्या से उठा सियासी तूफान
रविवार को महराजगंज के पनियरा थाना क्षेत्र में धर्मात्मा निषाद ने फेसबुक पर एक लंबी पोस्ट शेयर की और फिर अपने कमरे में फांसी लगा ली। उनकी पोस्ट ने राजनीति में भूचाल ला दिया। उन्होंने लिखा था कि मंत्री संजय निषाद और उनके बेटों के कारण उन्हें जेल जाना पड़ा।
पोस्ट में धर्मात्मा ने लिखा, "मेरा मन करता था कि मैं इन सबको जान से मार दूँ, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता।"
उनके भाई परमात्मा निषाद का आरोप है कि धर्मात्मा को चुनावी वर्चस्व की लड़ाई में फंसाकर परेशान किया गया। उन्होंने कहा, "मेरे भाई को बार-बार झूठे मुकदमों में फँसाकर जेल भिजवाया गया। वह निषाद समाज के लिए लड़ता था, लेकिन इन लोगों को यह पसंद नहीं था।"
उन्होंने सरकार से चारों आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग करते हुए कहा कि यदि इंसाफ नहीं मिला तो वे भी आत्महत्या कर लेंगे।
परिवार ने 50 लाख मुआवजे और सरकारी नौकरी की मांग की
धर्मात्मा की पत्नी ज्ञानी ने सरकार से 50 लाख रुपये मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की। उन्होंने यह भी कहा कि सभी आरोपियों को जेल भेजा जाए, अन्यथा परिवार लड़ाई जारी रखेगा।
सपा कार्यकर्ताओं ने लखनऊ में किया प्रदर्शन
सोमवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के कार्यकर्ताओं ने लखनऊ के हजरतगंज चौराहे पर हंगामा किया। प्रदर्शनकारी संजय निषाद का पुतला लेकर पहुंचे और नारेबाजी करने लगे। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर सपा कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया।
धर्मात्मा निषाद को चुनाव लड़ने से रोकना चाहता था गुट?
परिवार और उनके करीबी दोस्तों का कहना है कि धर्मात्मा 2027 के चुनावों में बड़ी भूमिका निभाने की तैयारी कर रहे थे। उनके एक दोस्त ने बताया कि रविवार को धर्मात्मा पोस्टर बनवाने जाने वाले थे, लेकिन सुबह जब हम उन्हें फोन कर रहे थे, तो उन्होंने कॉल नहीं उठाया। जब हम उनके कमरे में पहुंचे, तो उन्हें फांसी पर लटका पाया।
धर्मात्मा के एक करीबी मित्र ने बताया कि उनकी लव मैरिज थी और राजनीतिक कारणों से उनकी पत्नी को भी टारगेट किया जा रहा था।
राजनीति से जुड़ा हुआ है मामला?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि धर्मात्मा निषाद की आत्महत्या एक बड़ी राजनीतिक साजिश का हिस्सा हो सकती है। निषाद समाज के लिए काम करने वाले धर्मात्मा की बढ़ती लोकप्रियता कुछ लोगों को रास नहीं आ रही थी।
क्या संजय निषाद पर होगा केस?
परिजनों का कहना है कि जब तक संजय निषाद और उनके बेटों पर मुकदमा दर्ज नहीं किया जाता, तब तक वे संघर्ष करते रहेंगे। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही मामले में और धाराएँ जोड़ी जाएंगी और कार्रवाई की जाएगी।