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Pulwama Attack: ‘जरा याद करो कुर्बानी...’ 14 फरवरी का वो काला दिन, जिसे कभी नहीं भूल सकता देश, 40 सपूतों ने दिया था बलिदान, जानिए क्या हुआ था उस दिन?

आज से छह साल पहले, 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुआ आतंकी हमला पूरे देश के लिए एक गहरा जख्म छोड़ गया। इस भीषण हमले ने न केवल देश को झकझोर दिया, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर कई अहम सवाल भी खड़े कर दिए। प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार ने विस्फोटकों से भरी गाड़ी से सीआरपीएफ (CRPF) के काफिले को निशाना बनाया था। इस हमले में 40 जवानों ने अपनी जान गंवा दी, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए थे। घटना के छह साल बाद भी देशवासियों के दिलों में इसकी टीस जस की तस बनी हुई है।


हर साल 14 फरवरी को पूरा देश पुलवामा के शहीदों को याद करता है और उनकी कुर्बानी को नमन करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह समेत तमाम नेताओं ने इस साल भी पुलवामा हमले की बरसी पर वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, "2019 में पुलवामा में हमने जिन बहादुर जवानों को खोया, उन्हें श्रद्धांजलि। आने वाली पीढ़ियां उनके बलिदान और राष्ट्र के प्रति उनके अटूट समर्पण को कभी नहीं भूलेंगी।"

 


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस मौके पर अपने संदेश में लिखा कि भारत पुलवामा हमले के शहीद जवानों के बलिदान को कभी भुला नहीं सकता। उन्होंने शहीदों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं और कहा कि "भारत अपने वीर सपूतों की वीरता का सम्मान करता है और आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में अडिग है।"


आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता


गृह मंत्री अमित शाह ने भी पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आतंकवाद को समूची मानव जाति का सबसे बड़ा दुश्मन बताया। उन्होंने कहा, "छह साल पहले पुलवामा में हुए इस कायराना आतंकी हमले में वीरगति को प्राप्त हुए जवानों को कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि। आतंकवाद के खिलाफ दुनिया एकजुट हो चुकी है और भारत अपने वीर जवानों के सम्मान में हमेशा खड़ा रहेगा।"


कैसे हुआ था पुलवामा हमला?


14 फरवरी 2019 की दोपहर करीब 3 बजे, श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवंतीपोरा के गोरीपोरा इलाके में यह आतंकी हमला हुआ। सीआरपीएफ का काफिला करीब 60 से अधिक वाहनों के साथ जम्मू से श्रीनगर की ओर जा रहा था। इस काफिले में कुल 2547 जवान शामिल थे। जैसे ही काफिला पुलवामा जिले के पास पहुंचा, तभी एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटकों से भरी गाड़ी सैन्य वाहनों से टकरा दी। इस टक्कर के तुरंत बाद एक बड़ा धमाका हुआ, जिसकी आवाज कई किलोमीटर तक सुनी गई। इस धमाके से कई सैन्य बसें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं, और पूरा इलाका आग और धुएं के गुबार में घिर गया।


इस भीषण हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी। इस घटना के बाद देशभर में शोक और आक्रोश की लहर दौड़ गई थी। सरकार ने हमले के जवाब में कई कड़े कदम उठाए, जिसमें बालाकोट एयरस्ट्राइक भी शामिल रही।


पुलवामा के शहीदों की याद हमेशा रहेगी ज़िंदा


पुलवामा हमले की छठी बरसी पर पूरा देश एक बार फिर उन बहादुर जवानों की याद में सिर झुका रहा है, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर देश की रक्षा की। यह दिन हमें हमेशा याद दिलाता रहेगा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हमें एकजुट रहना होगा और अपने वीर सपूतों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देना है।

 

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