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BJP को नहीं चाहिए ‘सबका साथ सबका विश्वास...’ रिस्टार्ट करने के मूड में भाजपा, भाजपा नेताओं के बयान के क्या मायने?

लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद भारतीय जनता पार्टी कट्टर हिंदुत्व की ओर वापस लौट रही है। सबका साथ सबका विश्वास में अब विश्वास कम होने लगा है। ऐसा हम नहीं कर रहे हैं, ऐसा हाल ही के दिनों में बीजेपी के कुछ नेताओं की ओर से दिए गए बयान के बाद लगाए जा रहे हैं।

 

सूत्रों की मानें तो चुनाव नतीजों के बाद पार्टी के भीतर जो मंथन चल रहा है, उसमें से एक बात यह भी निकलकर सामने आ रही है कि मुस्लिम मतदाताओं ने एकमुश्त बीजेपी के खिलाफ वोट दिया। ट्रिपल तलाक, सबके लिए आवास, उज्ज्वला योजना, फ्री राशन वाली योजनाओं के बाद भी बीजेपी को मुस्लिम वोट नहीं मिले। बीजेपी के कुछ नेताओं का मानना है कि जब हम भेद नहीं करते, फिर भी मुस्लिम बाहुल्य बूथ पर हमें एक वोट भी नहीं मिलता तो कष्ट होता है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से ‘अबकी बार 400 पार’ का नारा दिया गया, लेकिन इस बार पार्टी अपने दम पर बहुमत से भी दूर रह गई। इन नतीजे के बाद क्या भगवा दल हार्डकोर लौट रही है। 

 

बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुवेंदु अधिकारी ने लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए अल्पसंख्यक समुदाय को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने चुनाव में कम वोट मिलने को लेकर कहा कि हमें अब सबका साथ सबका विकास की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि ‘हम उनके साथ जो हमारे साथ’, अब इस पर अमल करना होगा। सुवेंदु अधिकारी ने बुधवार को भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि हमें अल्पसंख्यक मोर्चा की भी जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं राष्ट्रवादी मुसलमानों के लिए भी बात की है। हम सभी सबका साथ सबका विकास की बात किया करते हैं, लेकिन आगे से अब मैं यह नहीं कहूंगा क्योंकि मेरा मानना है कि इसके बजाय ‘हम उनके साथ जो हमारे साथ’ होना चाहिए। हालांकि बाद में सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि मेरे बयान का गलत मतलब निकाला गया।

 

नये भारत में मदरसों की ज़रूरत नहीं: हेमंत 

 

असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा ने भी डेमोग्राफी में बदलाव को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने असम का जिक्र किया और कहा कि डेमोग्राफी में आया बदलाव मेरे लिए बड़ा मुद्दा है। असम में मुस्लिम आबादी आज 40% तक पहुंच गई है, जो 1951 में 12% के करीब थी। हमने कई जिले खो दिए हैं। यह मेरे लिए कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। यह मेरे लिए जीवन में मृत्यु का सवाल है। इसके पहले भी हिमंता ने कहा कि नए भारत में मदरसों की जरूरत नहीं है। हमें इस दिशा में आगे बढ़ना है हमें अपनी शिक्षा प्रणाली को बदलना है। हमने असम में 600 मदरसों को बंद कर दिया है और आगे भी मदरसों को बंद करने का इरादा रखते हैं।

 

जनसंख्या नियंत्रण विधेयक बीजेपी के लिए अहम मुद्दा 

 

राजस्थान में जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर भाजपा नेताओं के बयान पर राजनीति गरमा गई है। भाजपा विधायक बालमुकुंद आचार्य ने कहा कि सल्तनत और विकास के लिए जनसंख्या नियंत्रण विधेयक लाया जाना चाहिए। हवामहल (जयपुर सीट) से विधायक बालमुकुंद आचार्य के बयान का एक वीडियो भी सामने आया। जिसमें वह कहते नजर आ रहे हैं कि एक समुदाय विशेष में लोगों की चार बेगम और 36 बच्चे हैं और इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में एक ई रिक्शा वाले से बातचीत की तो पता चला कि उसकी 13 संतान हैं। एक बहन मेरे कार्यालय में आई थी और कहा कि वह अपने पति की तीसरी पत्नी है और वह चौथी शादी करने जा रहा है, उसे रोको।

 

भाजपा नेताओं के इस तरह के बयान के बाद कहना गलत नहीं होगा कि बीजेपी एक बार फिर रिस्टार्ट करने के मूड में है और वह खाटी हिंदुत्व की ओर लौट रही है। पिछले कुछ चुनाव के नतीजे पर गौर करें तो बीजेपी मुस्लिम मतदाताओं में अपना विश्वास कायम रखने में असफल रही है। जिसका नतीजा लोकसभा चुनाव में देखने को मिला।

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