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महाराष्ट्र में बिछ गई सियासी बिसात, दलों में बेचैनी, भाजपा के लिए राह नहीं आसान, जानिए पूरा समीकरण
महाराष्ट्र। देश में हरियाणा और जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। चुनावी घोषणा के बाद ही महाराष्ट्र में सियासी राजनीति तेज हो गयी है। जोड़-तोड़ की राजनीति की बदौलत सत्ता पर काबिज होने वाली वर्तमान सरकार के लिए यह चुनाव जहां करो या मरो वाली है। वहीं, उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना के लिए अपने वजूद को फिर से कायम करने वाली जंग है। कांग्रेस और एनसीपी के लिए भी यह चुनावी समर किसी युद्ध से कमतर नहीं है। यह तो वक्त ही बताएगा कि यह चुनावी समर किस करवट बैठेगा।
दरअसल, 2019 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा और एनसीपी ने सरकार तो जरूर बनायी थी, लेकिन तीन दिन बाद ही तख्ता पलट हो गया और भाजपा को उस समय मुंह की खानी पड़ी। जब शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने एक नये गठबंधन महाविकास अघाड़ी के बैनर तले सरकार बनायी। लेकिन यहां भाजपा चुप कहां बैठने वाली थी। मोदी ने अपने सबसे विश्वासपात्र देवेंद्र फणनवीस को तख्ता पलट के लिए लगाया। फिर क्या, देवेंद्र फणनवीस अपने मिशन में लग गए और किला फतह करने के लिए काशी भी आए और बाबा विश्वनाथ की शरण में गए। यहीं नहीं, उन्होंने कई अन्य देवी-देवताओं की भी शरण ली। उनकी मेहनत रंग लायी और फिर भाजपा अपने सहयोगी पार्टियों के साथ फिर से सरकार बनाने में कामयाब हो गयी।
देवेंद्र ने राजनीतिक चाल चलते हुए एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया और खुद उप मुख्यमंत्री का पद ग्रहण किया। देवेंद्र फणनवीस की राजनीति कूटनीति यहां सफल रही और सरकार चली। यहां यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि पूरे पांच के दौरान महाराष्ट्र के लोग बनती-बिगड़ती सरकार को देखने को विवश हुए। राजनीति के जानकारों की माने तो महाराष्ट्र में ऐसी राजनीति उथल-पुथल इसके पहले देखने को नहीं मिली थी। राज्य की जनता ने एक के बाद एक कई सियासी झटके देखे।
लेकिन क्या जनता इन झटकों को पचा पाएगी, यह आने वाले हफ़्तों में साफ हो जाएगा। क्योंकि बीते 16 अक्टूबर से शुरू हो गयी महाराष्ट्र की सियासी जंग। महाराष्ट्र में 288 सीटों पर विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। सभी राजनीतिक पार्टियों ने जीत के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। वर्तमान में महाराष्ट्र में भाजपा गठबंधन की सरकार है। ऐसे में भाजपा ने अन्य राज्यों के स्टार प्रचारकों को महाराष्ट्र में प्रचार की कमान सौंपी है। लेकिन क्या भाजपा अपने सहयोगी दलों के साथ महाराष्ट्र में बहुमत से सरकार बना पाएगी। यह एक यक्ष प्रश्न है, जो जनता के दिलों-दिमाग में क्रौंध रहा है या यूं कहे कि घुमड़ रहा है।
राजनीतिक विशेषज्ञ भी इसको लेकर बहुत आश्वस्त नहीं है। कहने को तो भाजपा आज दौड़ रही तो वह सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बदौलत। पार्टी में कोई अन्य चेहरा ऐसा नहीं है, जो महाराष्ट्र की सरजमीं पर कोई अप्रत्याशित गुल खिला सके। मोदी के बाद सारा दारोमदार देवेंद्र फणनवीस पर है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि भाजपा और उनकी सहयोगी पार्टियों के लिए महाराष्ट्र का चुनाव अबकी आसान नहीं होगा।
महाराष्ट्र की 288 सीटों के लिए 20 नवम्बर को सिंगल फेज में वोटिंग है। इसके नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। ऐसे में यहां की सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने रविवार को 99 कैंडिडेट्स की पहली लिस्ट जारी की है। जिसमें शीर्ष नेतृत्व ने 79 पुराने चेहेरों पर दांव लगाया है। इनमें 10 SC-ST, 13 महिलाएं व 10 मंत्रियों को भी टिकट गया है। वर्तमान मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस नागपुर दक्षिण-पश्चिम से लड़ेंगे। वहीं अन्य विपक्षी दलों ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
बीजेपी की इस लिस्ट में 5 वर्तमान विधायकों के टिकट कटे हैं। इस लिस्ट में किसी भी मुस्लिम प्रत्याशी का नाम नहीं है। जिसके कारण मुस्लिम समाज भाजपा से दूर होता नजर आ रहा है। हालांकि बीजेपी इस बार भी कई चुनावों की तरह केंद्र और राज्य सरकार के ओर से जारी योजनाओं के माध्यम से लोगों को जोड़ने की कोशिश में है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त हो रहा है। महाराष्ट्र में वर्तमान में जो स्थिति नजर आ रही है। उससे देखकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा हो रही है कि सत्ता विरोधी लहर और 6 बड़ी पार्टियों के बीच बंटने वाले वोट को साधना एक बड़ी चुनौती साबित होगी। हालांकि दूसरी ओर यह भी चर्चा है कि हरियाणा विधानसभा में जीत के बाद महाराष्ट्र में बीजेपी को बहुमत मिलने की संभावनाएं हैं।
10 सालों में आधे सीटों पर सिमटी बीजेपी
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि भाजपा लोकसभा चुनाव के नतीजों से काफी सबक ले रही है। इसके लिए पार्टी हर दांव फूंक-फूंक कर चल रही है। लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 सीटों में INDIA गठबंधन को 30 और NDA को 17 सीटें मिली थीं। इनमें बीजेपी को 23 सीटों का नुकसान हुआ था। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में NDA को 41 और 2014 में यह आंकड़ा 42 सीटों का था। यानी 10 सालों में बीजेपी आधे से भी कम सीटों पर आ गई। इसी कारण से बीजेपी हर के दांव संभल कर चल रही है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि इस बार भी महाराष्ट्र चुनाव पीएम मोदी के चेहरे और देवेंद्र फणनवीस के कन्धों पर लड़ा जायेगा।
BJP को शिकस्त देने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहा INDIA गठबंधन
दूसरी ओर विपक्षी दल भी इस बार सत्ता पलट की तैयारी में हैं। विपक्षी नेता महाराष्ट्र में अपनी सरकार बनाने को एड़ी चोटी का जोर लगाए पड़े हुए हैं। उद्धव ठाकरे कांग्रेस के साथ मिलकर बीजेपी को मात देने की तैयारी में हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन देखते हुए कांग्रेस अधिक से अधिक सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी। हालांकि कांग्रेस ने अभी तक अपने प्रत्याशियों की कोई लिस्ट जारी नहीं की है। सूत्रों की मानें तो सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस और उद्धव ठाकरे में तनातनी चल रही है। जिसके कारण अभी तक प्रत्याशी फाइनल नहीं हो पाए हैं।
सीट बंटवारे से उद्धव नाराज !
सूत्र बताते हैं कि महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी (MVA) में सीट बंटवारे को लेकर जंग छिड़ी हुई है। उद्धव ठाकरे सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस से नाराज हैं और प्लान B पर काम कर रहे हैं। उद्धव की पार्टी शिवसेना (UBT) की तैयारी सभी 288 सीटों पर प्रत्याशी उतारने की है। इसके लिए पार्टी आंतरिक स्तर पर अपने प्रत्याशी उतार रही है। कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस से बात नहीं बनी तो उद्धव ठाकरे अपने बल पर चुनाव लड़ सकते हैं।
महाराष्ट्र की वर्तमान स्थिति
महाराष्ट्र में वर्तमान में 288 सीटों में सत्ताधारी गठबंधन के पास कुल 202 सीटें हैं। जिनमें 102 सीटें बीजेपी के पास हैं। वहीं शिंदे गुट की शिव सेना के पास 38, NCP (अजीत पवार) के पास 40, निर्दलीय के पास 40 और अन्य दलों के पास सीटों की संख्या 8 है। वहीं विपक्षी दलों में कांग्रेस के पास मौजूदा सीटों की संख्या 37, उद्धव गुट शिव सेना के पास 16, NCP (शरद पवार) गुट के पास 12, अन्य दल के पास 1, AIMIM के पास 2, सपा (समाजवादी पार्टी) के पास 2, CPI (M) के पास केवल 1 सीट है। वर्तमान में विधानसभा की 15 सीटें खाली हैं।