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साथ आए भागवत और योगी: ‘हिंदुत्व ब्रांड’ से साधेंगे ‘विधानसभा’, मुस्लिमों की भी होगी अहम भागीदारी, जानिए बीजेपी का पूरा मास्टरप्लान 

लखनऊ/वाराणसी। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा अब एक-एक कदम फूंक फूंक कर रख रही है। लोकसभा के दौरान हुई भाजपा और आरएसएस की नाराजगी के बाद भाजपा अब संबंधों में मिठास लाने में जुटी हुई है। यूपी में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा आरएसएस के साथ हिंदू वोटों को साधने में जुट गई है। भाजपा और आरएसएस ने साथ मिलकर आगामी विधानसभा चुनाव में हिंदू वोट साधने का जिम्मा लिया है। 


भाजपा के लिए कहा जाता है कि भाजपा की राजनीति का रोडमैप आरएसएस ही तैयार करता है। इसके साथ ही भाजपा के लिए आरएसएस चुनावी एजेंडा भी सेट करता है। कुल मिलाकर आरएसएस के बिना भाजपा का हाल अनाथ बच्चे जैसा हो जाता है। लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा और आरएसएस के अनबन की खबरें आई थीं। माना जा रहा था कि संघ प्रमुख भाजपा में टिकट बंटवारे को लेकर नाराज थे। चुनावी विश्लेषक बताते रहे कि भाजपा को आरएसएस की अनदेखी करना महंगा पड़ा है। इसी कारण भाजपा को चुनाव में 63 सीटों का नुकसान हुआ था। लेकिन अब लोकसभा के नतीजों से सबक लेते हुए भाजपा आरएसएस साथ मिलकर काम करने वाले हैं। 

 


राजनीति के जानकारों की मानें तो यूपी में भाजपा एक बार फिर से खाटी हिंदुत्व की ओर लौट रही है। इसी कारण से भाजपा को आरएसएस की आवश्कता है। यह तब जब योगी आदित्यनाथ का ‘संत और सत्ता’ एवं ‘बटेंगे तो कटेंगे’ वाला बयान काफी चर्चा में है। इसी क्रम में सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने बीते दिनों मथुरा में डॉ. मोहन भागवत से मुलाकात की। बंद कमरे में दोनों नेताओं की घंटों मीटिंग चली। इस मीटिंग में क्या-क्या हुआ, यह आधिकारिक रूप से सामने तो नहीं आया, लेकिन कयास लगाए गए कि भाजपा फिर से हिंदुत्व के मुद्दे को लेकर विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई। इस मीटिंग में यूपी के पूरा चुनावी समीकरण तैयार किया गया। 


जातियों में बंटा है हिंदू समाज


सूत्रों की मानें तो विधानसभा चुनाव से पहले आरएसएस के फोकस जातियों में बंटे हिन्दुओं को जोड़ना है। योगी आदित्यनाथ पहले ही कह चुके हैं – ‘बंटेंगे तो कटेंगे’। आरएसएस का मानना है कि यूपी में हिन्दुओं को जातियों में बंटने से रोकना होगा, क्योंकि इससे समाज में गिरावट आती है। संघ इस बार युवाओं को राष्ट्रवाद का संदेश देकर एकजुट करने की तैयारी में है। 


2025 तक यूपी के हर गांव में पहुँचने की तैयारी


संघ 2025 तक अपनी शाखाओं के माध्यम से गांव-गांव तक पहुंचेगा। इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा। क्योंकि आरएसएस का यह प्लान सफल होने पर बीजेपी के वोटबैंक में बिखराव नहीं होगा। इस अभियान के तहत स्वयंसेवक घर-घर जाएंगे और लोगों को आरएसएस के बारे में बताएंगे। माना जा रहा है कि आरएसएस इसके लिए सदस्यता अभियान भी चला सकता है। जिसके तहत आंकड़े भी पूरी तरह स्पष्ट हो जाएंगे। आरएसएस इस अभियान के तहत युवाओं को जोड़ेगा। संघ का मानना है कि ऐसा होने से युवा इंटरनेट गेमिंग और क्राइम की दुनिया से दूर रहेंगे। इसके साथ ही उनके भीतर अभिभावकों के आदर सम्मान का भी भाव प्रकट होगा। मानना है कि विचारधारा ही लोगों को गलत रास्ते पर जाने से रोक सकती है।

 


यूपी के मदरसों में भी करेंगे तांक-झांक !


सूत्रों की मानें तो आरएसएस इस अभियान में केवल हिंदू ही नहीं, बल्कि मुस्लिमों को भी जोड़ सकती है। इसके लिए आरएसएस जल्द ही अपने मुस्लिम मंच को दिशा-निर्देश जारी करेगा। जानकारों की मानें तो आरएसएस के स्वयंसेवक मदरसों की भी जानकारी इकठ्ठा करेंगे कि मदरसों में क्या पढ़ाया जा रहा है। इसके बाद वहां के बच्चे हाई एजुकेशन में जा सकेंगे या नहीं? इसके लिए अभिभावकों को भी जागरूक किया जायेगा। 


आरएसएस अपनी शाखाओं को यूपी के गांव-गांव तक लगाने जा रहा है। जिससे भारतीय संस्कृति और नागरिक समाज के आदर्श मूल्यों को बढ़ावा मिल सके। शाखा के जरिए लोगों को व्यायाम और अनुशासन की भी शिक्षा दी जाएगी। इसके साथ ही लोग आत्मरक्षा के गुर भी सीखेंगे। जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलने वाला है।

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