जिंदा को मुर्दा बताकर पेंशन रोकी, घूस लेने वाले दो अफसरों पर केस दर्ज, प्रधानमंत्री आवास योजना में की थी धांधली

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वाराणसी। राजातालाब इलाके में समाज कल्याण विभाग से जुड़ा एक गंभीर भ्रष्टाचार मामला सामने आया है, जिसमें जीवित बुजुर्ग को कागज़ों में मृत दिखाकर उसकी वृद्धावस्था पेंशन बंद कर दी गई। इस फर्जीवाड़े की शुरुआत एक रिश्वतखोरी प्रकरण से हुई, जिसकी शिकायत करने पर अफसरों ने पीड़ित को ही सज़ा देने की ठान ली। अब पीड़ित बुजुर्ग की कोर्ट की शरण लेने के बाद दो अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज किया गया है।


आवास योजना के नाम पर मांगी रिश्वत, फिर शुरू हुई उत्पीड़न की कहानी


राजातालाब के दुर्गा प्रसाद पाण्डेय, उम्र 70 वर्ष, प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत आवास पाने के पात्र थे। वर्ष 2024 में जब आवंटन की प्रक्रिया चल रही थी, उस दौरान ग्राम विकास अधिकारी अंजनी सिंह सत्यापन के लिए पहुंचे। आरोप है कि उन्होंने योजना का लाभ दिलाने के लिए दुर्गा प्रसाद से ₹20,000 की मांग की, जो मजबूरी में बुजुर्ग ने दे दिए। लेकिन इसके बाद भी रिश्वत की भूख नहीं मिटी – अधिकारी ने और ₹10,000 मांगे। असमर्थता जताने पर उन्हें धमकी दी गई कि यदि पैसा नहीं दिया गया तो उनका आवास आवंटन रद्द कर दिया जाएगा।

 


दुर्गा प्रसाद ने इस रिश्वतखोरी की शिकायत उच्चाधिकारियों से की। उनकी शिकायत पर भले ही आवास योजना में उन्हें लाभ मिल गया, लेकिन इसी के बाद उनके साथ प्रशासनिक प्रताड़ना की शुरुआत हो गई।


पेंशन रोकने के लिए "मृत घोषित" कर दिया


शिकायत से तिलमिलाए ग्राम विकास अधिकारी अंजनी सिंह और समाज कल्याण विभाग के तत्कालीन एडीओ प्रमोद पटेल ने साजिशन दुर्गा प्रसाद को दस्तावेज़ों में मृत घोषित कर दिया। इसके चलते उनकी वृद्धावस्था पेंशन अक्तूबर 2024 से बंद कर दी गई। जब बैंक खाता चेक करने पर पेंशन की राशि नहीं आई, तो बुजुर्ग खुद बैंक पहुंचे। वहां उन्हें पता चला कि समाज कल्याण विभाग के रिकॉर्ड में वे मृत घोषित कर दिए गए हैं।


दफ्तरों के चक्कर काटे, पर कहीं सुनवाई नहीं हुई


अपनी पेंशन फिर से शुरू कराने के लिए दुर्गा प्रसाद पाण्डेय ने विकास भवन और समाज कल्याण कार्यालय के चक्कर लगाए, मगर किसी ने उनकी फरियाद नहीं सुनी। पुलिस थाने भी गए, लेकिन वहां भी मामला दर्ज नहीं हुआ। जब सभी दरवाज़े बंद हो गए, तो वे कोर्ट की शरण में पहुंचे।


न्यायपालिका का हस्तक्षेप, FIR दर्ज


कोर्ट में मामला प्रस्तुत होने के बाद पूरे घटनाक्रम की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय ने राजातालाब थाने को ग्राम विकास अधिकारी अंजनी सिंह और एडीओ प्रमोद पटेल के विरुद्ध केस दर्ज कर जांच शुरू करने का आदेश दिया। कोर्ट के निर्देश पर पुलिस ने इन दोनों अफसरों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 198 (झूठा प्रमाण देना), 201 (साक्ष्य नष्ट करना), 337, 336(3), 340(2) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 और 3 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर लिया है।

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