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Ajay Singh Murder Case: इधर मुख़्तार की मौत, उधर 14 साल बाद मन्ना सिंह की तस्वीर पर चढ़ाई माला, गाजीपुर में दिनदहाड़े गोलियों से भूनकर हुई थी हत्या, परिवार बोला – अब मिली शांति
Ajay Singh Murder Case: यूपी में कभी खौफ का दूसरा नाम रहे मुख्तार अंसारी की बांदा जेल में हार्ट अटैक आने से मौत हो गई। इसके बाद एक परिवार में खुशी के आंसू छलक पड़े। यह परिवार मऊ जनपद के ठेकेदार मन्ना सिंह पूर्व अजय प्रकाश सिंह का है। मुन्ना सिंह को वर्ष 2009 में दिनदहाड़े गोली मारकर मौत के घाट उतारा गया था। बाद में साजिशकर्ताओं में मुख्तार अंसारी का नाम सामने आया था।
28 मार्च को जब मुख्तार की मौत की खबर सामने आई, तो अजय सिंह के बेटे विकास सिंह ने अपने पिता की तस्वीर पर 14 साल में पहली बार फूल माला चढ़ाई और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद परिवार की आंख से खुशी के आंसू छलक पड़े। मन्ना सिंह की पत्नी ने कहा मुझे आज शांति मिली है। मेरे पति की आत्मा को भी आज शांति मिली है। मुझे भगवान पर भरोसा था और आज न्याय मिला है। मेरे पति की हत्या केवल इसलिए करवा दी गई क्योंकि वह मुख्तार अंसारी से डरते नहीं थे।
मुन्ना सिंह की पत्नी ने बताया कि घटना के वक्त उनके बच्चे बहुत छोटे-छोटे थे। जब भी उन्हें स्कूल से आने में देर होती थी, तो मुन्ना सिंह के साथ जो हुआ उसे सोच-सोच कर बच्चों की चिंता बनी रहती थी।
Ajay Singh Murder Case: जब गवाही से पलट गया शबीर
मन्ना सिंह के चचेरे भाई अशोक सिंह ने एक मीडिया चैनल से बात करते हुए बताया कि कैसे मुख्तार ने उनके भाई और साथ में मौजूद गनर की हत्या करवाई और बाद में गवाहों को भी मौत के घाट उतारा। इसके अलावा अशोक सिंह ने शब्बीर नाम के एक शख्स की भी जानकारी दी। अशोक सिंह ने बताया कि उनके भाई की हत्या के समय गनर राजेश राय के अलावा ड्राइवर शब्बीर भी घायल हुआ था। जिसे उनके भाई ने नौकरी दी थी। लेकिन जब कोर्ट में गवाही देने का मौका आया, तो वहीँ शब्बीर पक्षद्रोही हो गया और मुख्तार के पक्ष में अपनी गवाही दे दी।
15 साल पहले सरेराह हुई थी हत्या
प्रकरण के मुताबिक, 29 अगस्त 2009 को मऊ जनपद के गाजीपुर तिराहे पर मन्ना सिंह की हत्या हुई थी। घटना के वक्त मुन्ना सिंह अपने गनर राजेश राय के साथ थे। दोनों को बाइक सवार हमलावरों ने गोली मार कर मौत के घाट उतार दिया। बाद में इस हत्याकांड में मन्ना के भाई हरेंद्र सिंह ने मऊ सदर से विधायक मुख्तार अंसारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में अंसारी के अलावा हनुमान पांडे, कल्लू सिंह और उमेश सिंह को भी आरोपी बनाया गया था।
चश्मदीद की भी हुई हत्या
जब केस की सुनवाई शुरू हुई तो चश्मदीद राम सिंह मौर्य की 19 मार्च 2010 में मऊ शहर में हत्या कर दी गई। उनके साथ उनकी सुरक्षा में तैनात कांस्टेबल सतीश को भी मौत के घाट उतारा गया था। बाद में यह केस कोर्ट में चला तो मुख्तार अंसारी समेत 8 लोगों को बाइज्जत छोड़ दिया गया। फिर तीन आरोपी दोषी माने गए, जिन्हें उम्र कैद की सजा हुई और जुर्माना लगाया गया।
बता दें कि यूपी के कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी की बांदा जेल में हार्ट अटैक के कारण मौत हो गई। 28 मार्च को अचानक मुख्तार बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ा। उसकी हालत देख मौके पर जेल के डॉक्टरों को बुलाया गया। जिन्होंने शुरुआती इलाज का प्रयास किया लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। आखिरकार मुख्तार को कड़ी सुरक्षा के बीच बांदा मेडिकल कॉलेज लाया गया, जहां डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया।