मोकामा में गैंगवार: बाहुबली अनंत सिंह के पुराने घाव फिर से हुए हरे, वर्चस्व के लिए पूर्व विधायक पर फायरिंग, पुराना है खून-खराबे और षड्यंत्रों का इतिहास

पटना के मोकामा में एक बार फिर अपराध और वर्चस्व की जंग की गूंज सुनाई देने लगी है। पूर्व बाहुबली विधायक अनंत सिंह पर फायरिंग के बाद इस वर्चस्व की लड़ाई तेज हो गई है। अनंत और सोनू-मोनू गिरोह के बीच लंबे समय से चली आ रही दुश्मनी ने एक बार फिर से नया मोड़ ले लिया है। इन दोनों के बीच टकराव की यह कोई पहली घटना नहीं है। पहले भी इनके बीच कई बार खून-खराबे और षड्यंत्रों की कहानियां सामने आ चुकी हैं।


अनंत सिंह और सोनू-मोनू गिरोह के बीच दुश्मनी का इतिहास काफी पुराना है। 2017 में सोनू-मोनू गिरोह ने अनंत सिंह को मारने की योजना बनाई थी। इसके लिए मोनू ने मुंगेर से 6 लाख रुपये में एके-47 राइफल खरीदी और सोनपुर में हत्या का षड्यंत्र रचा। न सिर्फ अनंत सिंह बल्कि उनके सहयोगी मणि सिंह को भी इस साजिश का शिकार बनाने की योजना थी। हालांकि, पुलिस की तत्परता के कारण यह योजना नाकाम रही और मोनू को गिरफ्तार कर लिया गया।


2018 में एक बार फिर से अनंत सिंह को मारने की साजिश रची गई। इस बार गिरोह ने 50 लाख रुपये की सुपारी लेकर हत्या की योजना बनाई थी। लेकिन पुलिस ने समय रहते मोनू और उसके साथी निलेश को गिरफ्तार कर लिया, जिससे यह मंसूबा भी ध्वस्त हो गया।

 


मुख्तार अंसारी से थे पुराने संबंध


सोनू-मोनू गिरोह का नेटवर्क न केवल बिहार बल्कि उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और दिल्ली तक फैला हुआ है। इस गिरोह के उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी से संबंध होने की बात भी सामने आई है। 2018 में गिरफ्तारी के दौरान मोनू ने पटना पुलिस के सामने इस बात को स्वीकार किया था।


कुख्यात अपराधी: सोनू और मोनू


सोनू और मोनू, जो नौरंगा गांव के निवासी हैं, मोकामा क्षेत्र के कुख्यात अपराधियों में गिने जाते हैं। इन पर हत्या, अपहरण, फिरौती और ट्रेन लूट जैसे 12 से अधिक गंभीर मामलों के आरोप हैं। 2009 में ट्रेन लूट के बाद से ही इनका आतंक बढ़ने लगा था। मोकामा जीआरपी में इनके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं।


अनंत सिंह और गिरोह के बीच रिश्ते का उतार-चढ़ाव


अनंत सिंह और सोनू-मोनू के बीच दुश्मनी के बावजूद एक समय ऐसा भी आया जब उनके संबंध सामान्य होने के संकेत मिले थे। अनंत सिंह के जेल से रिहा होने के बाद मोनू उनसे मिलने गया था। गांव वालों को उम्मीद थी कि दोनों के बीच तनाव खत्म हो जाएगा, लेकिन यह स्थायी नहीं रहा। जल्द ही दोनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई फिर शुरू हो गई।

 


2022 में अनंत सिंह के पैतृक घर से पुलिस ने एके-47 राइफल, हैंड ग्रेनेड और 27 गोलियां बरामद की थीं। इससे पहले उनके सरकारी आवास से इंसास राइफल की मैगजीन और बुलेटप्रूफ जैकेट बरामद हुई थी।


अनंत सिंह: 90 के दौर में रॉबिनहुड लेकिन फिर विवादों ने धूमिल की छवि


अनंत सिंह का नाम विवादों से कभी अछूता नहीं रहा। मात्र 9 साल की उम्र में उन्हें पहली बार हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 15 साल की उम्र में उन्हें दूसरी बार जेल जाना पड़ा। अब तक उनके खिलाफ 39 मामले दर्ज हो चुके हैं, जिनमें हत्या, अपहरण, आर्म्स एक्ट और यूएपीए जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं।


अनंत सिंह ने मोकामा के टाल क्षेत्र में दबदबा बनाने के लिए अपने चार भाइयों के साथ कम उम्र में ही हथियार उठाए। इसके कारण उन्हें "छोटे सरकार" के नाम से पहचाना जाने लगा। 90 के दशक में उनकी छवि एक रॉबिनहुड जैसी थी, लेकिन समय के साथ विवादों ने उनकी छवि को धूमिल कर दिया।


अनंत और सोनू-मोनू गैंग के बीच संघर्ष की लड़ाई कानून के लिए चुनौती


मोकामा क्षेत्र में वर्चस्व की लड़ाई अब भी जारी है। अनंत सिंह और सोनू-मोनू गिरोह के बीच संघर्ष ने न केवल इलाके में भय का माहौल पैदा किया है, बल्कि कानून-व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए हैं। दोनों पक्षों के बीच पुराने विवाद और व्यक्तिगत दुश्मनी इस गैंगवार को हवा दे रहे हैं।


यह साफ है कि इन गिरोहों के बीच तनाव खत्म होने की उम्मीद जल्द नहीं की जा सकती। मोकामा की सड़कों पर चल रही यह लड़ाई एक बार फिर से इलाके को अपराध की चपेट में ले रही है।

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