वाराणसी। पांच साल तक बीएचयू अस्पताल में इलाज का दावा करते रहे कुख्यात माफिया सुभाष ठाकुर को सोमवार को फतेहगढ़ सेंट्रल जेल भेज दिया गया। अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का कभी गुरु रह चुका ठाकुर अब जेल में आजीवन कारावास की सजा काटेगा। पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल द्वारा गठित 12 डॉक्टरों के पैनल ने उसे पूरी तरह स्वस्थ पाया। हालांकि, ठाकुर खुद को बीमार बताने की कोशिश करता रहा, लेकिन जांच में इसे आधारहीन करार दिया गया।
बीएचयू में लंबे समय तक रहा भर्ती
दिसंबर 2019 में ठाकुर बीएचयू में इलाज के लिए भर्ती हुआ। उसने खुद को गुर्दे, पेट और आंखों की गंभीर बीमारियों से पीड़ित बताया था। इसके बावजूद जांच दल को ऐसा कोई ठोस कारण नहीं मिला, जिससे उसे अस्पताल में रखना जायज ठहराया जा सके। बावजूद इसके, वह लगातार अस्पताल में ही रहा। खुफिया एजेंसियों ने उसकी गतिविधियों पर नजर रखी और रिपोर्ट भी शासन को सौंपी, लेकिन उसे अस्पताल से नहीं हटाया जा सका।
90 के दशक का कुख्यात चेहरा
वाराणसी के फूलपुर थाना क्षेत्र के नेवादा गांव निवासी सुभाष सिंह ठाकुर उर्फ सुभाष राय उर्फ बाबा, 90 के दशक में मुंबई अंडरवर्ल्ड का बड़ा नाम था। 1992 में हत्या, हत्या के प्रयास और टाडा एक्ट के तहत उसे दोषी करार दिया गया था। वर्ष 2000 में मुंबई की एक अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
पुलिस आयुक्त ने बताया कि मेडिकल जांच के बाद यह स्पष्ट हो गया कि सजायाफ्ता कैदी सुभाष ठाकुर पूरी तरह से स्वस्थ है। इसके बाद उसे फतेहगढ़ सेंट्रल जेल भेज दिया गया।
मुंबई और दिल्ली में दर्जनों मुकदमे
मुंबई में काम की तलाश में गए ठाकुर ने जल्द ही बिल्डरों से रंगदारी वसूलने और हत्या के अपराधों में कदम रख दिया। मुंबई और दिल्ली में उसके खिलाफ हत्या और हत्या के प्रयास समेत 10 केस दर्ज हैं। इनमें से एक केस में वह आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। चार मामलों में वह अदालत से दोषमुक्त हो चुका है।
वाराणसी में उसके खिलाफ केवल दो मुकदमे दर्ज हैं। फूलपुर थाने में 1982 में और शिवपुर थाने में 1991 में आर्म्स एक्ट के मामले दर्ज हुए थे। हालांकि, फूलपुर के मुकदमे की फाइल गायब हो गई, जबकि शिवपुर का मामला अभी अदालत में लंबित है।
दाऊद का गुरु, बाद में बना दुश्मन
कभी सुभाष ठाकुर को अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का गुरु कहा जाता था। लेकिन 1993 में मुंबई बम धमाकों के बाद दोनों के रास्ते अलग हो गए। 1992 में अरुण गवली के गुर्गों द्वारा दाऊद के बहनोई इस्माइल इब्राहिम पारकर की हत्या के बाद, बदला लेने के लिए जेजे हॉस्पिटल में 12 सितंबर 1992 को सुभाष ठाकुर के इशारे पर फायरिंग हुई, जिसमें गवली गैंग के शूटर और दो पुलिसकर्मी मारे गए थे।
इस घटना के बाद ठाकुर का नाम मुंबई के अपराध जगत में और ज्यादा बड़ा हो गया। हालांकि, इसी के साथ ठाकुर और दाऊद के बीच दरारें पड़ने लगीं। 2017 में, वाराणसी की अदालत में ठाकुर ने खुद पर दाऊद से जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा के लिए बुलेटप्रूफ जैकेट की मांग की थी।
बिल्डर की हत्या की साजिश अस्पताल से रची
मुंबई के विरार इलाके में फरवरी 2022 में बिल्डर समय चौहान की दिनदहाड़े हत्या की गई। मिरा-भाईंदर और वसई-विरार पुलिस के अनुसार, इस हत्याकांड की साजिश सुभाष ठाकुर ने बीएचयू अस्पताल में रहकर रची थी। शूटरों को पूर्वांचल से बुलाकर इस घटना को अंजाम दिया गया।
अस्पताल में ‘गुप्त अड्डा’ बना रखा था
बीएचयू में रहते हुए ठाकुर ने अपने अस्पताल के कमरे को एक तरह से अड्डे में बदल दिया था। वहां उसकी सुरक्षा के लिए पुलिस कर्मियों के साथ ही बड़ी संख्या में उसके लोग भी रहते थे। आम आदमी तो उसके कमरे के आसपास रुककर बात करने की हिम्मत तक नहीं कर सकता था।
अब जेल में काटेगा जीवन की बाकी सजा
आखिरकार, पांच साल तक अस्पताल में रहने के बाद कानून ने अपना काम किया। मेडिकल रिपोर्ट में पूरी तरह स्वस्थ पाए जाने के बाद उसे जेल भेजा गया। यह माफिया अब अपनी सजा का बाकी हिस्सा जेल में काटेगा।