वाराणसी। सावन के पहले दिन श्री काशी विश्वनाथ धाम आस्था और श्रद्धा से गुलजार रहा। बाबा की मंगला आरती के बाद से ही दर्शन के मंदिर के कपाट खोल दिए गये। इस दौरान बाबा की एक झलक पाने को भक्तों का रेला उमड़ पड़ा।

काशी विश्वनाथ मंदिर के अध्यक्ष व कमिश्नर एस. राजलिंगम ने भक्तों पर फूल बरसाकर उनका अभिवादन किया। उनके साथ मंदिर के सीईओ विश्वभूषण मिश्रा और एसडीएम शंभू शरण मिश्रा ने भी भक्तों पर फूल बरसाए। इस दौरान मंदिर परिसर में हर हर महादेव का उद्घोष होता रहा।

सावन के प्रथम दिवस पर मंदिर परिसर में तीन नवाचारों का शुभारंभ हुआ। पहले चरण में मंदिर प्रांगण के भीतर स्थित भगवान विश्वनाथ, भगवान दंडपाणि और भगवान वैकुण्ठेश्वर के तीन शिखरों के सम्मुख श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा की गई। इस क्रम में न केवल देव शिखरों की आराधना की गई, बल्कि श्रद्धालुओं का भी पुष्पों के साथ स्वागत कर एक सौंदर्यमयी माहौल की सृष्टि की गई।

.jpeg)
दूसरे चरण में मुख्य गर्भगृह से लेकर मंदिर परिसर में स्थित भगवान बद्रीनारायण मंदिर तक हरि-हर की काशी परंपरा को प्रतिबिंबित करते हुए भक्तों पर पुष्प वर्षा की गई। यह चरण न केवल शैव और वैष्णव परंपराओं के समन्वय का प्रतीक बना, बल्कि इसे देखकर भक्तों के मन में विशेष आध्यात्मिक भावनाओं का संचार हुआ।

तीसरे और अंतिम चरण में मंदिर न्यास द्वारा तीन पुष्प थाल माँ अन्नपूर्णा को समर्पित किए गए। इन थालों में समर्पित पुष्प पत्रदल को दिन भर भक्तों को माँ अन्नपूर्णा के अक्षत प्रसाद के साथ एक विशेष उपहार स्वरूप प्रदान किया गया। यह चरण मातृशक्ति को समर्पित रहा। उल्लेखनीय है कि शैव परंपरा में ‘तीन’ अंक का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। भगवान शिव ब्रह्मा, विष्णु और महेश के त्रैविध्य स्वरूप माने जाते हैं। त्रिशूल, त्रिपुण्ड और त्रिदल बेलपत्र जैसे तत्व शिव आराधना के आधार हैं। इसी शैव परंपरा की गहराई को ध्यान में रखते हुए तीन देवशिखरों, तीन पुष्प थालों और तीन चरणों में यह नवाचार आयोजित किया गया।

पिछले वर्षों में भी काशी विश्वनाथ धाम में महाशिवरात्रि और श्रावण सोमवार को श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा की परंपरा रही है, लेकिन इस वर्ष इसे संगठित, सुसज्जित और प्रतीकात्मक ढंग से तीन चरणों में विस्तारित किया गया।