चंदौली। जनपद में विश्व संगीत दिवस के उपलक्ष्य में चेतना सांस्कृतिक मंच की ओर से आयोजित “एक शाम वीर सैनिकों के नाम” कार्यक्रम देशभक्ति, श्रद्धांजलि और सांस्कृतिक चेतना का एक प्रभावशाली संगम बन गया। इस आयोजन का उद्देश्य न केवल सुरों के माध्यम से देश के लिए बलिदान देने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करना था, बल्कि देशवासियों को एकजुट होकर राष्ट्र रक्षा के लिए मानसिक, सामाजिक और वैचारिक रूप से तैयार रहने का संदेश भी देना था। पहलगाम आतंकी हमले और अहमदाबाद विमान हादसे में जान गंवाने वाले वीरों की स्मृति में आयोजित यह कार्यक्रम उन तमाम परिवारों के प्रति कृतज्ञता और संवेदना का भाव लिए हुए था, जिन्होंने राष्ट्र की रक्षा में अपनों को खोया है।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और गणेश वंदना के साथ हुआ। इसके बाद मंच पर राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत गीतों की सजीव प्रस्तुतियों ने पूरे वातावरण को उत्साह और श्रद्धा से भर दिया। गीतकारों ने अपने कंठों से शहीदों की वीरगाथाओं को जीवंत कर दिया, जिससे दर्शकों की आंखें नम हो गईं और हृदय गौरव से भर उठा। इस मौके पर मंच की ओर से 30 पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया गया। इनमें सबसे वरिष्ठ रहे सूबेदार आर.बी. गुप्ता और हवलदार अशरफ अली, जिन्होंने देश सेवा में अपने जीवन के अमूल्य वर्ष समर्पित किए। उनके सम्मान से युवाओं में प्रेरणा की लहर दौड़ गई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती। उन्होंने अपने प्रखर और स्पष्ट वक्तव्य से न केवल वर्तमान राष्ट्रीय परिस्थितियों पर प्रकाश डाला, बल्कि कई ज्वलंत मुद्दों पर लोगों को चेताया भी। उन्होंने पाकिस्तान की मुस्लिमों के प्रति कथित हमदर्दी पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि पाकिस्तान कभी भी मुसलमानों का सच्चा हितैषी नहीं रहा है। अगर वह होता, तो ईरान के मुसलमानों के खिलाफ अमेरिका से हाथ न मिलाता। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ही एकमात्र देश है जहां हर धर्म, संप्रदाय और मत के लोगों को समान अधिकार और सम्मान प्राप्त है।
स्वामी जी ने राजनीतिक कटाक्ष करते हुए बिना नाम लिए राहुल गांधी को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि अहमदाबाद में जो विमान हादसा हुआ, उसका वीडियो एक 16 वर्षीय किशोर ने बना लिया, लेकिन राफेल विमान सौदे पर सवाल उठाने वाले 54 वर्षीय बालक आज तक कोई प्रमाण या वीडियो नहीं दे सके। उन्होंने इसे देश के मनोबल को तोड़ने वाला कृत्य बताया। स्वामी जी ने यह भी कहा कि आने वाले पांच महीने चुनौतियों से भरे हो सकते हैं, इसलिए लोगों को थोड़ी खाद्य सामग्री सुरक्षित कर लेनी चाहिए। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले की चर्चा करते हुए कहा कि 46 लोग मारे गए, जिनमें से 28 की मौके पर ही मौत हो गई और बाकी अस्पताल में दम तोड़ बैठे। उनमें कई प्रशिक्षित अधिकारी थे, लेकिन वे आतंकियों से लड़ नहीं पाए। उन्होंने इस परिस्थिति को कायरता बताया और कहा कि भारत वीरों का देश है, इसे कमजोर नहीं पड़ने देना चाहिए।
स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने इतिहास के उदाहरणों को भी प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि कैसे महमूद गजनवी ने सोमनाथ के मंदिर को लूटा और बख्तियार खिलजी ने मात्र 16 घुड़सवारों के साथ नालंदा जैसे विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया। उन्होंने भारत की सहिष्णुता और अहिंसा की नीति पर भी सवाल उठाया कि यह कब तक केवल सहती रहेगी? उन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान डोनाल्ड ट्रंप के हस्तक्षेप का उल्लेख करते हुए कहा कि युद्ध तो हमारे सैनिक लड़ रहे थे, लेकिन दर्द अमेरिका को हो रहा था।
आर्थिक परिस्थितियों को लेकर भी उन्होंने आगाह किया कि अगला युद्ध यदि होता है तो वह केवल सीमाओं तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि महंगाई और बाजार पर भी प्रभाव डालेगा। उन्होंने देशवासियों से अपील की कि वे प्याज-टमाटर की कीमतों से अपनी देशभक्ति को कमजोर न होने दें।
उन्होंने जनसंख्या नीति पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि पहले सरकार दो बच्चों की नीति लाती है, फिर कहती है कि जिसकी जितनी संख्या, उसकी उतनी भागीदारी। उन्होंने चिंता जताई कि अगर केवल दो ही बच्चे होंगे तो न कोई सैनिक बनेगा, न कोई साधु—देश की रीढ़ कौन बनेगा? उन्होंने अग्निवीर योजना का समर्थन करते हुए बताया कि चीन में चार वर्षों की अनिवार्य सैन्य सेवा पहले से लागू है, और भारत को भी अपनी युवा पीढ़ी को देश सेवा के लिए तैयार करना चाहिए।
चेतना सांस्कृतिक मंच के संस्थापक और संयोजक डॉ. विनय कुमार वर्मा ने इस मौके पर मंच के विस्तार की भी घोषणा की। उन्होंने रेलवे से सेवानिवृत्त अतुल कुमार ओझा को चेतना भोजपुरी मंच का संयोजक और सरदार सुरेंद्र सिंह को चेतना नेत्र व अंगदान मंच का महामंत्री नियुक्त किया। दोनों को मंच पर सम्मानित किया गया, और उपस्थित लोगों ने तालियों की गूंज से उनके स्वागत में भरपूर उत्साह दिखाया।
मंच के कलाकार मनीष और अन्य संगीत साधकों ने देशभक्ति गीतों की प्रस्तुतियों से वातावरण को भाव-विभोर कर दिया। "एक शाम वीर सैनिकों के नाम" कार्यक्रम केवल श्रद्धांजलि सभा न होकर, एक वैचारिक चेतावनी भी थी कि भारत को एकजुट होकर न केवल बाहरी खतरों से, बल्कि आंतरिक वैचारिक भ्रम से भी लड़ना होगा। यह संध्या राष्ट्र के प्रति समर्पण, सम्मान और सजगता का सशक्त उदाहरण बन गई।
रिपोर्ट – बदरी गुरु