आगरा की तंग गलियों में वर्षों से फल-फूल रहा नकली दवाओं का कारोबार आखिरकार उजागर हो गया। एसटीएफ, औषधि विभाग, जीएसटी, आयकर विभाग और जिला प्रशासन की संयुक्त कार्रवाई में मोतीकटरा क्षेत्र के गोदामों से भारी मात्रा में नकली दवाएं बरामद की गईं। प्रारंभिक जांच में इनकी कीमत करीब 60 करोड़ रुपये आंकी गई है। अधिकारियों का मानना है कि यह नेटवर्क प्रदेश से लेकर पड़ोसी देशों तक फैला हुआ है।
मोतीकटरा के गोदाम बने थे जखीरे का ठिकाना
शुक्रवार को एसटीएफ और औषधि विभाग की टीम ने फव्वारा बाजार में स्थित हे मां मेडिको और बंसल मेडिकल एजेंसी के गोदामों पर छापा मारा। संकरी गलियों में बने तीन मंजिला गोदामों में दवाओं के कार्टन दर कार्टन जखीरे मिले। जब्ती की कार्रवाई के दौरान यह खुलासा हुआ कि इन दवाओं में कई जीवन रक्षक दवाएं भी शामिल हैं। कंपनियों के प्रतिनिधियों ने जांच के बाद स्पष्ट कर दिया कि जब्त की गई दवाएं उनकी नहीं हैं और सभी नकली हैं।
रिश्वत देकर बचने की कोशिश, मगर गिरफ्तारी पक्की
कार्रवाई के दौरान हे मां मेडिको का संचालक हिमांशु अग्रवाल अधिकारियों को प्रभावित करने की कोशिश में जुट गया। उसने एसटीएफ निरीक्षक यतींद्र शर्मा और सहायक औषधि आयुक्त नरेश मोहन दीपक को एक करोड़ रुपये की रिश्वत देने का प्रस्ताव रखा। अधिकारियों ने उसे रंगेहाथ पकड़ने की रणनीति बनाई और रकम मंगवाने के बाद तुरंत गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज हुआ और वर्तमान में वह मेरठ जेल में बंद है।
छह आरोपियों पर दर्ज हुआ मुकदमा
हिमांशु अग्रवाल के साथ ही कई अन्य नाम भी इस गोरखधंधे में सामने आए हैं। पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी के साथ ही विक्की कुमार (लखनऊ), सुभाष कुमार (लखनऊ), यूनिस (सुल्तानपुरा, आगरा), वारिस (सुल्तानपुरा, आगरा) और फरहान (पथौली, आगरा) को आरोपी बनाते हुए मुकदमा दर्ज किया है। इनमें से यूनिस कोरियर कंपनी का संचालक है और फरार चल रहा है।
पांच बड़ी कंपनियों की दवाओं की नकली पैकिंग
औषधि विभाग की टीम ने जिन दवाओं को जब्त किया, उनमें सन फार्मा और सनोफी समेत पांच बड़ी फार्मा कंपनियों के नाम की नकली पैकिंग मिली। कंपनियों के प्रतिनिधियों ने जांच में यह स्पष्ट किया कि पैकेजिंग और ब्रांड नाम पूरी तरह फर्जी हैं। खास बात यह रही कि दवाओं पर लगे क्यूआर कोड भी असली जैसे थे, लेकिन जांच में यह सामने आया कि हजारों स्ट्रिप पर एक ही क्यूआर कोड छपा था।
चेन्नई से आती थीं दवाएं, विदेशों तक होता था सप्लाई
जांच में यह खुलासा हुआ कि हिमांशु अग्रवाल नकली दवाओं का बेसिक स्टॉक चेन्नई से मंगवाता था। इसके बाद पैकिंग और री-लेबलिंग का काम आगरा में बने गोदामों में होता था। तैयार माल को जरूरत के हिसाब से प्रदेश के अलग-अलग शहरों के अलावा नेपाल और बांग्लादेश तक भेजा जाता था। यह सप्लाई रैकेट देश की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन चुका था।
20 साल में छोटा कारोबारी बना माफिया
एसटीएफ अधिकारियों ने बताया कि हिमांशु ने करीब 20 साल पहले बौहरे रामगोपाल मार्केट से छोटे स्तर पर दवा का कारोबार शुरू किया था। शुरुआती दौर में उसने अपने चाचा के साथ मिलकर काम किया और महज पांच साल में नकली दवाओं की ओर रुख कर लिया। करीब 15 वर्षों से वह इस धंधे में सक्रिय था और धीरे-धीरे उसने संगठित गिरोह खड़ा कर लिया।
रिश्तेदारों के नाम पर खड़ी कीं कंपनियां
हिमांशु अग्रवाल ने खुद के साथ-साथ रिश्तेदारों के नाम पर भी कंपनियां खड़ी कर रखी थीं। जांच में सामने आया कि उसने तीन अलग-अलग फर्म बनाई थीं। मोतीकटरा में उसका एक तीन मंजिला गोदाम था, जबकि दूसरा ठिकाना मुबारक महल क्षेत्र में मिला। इन कंपनियों के जरिए वह नकली दवाओं की पैकिंग और सप्लाई करता था।
लखनऊ से भी जुड़ा नेटवर्क
कार्रवाई के दौरान टीम को लखनऊ कनेक्शन भी मिला। न्यू बाबा फार्मा और पार्वती ट्रेडर्स नामक फर्मों के लाइसेंस की जांच में सामने आया कि इनके मालिक क्रमशः विक्की कुमार और सुभाष कुमार हैं। इनका नाम पहले से ही हिमांशु के नेटवर्क में सामने आ चुका है। इससे यह स्पष्ट हो गया कि नकली दवा सिंडिकेट केवल आगरा तक सीमित नहीं था, बल्कि राजधानी लखनऊ तक फैला हुआ था।
आयकर विभाग की जांच में संपत्तियां बेनकाब
हिमांशु अग्रवाल की गिरफ्तारी के बाद आयकर विभाग भी सक्रिय हो गया है। विभाग उसकी तीन कंपनियों और कई संपत्तियों का ब्योरा खंगाल रहा है। प्रारंभिक आकलन में करोड़ों की संपत्तियां सामने आई हैं। विभाग यह पता लगाने में जुटा है कि किन-किन स्रोतों से यह संपत्ति अर्जित की गई।
20 से अधिक लोग रडार पर
पूरी जांच में अब तक 20 से अधिक लोगों की संलिप्तता के संकेत मिले हैं। एसटीएफ और औषधि विभाग को फव्वारा बाजार के अन्य कारोबारियों से भी महत्वपूर्ण इनपुट मिला है। किस कारोबारी ने कितने समय में अचानक बड़ा मुनाफा कमाया? किसका कारोबार तेजी से बढ़ा? ऐसे तमाम सवालों के आधार पर संदिग्धों की सूची तैयार की गई है। अधिकारी मानते हैं कि यह नेटवर्क परत-दर-परत खुल रहा है और आगे और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं।
फरार आरोपियों की तलाश जारी
डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने बताया कि मुख्य आरोपी हिमांशु अग्रवाल जेल में है, जबकि अन्य फरार आरोपियों की तलाश लगातार जारी है। यूनिस और उसके साथियों के ठिकानों पर पुलिस दबिश दे रही है। लखनऊ स्थित फर्मों की जांच के लिए भी विशेष टीम गठित की गई है।
स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह के नकली दवा सिंडिकेट केवल आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि आम लोगों की जान के लिए भी सीधा खतरा हैं। नकली दवाओं के सेवन से मरीजों के इलाज पर गंभीर असर पड़ सकता है। खासकर जीवन रक्षक दवाओं का नकली होना समाज के लिए बड़ी चिंता का विषय है।
प्रशासन ने दिए सख्त कार्रवाई के संकेत
सहायक औषधि आयुक्त नरेश मोहन दीपक ने साफ कहा कि जांच लगातार चल रही है और जो भी इस गोरखधंधे में संलिप्त पाया जाएगा, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी। विभाग अब तक 14 नमूने जांच के लिए भेज चुका है और रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर शिकंजा और कसा जाएगा।