लखनऊ। महाराष्ट्र के समाजवादी पार्टी अध्यक्ष और विधायक अबू आजमी को बड़ी राहत मिली है। नई दिल्ली स्थित निर्णायक प्राधिकारी ने वाराणसी में उनकी कथित बेनामी संपत्तियों की जब्ती के आयकर विभाग के आदेश को खारिज कर दिया है।
यह संपत्तियां करीब दो साल पहले आयकर विभाग द्वारा विनायक ग्रुप के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान मिले साक्ष्यों के आधार पर जब्त की गई थीं। हालांकि, अब निर्णायक प्राधिकारी के इस फैसले से आयकर विभाग के अधिकारी हैरान हैं और अब वे अपीलीय न्यायाधिकरण में चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं। इसके साथ ही, अबू आजमी के कथित साझीदारों की संपत्तियों की जांच भी दोबारा शुरू करने की योजना बनाई जा रही है।
2022 में हुई थी बड़ी कार्रवाई
15 नवंबर 2022 को आयकर विभाग ने वाराणसी के विनायक निर्माण ग्रुप के साथ ही मुंबई, इंदौर, दिल्ली और कानपुर में भी छापेमारी की थी। इस दौरान मिले दस्तावेजों की जांच में सामने आया कि अबू आजमी ने विनायक ग्रुप के जरिए करीब 300 करोड़ रुपये की संदिग्ध धनराशि का निवेश किया था। हालांकि, अबू आजमी ने हमेशा इस ग्रुप से किसी भी प्रकार के कारोबारी संबंध होने से इनकार किया है।
आयकर विभाग को उनकी संलिप्तता के पर्याप्त प्रमाण मिलने के बाद बेनामी संपत्ति अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई थी। जब्त की गई संपत्तियों में विनायक ग्रुप के वरुणा गार्डन प्रोजेक्ट में अबू आजमी के 40 बेनामी फ्लैट, विनायक प्लाजा मल्टी स्टोरी कॉम्प्लेक्स के दो फ्लोर, और बैंक खातों में जमा 4.78 करोड़ रुपये शामिल थे।
आयकर विभाग के आदेश में अबू आजमी को इन संपत्तियों का वास्तविक लाभार्थी बताया गया था। हालांकि, जब्त किए गए 40 फ्लैट्स के मामले में विनायक ग्रुप ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी, जबकि अन्य संपत्तियों की जब्ती को मंजूरी के लिए निर्णायक प्राधिकारी के पास भेजा गया था। अब इस आदेश के खारिज होने से अबू आजमी को राहत मिली है, लेकिन आयकर विभाग अभी भी कानूनी लड़ाई जारी रखने के लिए तैयार है।
अग्रिम जमानत से मिली राहत
इस बीच, मुंबई की एक अदालत ने अबू आजमी को उनके खिलाफ दर्ज एक अन्य मामले में अग्रिम जमानत दे दी है। पिछले हफ्ते, मुगल बादशाह औरंगजेब को लेकर की गई एक टिप्पणी के कारण मरीन ड्राइव थाने में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
महाराष्ट्र विधानसभा से 26 मार्च तक निलंबित अबू आजमी को अदालत ने 20,000 रुपये के मुचलके पर जमानत दी। अदालत ने कुछ शर्तें भी लगाई हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य होगा।
अबू आजमी का यह बयान विवादों में आ गया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि औरंगजेब के शासनकाल में भारत की सीमाएं अफगानिस्तान और बर्मा तक फैली थीं। इस बयान को लेकर राजनीतिक विरोध शुरू हो गया था, जिसके बाद उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया था।