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UP Poltics: 3 मार्च को आ सकती है भाजपा के नए जिलाध्यक्षों की लिस्ट, हटाए जाएंगे दागी नेता, ओबीसी वर्ग को अधिक प्रतिनिधित्व मिलने की संभावना

UP Poltics: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जिलाध्यक्षों की नई सूची जारी होने की संभावना है। 3 मार्च तक इसकी घोषणा हो सकती है। पार्टी के संगठनात्मक पुनर्गठन के तहत 98 जिलों में से लगभग 29 वर्तमान जिलाध्यक्षों को बदला जाना तय है, जबकि यह संख्या बढ़कर 35 तक पहुंच सकती है। हटाए जाने वाले जिलाध्यक्षों में वे शामिल हैं जिन पर भ्रष्टाचार, अनुशासनहीनता और अन्य शिकायतें दर्ज हैं। इसके अलावा, 29 ऐसे जिलाध्यक्ष भी हटाए जाएंगे, जिन्होंने दो कार्यकाल पूरे कर लिए हैं।


वाराणसी में सबसे अधिक आवेदन, लखनऊ में सबसे कम


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में जिलाध्यक्ष पद के लिए सबसे अधिक 90 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जबकि महानगर अध्यक्ष पद के लिए 78 आवेदन आए हैं। वहीं, लखनऊ महानगर में केवल 1 आवेदन प्राप्त हुआ है, जो सबसे कम है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, प्रदेश नेतृत्व ने 80 जिलों के लिए संभावित जिलाध्यक्षों की सूची तैयार कर ली है और इसे केंद्रीय नेतृत्व को भेज दिया गया है।


भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय महासचिव संगठन बीएल संतोष इस सूची पर मंथन कर रहे हैं। अंतिम मंजूरी मिलने के बाद 3 मार्च तक पहली सूची जारी की जाएगी। पहले चरण में 70 से 80 जिलों में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की जाएगी।

 


ओबीसी वर्ग को मिलेगा अधिक प्रतिनिधित्व


भाजपा के एक पदाधिकारी के अनुसार, इस बार ओबीसी वर्ग को सबसे अधिक प्रतिनिधित्व मिलेगा। वर्तमान में, 36 जिलाध्यक्ष ओबीसी वर्ग से आते हैं, लेकिन नई सूची में यह संख्या 30 तक सिमट सकती है। हालांकि, फिर भी अन्य जातियों की तुलना में ओबीसी वर्ग के जिलाध्यक्षों की संख्या अधिक रहने की संभावना है।


भ्रष्टाचार और विरोध का सामना कर रहे नेता हटेंगे


पार्टी नेतृत्व ने उन जिलाध्यक्षों को हटाने का फैसला लिया है जिनके खिलाफ लगातार भ्रष्टाचार के आरोप और विरोध के स्वर उभर रहे हैं। अंबेडकरनगर के जिलाध्यक्ष त्रयंबक तिवारी के खिलाफ कई पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जताई है। उनकी व्यवहार संबंधी शिकायतें लंबे समय से लंबित हैं। 


रायबरेली के जिलाध्यक्ष बुद्धिलाल पासी को बुजुर्ग होने के कारण हटाया जा सकता है, क्योंकि वे 60 वर्ष की आयु सीमा पार कर चुके हैं। इसके अलावा, उनके खिलाफ भी पार्टी नेताओं द्वारा लिखित शिकायतें दर्ज कराई गई हैं। फतेहपुर के जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल पर पद दिलाने के नाम पर 50 लाख रुपये की वसूली का आरोप लगा है, जिसे लेकर पार्टी ने जांच शुरू कर दी है। लखनऊ के जिलाध्यक्ष विनय प्रताप सिंह के खिलाफ एक प्लॉट के लेन-देन में अनियमितताओं की शिकायत मिली है।


महिलाओं और अनुसूचित जाति का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा


इस बार जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में अनुसूचित जाति (एससी) और महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया गया है। वर्तमान में, 4 जिलाध्यक्ष एससी वर्ग से और 4 महिलाएं हैं, लेकिन नई सूची में इनकी संख्या 15 से 20 तक पहुंच सकती है। भाजपा नेतृत्व का मानना है कि महिला जिलाध्यक्षों की संख्या अनुसूचित जाति जिलाध्यक्षों से अधिक रहेगी।

 


प्रदेश अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों की नियुक्ति भी जल्द


जिलाध्यक्षों की सूची जारी होने के बाद, प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होगी। इसके बाद, प्रदेश पदाधिकारियों की नई टीम का गठन किया जाएगा, जिसमें 3 से 6 महीने का समय लग सकता है।


भाजपा के संगठनात्मक पुनर्गठन के तहत सभी 6 क्षेत्रों में नए क्षेत्रीय अध्यक्षों की नियुक्ति होगी। जिलाध्यक्षों के चयन के बाद, जिलों और मंडलों में नई टीमें बनाई जाएंगी। शक्ति केंद्रों पर भी नई जिम्मेदारियों का बंटवारा किया जाएगा।


मोर्चों में होंगे नए अध्यक्ष


भाजपा की प्रदेश इकाई के युवा मोर्चा, ओबीसी मोर्चा, एससी मोर्चा, एसटी मोर्चा, किसान मोर्चा और महिला मोर्चा के नए अध्यक्षों की भी नियुक्ति होगी। इसके अलावा, पार्टी के अग्रिम प्रकोष्ठों और विभिन्न विभागों की भी नई टीम बनाई जाएगी।


जातीय समीकरण के आधार पर नियुक्तियां


भाजपा इस संगठनात्मक पुनर्गठन को पंचायत चुनाव 2026 और विधानसभा चुनाव 2027 के जातीय समीकरण को साधने के लिहाज से देख रही है। पार्टी का उद्देश्य है कि सभी वर्गों को संगठन में उचित प्रतिनिधित्व मिले, ताकि आगामी चुनावों में हर वर्ग के मतदाताओं को साधा जा सके।

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