वाराणसी। ऑनलाइन केवाईसी प्रक्रिया का दुरुपयोग कर क्रेडिट कार्ड के जरिए 34 लाख रुपये की साइबर ठगी करने वाले दो आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। साइबर क्राइम थाना पुलिस ने मंगलवार को वाराणसी के चांदपुर क्षेत्र की विकास नगर कॉलोनी के सौरभ कुमार पटेल और पंजाब के संगरूर के धूरी गेट, नियर सिंह सभा गुरुद्वारा निवासी हैप्पी सिंह को गिरफ्तार किया।
विदेशों की यात्रा कर चुका मास्टरमाइंड
पुलिस जांच में पता चला कि हैप्पी सिंह ने सिंगापुर से मैनेजमेंट की पढ़ाई की है और वह चीन, कंबोडिया, वियतनाम, मलेशिया, थाईलैंड सहित लगभग दस देशों की यात्रा कर चुका है। गिरफ्तार आरोपियों के पास से एक लग्जरी रेंज रोवर, दो आईफोन, दो एंड्रायड फोन, दो राउटर, एक रिकॉर्डर, एक कंप्यूटर मॉनिटर, एयर फाइबर डिवाइस, कई डेबिट कार्ड और नकद 2,370 रुपये बरामद किए गए।
क्रेडिट कार्ड फ्रॉड से ऐशो-आराम की जिंदगी
पुलिस के अनुसार, दोनों आरोपियों ने साइबर ठगी से बड़ी संपत्ति अर्जित की है। हैप्पी सिंह के पास बीएमडब्ल्यू समेत कई महंगी गाड़ियां हैं। आरोपी ऑनलाइन केवाईसी की मदद से क्रेडिट कार्ड हासिल कर उनके जरिए बड़े पैमाने पर ट्रांजैक्शन करते थे।
कैसे खुलासा हुआ पूरा मामला?
गुड़गांव के सेक्टर-25 डीएलएफ स्थित बैंकिंग कंपनी अमेरिकन एक्सप्रेस में प्रबंधक जूड रेजी फ्रेंकलिन ने 29 दिसंबर 2024 को साइबर क्राइम थाना में शिकायत दर्ज कराई थी। उनके अनुसार, वाराणसी के चांदपुर निवासी संदीप कुमार रमेश जैन ने उनकी बैंकिंग कंपनी से क्रेडिट कार्ड बनवाया था, लेकिन वह कार्ड उन्हें प्राप्त नहीं हुआ। इसके बाद दोबारा एक और कार्ड जारी किया गया। बाद में खुलासा हुआ कि संदीप के नाम पर जारी कार्ड से किसी ने 34 लाख रुपये की खरीदारी कर ली थी।
साइबर क्राइम यूनिट ने ऐसे पकड़ा गैंग
डीसीपी (अपराध) गोमती जोन प्रमोद कुमार ने बताया कि साइबर क्राइम थाना प्रभारी इंस्पेक्टर राजीव कुमार सिंह के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की गई। इस टीम में इंस्पेक्टर राजकिशोर पांडेय, इंस्पेक्टर दीनानाथ यादव, दरोगा संजीव कन्नौजिया और एएसआई श्याम लाल गुप्ता शामिल थे। पुलिस ने डिजिटल फुटप्रिंट, बैंक खातों और सर्विलांस की मदद से आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया।
अच्छे क्रेडिट स्कोर वालों को बनाते थे शिकार
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे पहले अलग-अलग व्यक्तियों के पैन कार्ड का क्रेडिट स्कोर चेक करते थे। जिन लोगों का क्रेडिट स्कोर अच्छा होता था, उन्हें अपने जाल में फंसाते थे। इसके बाद वे किसी ऐसे व्यक्ति को तलाशते थे, जिसका नाम और विवरण टार्गेट व्यक्ति से मिलता-जुलता हो।
फर्जी दस्तावेजों से हासिल करते थे क्रेडिट कार्ड
जब सही व्यक्ति मिल जाता, तो उसके आधार कार्ड में फर्जीवाड़ा कर जन्मतिथि, पिता का नाम और पता बदल दिया जाता था। फिर, पैन कार्ड से मिलते-जुलते नाम के व्यक्ति की फोटो बदलकर दस्तावेजों में लगा दी जाती थी। इसके बाद ऐसी बैंकिंग कंपनियों का चुनाव किया जाता, जो ऑनलाइन केवाईसी की सुविधा देती थीं। ऑनलाइन आवेदन कर वीडियो केवाईसी पूरी की जाती और फिर डाक के माध्यम से क्रेडिट कार्ड मंगवा लिया जाता था।
कैसे किया गया इस ठगी को अंजाम?
इस मामले में, अमेरिकन एक्सप्रेस बैंकिंग कंपनी से संदीप की जगह सौरभ का ऑनलाइन वीडियो केवाईसी कराया गया। क्रेडिट कार्ड सौरभ को मिल गया और फिर सिगरा स्थित मनी ट्रांसफर एजेंसी आदित्य कम्युनिकेशन के जरिए पैसे को विभिन्न खातों में ट्रांसफर कर नकद निकाल लिया गया।
2020 में हुई थी साजिश की शुरुआत
हैप्पी सिंह ने पुलिस को बताया कि उसने सिंगापुर से उच्च शिक्षा ग्रहण की थी और वह दुनिया के 10 से अधिक देशों में घूम चुका है। 2020 में उसने टेलीग्राम ऐप के जरिए सौरभ से संपर्क किया था। पहले उसने उसे लोन दिलाने के बहाने बातचीत शुरू की। धीरे-धीरे दोनों के बीच लगातार संपर्क बढ़ने लगा।
महादेव बेटिंग ऐप से साइबर ठगी तक का सफर
सौरभ को ऑनलाइन कम समय में ज्यादा पैसा कमाने में दिलचस्पी थी। उसने महादेव बेटिंग ऐप जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स में रुचि दिखानी शुरू की। यही वजह थी कि हैप्पी ने उसे साइबर ठगी के अपने अवैध कारोबार में शामिल कर लिया। दोनों ने मिलकर ऐसे लोगों को निशाना बनाना शुरू किया, जिनका क्रेडिट स्कोर बेहतर था और उनके नाम से आसानी से फर्जी दस्तावेज तैयार किए जा सकते थे।
पुलिस ने आरोपियों को भेजा जेल
गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। पुलिस को उम्मीद है कि आगे की पूछताछ में इस गिरोह से जुड़े अन्य लोगों की भी जानकारी मिल सकती है।