वाराणसी में फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश, रोजगार के नाम पर 6 हजार युवाओं से 30 करोड़ की ठगी, फर्जी डॉक्यूमेंट बनवाकर फंसाते, किराए के कमरे से चल रहा था नेटवर्क

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वाराणसी पुलिस और साइबर क्राइम टीम ने मिलकर एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो विदेशों में नौकरी और बिजनेस टूर के नाम पर युवाओं से करोड़ों रुपये ठग रहा था। यह गैंग बीते एक साल से सक्रिय था और अब तक करीब छह हजार युवाओं से 30 करोड़ रुपये ऐंठ चुका था।


विदेश भेजने के नाम पर बड़ा जालसाज़ी नेटवर्क


पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी युवाओं को गल्फ देशों, इजराइल, ओमान, कंबोडिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में नौकरी दिलाने का लालच देते थे। इसके बदले उनसे 50-50 हजार रुपये तक वसूले जाते थे। इतना ही नहीं, युवाओं को भरोसा दिलाने के लिए उन्हें नकली वीजा और फर्जी एयर टिकट भी सौंप दिए जाते थे। लेकिन जैसे ही पीड़ित एयरपोर्ट पहुंचते, जांच में उनका फर्जीवाड़ा पकड़ा जाता और वे मुसीबत में फंस जाते।

 


कॉल सेंटर से ठगी का संचालन


यह पूरा नेटवर्क वाराणसी के महमूरगंज इलाके में मोती झील के पास एक किराए के मकान से चलाया जा रहा था। यहां पर एक फर्जी कंपनी और उसका कॉल सेंटर बनाया गया था। पुलिस ने छापेमारी में कॉल सेंटर को सीज कर दिया। ठगों के कब्जे से एक लैपटॉप और नौ मोबाइल फोन भी बरामद हुए हैं।


सात आरोपी गिरफ्तार


इस मामले में पुलिस ने अंतरराज्यीय स्तर पर सक्रिय गैंग के सात लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें पांच युवक और दो युवतियां शामिल हैं। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान इस प्रकार हुई –


•    राकेश यादव निवासी बच्छांव, थाना रोहनिया


•    मो. असलम निवासी जुगुलटोला, थाना आदमपुर


•    राहुल गुप्ता निवासी शिवधाम नगर कॉलोनी, अखरी बाईपास


•    अमित कुमार यादव निवासी नचनीकुओं, थाना आदमपुर


•    प्रियांशु प्रजापति निवासी जुगुलटोला मछोदरी, थाना आदमपुर


•    दो युवतियां, जो कॉल सेंटर के माध्यम से कॉलिंग का काम करती थीं।

 


ऐसे फंसाते थे शिकार


गिरोह युवाओं तक पहुंचने के लिए अलग-अलग जगहों पर विज्ञापन जारी करता और फिर कॉल सेंटर से संपर्क कराता। पीड़ितों से वीजा, पासपोर्ट, मेडिकल टेस्ट और टिकट बुकिंग जैसे बहानों पर पैसे वसूले जाते। इसके बाद सारी रकम किसी न किसी प्रॉक्सी या म्यूल अकाउंट में ट्रांसफर कर दी जाती थी।


लोगों को ठगने के लिए फर्जी सिम कार्ड का प्रयोग किया जाता था। इनके एजेंट दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे शहरों तक फैले हुए थे, जो भोले-भाले युवाओं को इस जाल में फंसाते थे।


नकली कागज़ात से रचते थे कहानी


आरोपी पीड़ितों को पूरा भरोसा दिलाने के लिए उन्हें फर्जी ऑफर लेटर, नकली वीजा, फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट और एयर टिकट तक मुहैया कराते थे। एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद ही सच सामने आता था जब यात्रियों को पता चलता कि उनकी कोई बुकिंग ही नहीं है।


पुलिस की सक्रियता से हुआ खुलासा


डीसीपी अपराध सरवणन टी ने बताया कि टीम को लंबे समय से इस गिरोह की तलाश थी। इंस्पेक्टर विमल मिश्रा की अगुवाई में छानबीन शुरू की गई और सुराग मिलने पर कार्रवाई कर सातों आरोपियों को दबोचा गया।


युवाओं को चेतावनी


पुलिस ने लोगों से अपील की है कि विदेश में नौकरी या बिजनेस टूर के नाम पर किसी भी अनजान एजेंसी या कॉल सेंटर पर भरोसा न करें। केवल अधिकृत ट्रैवल एजेंसियों और सरकारी प्रक्रियाओं के जरिए ही आवेदन करें।

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