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वाराणसी में सामूहिक हत्याकांड का मुख्य आरोपी चढ़ा पुलिस के हत्थे, चाचा के पूरे परिवार को उतारा था मौत के घाट, बिहार से बंगाल तक बनाया था ठिकाना

वाराणसी में तीन माह पहले हुए सामूहिक हत्याकांड में पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है। पुलिस ने हत्याकांड एक मास्टर माइंड विशाल गुप्ता उर्फ विक्की को दबोच लिया। पुलिस ने पिछले तीन महीनों से फरार विक्की को उसके भाई प्रशांत उर्फ़ जुगनू समेत बीएचयू के पास से गिरफ्तार किया। आरोपी पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित था और पुलिस उसकी तलाश में उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में दबिश दे रही थी। पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने गुरुवार को इसका खुलासा किया।

 


28 साल से मन में पनप रही थी दुश्मनी 


पुलिस की पूछताछ में विक्की ने चौंकाने वाले सच कबूले। उसने बताया कि 28 साल पहले उसके चाचा राजेंद्र गुप्ता ने उसके माता-पिता की हत्या कर दी थी। तभी से उसने बदला लेने की ठान ली थी, लेकिन उस समय वह छोटा था और शक्तिहीन था। साल 2022 में राजेंद्र ने उसे बेरहमी से पीटा और कई दिनों तक कमरे में कैद रखा। उसी समय उसने अपने भाई प्रशांत के साथ मिलकर चाचा को खत्म करने की योजना बना ली थी।

 


हत्याकांड: चाचा, चाची और बच्चों को उतारा मौत के घाट


5 नवंबर की सुबह भेलूपुर थाना क्षेत्र के भदैनी इलाके में स्थित राजेंद्र गुप्ता के पांच मंजिला घर में चार शव बरामद किए गए थे। मृतकों में राजेंद्र की पत्नी नीतू गुप्ता (42), बेटे नवनेंद्र (25), सुबेंद्र (15) और बेटी गौरांगी (16) शामिल थे। सभी को बेहद नजदीक से गोलियों से भून दिया गया था।


इसके अलावा, पुलिस ने जब राजेंद्र गुप्ता के मोबाइल की लोकेशन ट्रेस की, तो वह रोहनिया के मीरापुर रामपुर गांव में मिली। पुलिस वहां पहुंची तो निर्माणाधीन मकान में राजेंद्र की निर्वस्त्र लाश मिली। उनके शरीर पर तीन गोलियों के निशान थे।

 


.32 बोर की पिस्टल से की गई हत्याएं


पुलिस को घटनास्थलों से .32 बोर की पिस्टल के खोखे मिले, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि सभी हत्याओं में एक ही हथियार का इस्तेमाल हुआ था। जांच में पता चला कि राजेंद्र गुप्ता पहले भी हत्याओं में शामिल था। वह अपने पिता, छोटे भाई कृष्ण गुप्ता, उसकी पत्नी और चौकीदार की हत्या के आरोप में जेल जा चुका था।


पुलिस को शक हुआ कि इस हत्याकांड में कृष्ण गुप्ता के बेटे विशाल उर्फ विक्की और उसके भाई प्रशांत गुप्ता का हाथ हो सकता है। जांच में पाया गया कि विक्की फरार था, जबकि प्रशांत वाराणसी में ही था। कॉल रिकॉर्ड की जांच में विक्की और उसके बहनोई के बीच लगातार बातचीत के प्रमाण मिले। जब पुलिस ने उसके बहनोई को हिरासत में लिया और पूछताछ की, तो उसने खुलासा किया कि विक्की पहले ही कह चुका था कि दिवाली पर चाचा के परिवार को मार देगा।

 


ऐसे पकड़ा गया विक्की


तीन महीने से फरार विक्की का पैसा खत्म हो चुका था, और वह ऑनलाइन ट्रांजैक्शन नहीं कर रहा था ताकि पुलिस उसे ट्रेस न कर सके। पुलिस उसकी सर्विलांस टीम के जरिए निगरानी कर रही थी।


प्रशांत से बात करने के लिए दोनों भाइयों ने फर्जी गूगल आईडी बनाई थी। प्रशांत ने विक्की से कहा कि वह काशी आकर उससे पैसे ले ले। पुलिस पहले से प्रशांत की गतिविधियों पर नजर रखे हुए थी, इसलिए जैसे ही विक्की 6 फरवरी को वाराणसी पहुंचा और BHU के पास प्रशांत से मिलने आया, पुलिस ने दोनों को धर दबोचा।


बड़ी प्लानिंग के तहत किया हत्याकांड


पुलिस की पूछताछ में विक्की ने कबूल किया कि वह दिल्ली होते हुए वाराणसी आया था। उसके पास 5 मोबाइल फोन, कई सिम कार्ड, ₹26,000 नकद और एक एयरटेल पोर्टेबल वाई-फाई डोंगल बरामद हुआ।


विक्की ने बताया कि राजेंद्र उसके और प्रशांत के साथ नौकरों जैसा व्यवहार करता था। उसने बीटेक करने के लिए बेंगलुरु जाकर पढ़ाई की और वहीं जॉब लग गई।


हालांकि, साल 2022 में जब वह वाराणसी आया, तो प्रॉपर्टी विवाद को लेकर चाचा राजेंद्र ने उसे बुरी तरह पीटा और कई दिनों तक कैद कर रखा। इसी घटना के बाद विक्की और प्रशांत ने तय कर लिया कि वे राजेंद्र और उसके पूरे परिवार को खत्म कर देंगे।


बिहार से खरीदी पिस्टल, दिल्ली से लिए फर्जी सिम कार्ड


बेंगलुरु में नौकरी के दौरान विक्की एक कैंटीन कर्मचारी से मिला, जिसने उसे बिहार में हथियार उपलब्ध कराने वाले व्यक्ति का नंबर दिया। दिसंबर 2022 में विक्की बिहार गया और वहां से दो देसी पिस्टल खरीदी।


इसके बाद वह वाराणसी आया और अपने कमरे में पिस्टल छिपा दी। प्रशांत को इसकी जानकारी थी। कुछ दिनों बाद विक्की दिल्ली चला गया और वहां फर्जी आईडी पर कई सिम कार्ड इश्यू करवा लिए ताकि पुलिस ट्रेस न कर सके।


दिवाली से पहले वाराणसी आया, 4 नवंबर की रात दिया वारदात को अंजाम


दिवाली पर हत्याकांड को अंजाम देने की योजना के तहत 25 अक्टूबर को विक्की वाराणसी आ गया। उसने अपने परिवार के सदस्यों की गतिविधियों और सोने की जगह का निरीक्षण किया।


4 नवंबर की रात पहले वह रोहनिया के मीरापुर रामपुर गांव पहुंचा, जहां चाचा राजेंद्र अकेले सो रहे थे। उसने उन्हें दो गोलियां मारी—एक सिर में और दूसरी सीने में। इसके बाद, वह भदैनी स्थित पुश्तैनी मकान पहुंचा, जहां राजेंद्र की पत्नी और तीन बच्चे सो रहे थे। उसने एक-एक कर चारों को गोलियों से भून दिया और मौके से फरार हो गया।


हत्या के बाद कई शहरों में छिपता रहा


वारदात को अंजाम देने के बाद विक्की ने मोबाइल बंद कर दिया और पटना, झारखंड, कोलकाता और मुंबई में छिपता रहा। उसने स्टेशन के फुटपाथों और सस्ते होटलों में रातें गुजारी। वह सोशल मीडिया और अखबारों के जरिए पुलिस की गतिविधियों पर नजर रखता था। उसने प्रशांत से इंस्टाग्राम पर फर्जी आईडी के जरिए बातचीत की।


दादी का खुलासा: राजेंद्र विक्की को धमकाता था


पुलिस जांच के दौरान राजेंद्र की 80 वर्षीय मां ने भी एक बड़ा खुलासा किया। उन्होंने बताया कि राजेंद्र और विक्की के संबंध कभी अच्छे नहीं थे। दिवाली पर जब विक्की घर आया था, तो उसने खुलकर कहा था कि चाचा को मार डालूंगा। दादी ने हाथ जोड़कर उसे रोका था, लेकिन उसकी बदले की भावना इतनी गहरी थी कि वह नहीं रुका।


पुलिस खंगाल रही नेटवर्क


फिलहाल पुलिस ने विक्की और प्रशांत को कस्टडी में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। पुलिस यह भी पता लगा रही है कि इस हत्याकांड में किसी अन्य व्यक्ति की संलिप्तता तो नहीं थी। इस निर्मम हत्याकांड ने पूरे वाराणसी में सनसनी फैला दी है। पुलिस अब यह भी जांच कर रही है कि विक्की को हथियार उपलब्ध कराने वाला व्यक्ति कौन था और उसने किन अन्य लोगों को असलहे बेचे थे।

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