वाराणसी। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर आज काशी के विभिन्न शिवालयों में चार प्रहर की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। श्रद्धालु रात्रि जागरण करते हुए भगवान शिव की आराधना करेंगे। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक शिव पूजन करने से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। इस अवसर पर काशी के प्रमुख मंदिरों में बाबा विश्वनाथ सहित अन्य शिवालयों में भव्य श्रृंगार किया गया है।
काशी के प्रमुख शिवालयों में भव्य श्रृंगार और आयोजन
महाशिवरात्रि पर वाराणसी के प्रमुख शिवालयों में विशेष श्रृंगार किया गया है। वहीं काशी विश्वनाथ मंदिर मंा महाशिवरात्रि की समस्त तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। मच्छोदरी स्थित कामेश्वर महादेव मंदिर और त्रिलोचन महादेव मंदिर में भगवान शिव का भव्य श्रृंगार किया गया है। भक्तों की आस्था को देखते हुए यहाँ विशेष पूजा-पाठ और अभिषेक का आयोजन किया जा रहा है।
महाशिवरात्रि का महत्व और पौराणिक मान्यता
सनातन धर्म के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। इस कारण इस तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। शिवपुराण के अनुसार, इसी दिन प्रजापति दक्ष की कन्या सती का विवाह भगवान शिव से हुआ था। इसलिए यह दिन शिव उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
शुभ मुहूर्त और रात्रि पूजा विधि
ज्योतिषाचार्य पं. विमल जैन के अनुसार, महाशिवरात्रि 26 फरवरी को मनाई जाएगी। चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को सायं 6:31 बजे से प्रारंभ होकर 27 फरवरी को सायं 5:24 बजे तक रहेगी।
महाशिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है:
1. प्रथम प्रहर – दूध से अभिषेक करें और "ॐ ह्री ईशान्य नमः" मंत्र का जाप करें।
2. द्वितीय प्रहर – दही से अभिषेक करें और "ॐ ह्री वामदेवाय नमः" मंत्र का जाप करें।
3. तृतीय प्रहर – देशी घी से अभिषेक करें और "ॐ सध्योजाताय नमः" का जाप करें।
4. चतुर्थ प्रहर – शहद से अभिषेक करें और "ॐ सध्योजाताय नमः" मंत्र का जाप करें।
शिव स्तुति और धार्मिक अनुष्ठान
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए भक्तों को शिव स्तुति, शिव सहस्रनाम, शिव महिम्न स्तोत्र, शिव तांडव स्तोत्र, रुद्राष्टक, शिव चालीसा और शिव पुराण का पाठ करना चाहिए। इसके अलावा, "ॐ नमः शिवाय" पंचाक्षर मंत्र का जाप अत्यंत शुभ माना जाता है।
वाराणसी के प्रमुख शिवालय
काशी नगरी में कई प्रमुख शिव मंदिर हैं, जहाँ श्रद्धालु महाशिवरात्रि पर दर्शन और पूजा-अर्चना करेंगे:
1. ओंकारेश्वर (पठानीटोली)
2. त्रिलोचन महादेव
3. आदि महादेव
4. कृतिवासेश्वर
5. रत्नेश्वर महादेव वृद्धकाल
6. चन्द्रेश्वर सिद्धेश्वरी
7. केदारेश्वर (केदारघाट)
8. धर्मेश्वर (धर्मकूप)
9. वीरेश्वर (सिंधियाघाट)
10. कामेश्वर महादेव (मच्छोदरी)
11. विश्वकर्मेश्वर (गोलगड्डा)
12. मणिकर्णेश्वर (गोमठ)
13. अविमुक्तेश्वर
14. विशेश्वर
15. अमृतेश्वर
16. तारकेश्वर
17. ज्ञानेश्वर
18. करुणेश्वर
19. मोक्ष द्वारेश्वर
20. स्वर्ग द्वारेश्वर
21. ब्रह्मेश्वर
22. लांगलीश्वर
23. वृद्धकालेश्वर
24. वृषेश्वर
25. चंडीश्वर
26. नंदीकेश्वर
27. महेश्वर
28. ज्योति रूपेश्वर
29. शैलेश्वर
30. संगमेश्वर
31. मध्यमेश्वर
32. हिरण्यगर्भेश्वर
33. महामृत्युंजय
34. नागेश्वर
35. त्र्यंबकेश्वर महादेव
36. बैद्यनाथ
इन सभी मंदिरों में विशेष आयोजन किए जा रहे हैं, जहाँ भक्तजन भगवान शिव की आराधना करेंगे।
महाशिवरात्रि पर भक्तिमय काशी
महाशिवरात्रि के दिन काशी का हर कोना शिवमय हो जाता है। हर मंदिर में विशेष अनुष्ठान, भजन-कीर्तन और रात्रि जागरण का आयोजन होता है। लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान कर बाबा विश्वनाथ के दर्शन और रुद्राभिषेक करते हैं। भक्तों का मानना है कि इस दिन की गई शिव पूजा से जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।