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काशी का कण-कण शंकर, कल-कल करती गंगा की तरंगे बिखेर रहीं सनातनी आभा, दूर-दराज से आए पर्यटकों ने काशी को लेकर क्या बोला, आप भी सुनिए

वाराणसी। काशी का कण-कण शंकर है, यहां पत्थरों में भी ओम का स्वर गूंजता है। काशी में उमड़ी लाखों की भीड़ बाबा विश्वनाथ के दर्शन को व्याकुल है। काशी के घाट और गलियों में जहां हर हर महादेव का उद्घोष हो रहा है, वहीं कल-कल छल-छल करती गंगा की ध्वनि काशी की सनातनी आभा प्रस्तुत करा रही है।


एक ओर जहां लाखों की भीड़ देख सनातन द्रोहियों का मन व्यथित हो रहा है, इसे लेकर अतिश्योक्ति वाली अभद्र टिप्पणियां कर रहे हैं, वहीं प्रयागराज में संगम की त्रिवेणी और काशी की गंगा में आस्था की डुबकी लगाने वाले श्रद्धालु सनातन द्रोहियों के जले पर नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं।


महाकुंभ के दौरान प्रयागराज संगम में डुबकी और काशी विश्वनाथ का दर्शन कर श्रद्धालु स्वयं को धन्य मान रहे हैं। वहीं महाकुंभ से श्रद्धालुओं का काशी में पलट प्रवाह कम होने का नाम नहीं ले रहा है। 144 वर्षों के अंतराल पर बनने वाले दुर्लभ संयोग में हर कोई स्नान कर पुण्य फल का भागी बनना चाह रहा है।


काशी में इस समय देश का कोई ऐसा राज्य नहीं है, जहां से श्रद्धालु न आए हों, श्रद्धालुओं की भीड़ से सड़क, गलियां, घाट सब गुलजार हैं। गेस्ट हाउस, लॉज सब फुल हैं। यहां पांव रखने की भी जगह नहीं है, बावजूद इसके श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी नजर नहीं आ रही है।


इसी बीच छत्तीसगढ़ से काशी आए श्रद्धालुओं ने क्या कहा, आप भी सुनिए

 

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