इस्लामिक आतंकवाद मुर्दाबाद… पहलगाम आतंकी हमले के खिलाफ फूटा जनाक्रोश, जलाया पाकिस्तान का झंडा, 3 किमी तक निकाला विशाल मार्च

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चंदौली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 27 निर्दोष हिंदुओं की निर्मम हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस बर्बर आतंकी हमले के खिलाफ हर कोने में आक्रोश की लहर दौड़ गई है। कहीं मोमबत्तियां जलाकर श्रद्धांजलि दी जा रही है, तो कहीं सरकार से कठोर प्रतिशोध की मांग बुलंद हो रही है। इसी क्रम में रविवार को विभिन्न सामाजिक संगठनों के आह्वान पर पड़ाव स्थित दीनदयाल उपाध्याय पार्क से एक विशाल आक्रोश मार्च का आयोजन किया गया, जिसमें जनसैलाब उमड़ पड़ा।

 


सुबह होते ही दीनदयाल पार्क पर बड़ी संख्या में लोग एकत्र होने लगे। हाथों में तख्तियां, बैनर और भारत माता के जयघोष से गूंजता वातावरण इस बात का गवाह था कि जनता अब चुप बैठने वाली नहीं है। जैसे ही आक्रोश मार्च का शुभारंभ हुआ, 'पाकिस्तान मुर्दाबाद', 'इस्लामी आतंकवाद खत्म करो' और 'भारत माता की जय' के नारों से फिजा गूंज उठी। भीड़ का जोश देखते ही बनता था। आम नागरिक, युवा, बच्चे और बुजुर्ग भी बड़ी तादाद में इस मार्च में शामिल हुए।

 


मार्च दीनदयाल पार्क से निकलकर पड़ाव, सुजाबाद, बहादुरपुर, मढ़िया और जलीलपुर इलाकों से गुजरता हुआ आगे बढ़ा। रास्ते भर लोगों का कारवां बढ़ता गया और जनसैलाब उमड़ता रहा। आक्रोशित नागरिकों ने कड़े शब्दों में पाकिस्तान और इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया। देशभक्ति के जोशीले नारों से माहौल पूरी तरह गरमा गया।

 


पड़ाव चौराहे पर पहुँचकर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। वहाँ प्रतीकात्मक रूप से पाकिस्तान के झंडे को जलाकर आतंकवाद के प्रति अपनी नफरत का इजहार किया गया। इसके साथ ही जूते-चप्पलों से झंडे की पिटाई कर आक्रोश का प्रदर्शन किया गया। पूरे घटनाक्रम में पुलिस बल सतर्कता से मौजूद रहा, ताकि स्थिति नियंत्रण में रहे।

 


आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संतोष जायसवाल ने कहा, "जब अपने ही देश हिंदुस्तान में हिंदू सुरक्षित नहीं रह पा रहे हैं, तो सोचिए किसी इस्लामिक राष्ट्र में उनका क्या हाल होगा। केंद्र सरकार ने अब तक जो कार्रवाई की है वह नाकाफी है। हमें केवल निंदा नहीं, ठोस और निर्णायक कदम चाहिए। हम भारत सरकार से मांग करते हैं कि इस जघन्य आतंकी हमले का शीघ्र और प्रबल जवाब दिया जाए।"

 


वहीं आक्रोश मार्च में अग्रणी भूमिका निभा रहे रामभरोस पटेल ने अपने उद्बोधन में कहा, "सिंधु नदी का पानी रोकना एक अच्छी पहल है, लेकिन इससे आतंकियों को सबक नहीं मिलेगा। जब तक आतंकी अड्डों पर सीधा और सख्त प्रहार नहीं किया जाएगा, तब तक हिंदुओं की सुरक्षा एक सपना बनी रहेगी। अब धैर्य की परीक्षा खत्म होनी चाहिए। पाकिस्तान और उसके आतंकी संगठनों को उनकी भाषा में जवाब देना अनिवार्य हो गया है।"

 


मार्च में शामिल स्थानीय कार्यकर्ता बृजेश वर्मा ने अपनी व्यथा व्यक्त करते हुए कहा, "पहलगाम की यह त्रासदी केवल एक हमला नहीं, बल्कि हमारी सभ्यता और संस्कृति पर सीधा हमला है। यदि अब भी सरकार ने प्रभावी रणनीति नहीं बनाई तो वह दिन दूर नहीं जब हिंदुस्तान के हिंदू अपने ही देश में असुरक्षित महसूस करने लगेंगे। हिंदुओं की रक्षा के लिए अब नीति और नीयत दोनों सशक्त करनी होंगी।"


पूरे कार्यक्रम में युवाओं का उत्साह देखने लायक था। तिरंगा लहराते हुए वे 'भारत माता की जय' और 'वंदे मातरम्' के नारों से वातावरण को ओजस्वी बना रहे थे। कई स्थानों पर राहगीरों ने भी रुककर इस आक्रोश मार्च का समर्थन किया और अपने विचार प्रकट किए। आमजन का कहना था कि अब समय आ गया है जब आतंक के खिलाफ निर्णायक युद्ध छेड़ना चाहिए।

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