योग दिवस पर चंदौली में गूंजा 'योग ही जीवन है' का मंत्र, राज्यसभा सांसद दर्शना बोलीं - यह केवल एक दिन का उत्सव नहीं; 300 लोग हुए शामिल

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चंदौली। पड़ाव स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति उपवन में शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर एक भव्य योग सत्र का आयोजन किया गया, जिसका संचालन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मढिया मंडल पड़ाव के तत्वावधान में किया गया। कार्यक्रम में योग शिक्षकों अंकित मिश्रा, आरती कनौजिया एवं श्याम नारायण यादव ने सैकड़ों की संख्या में उपस्थित योगाभ्यर्थियों को योग के लाभ और सावधानियों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने वृक्षासन, अर्धकटी चक्रासन, त्रिकोणासन, वीरभद्रासन, उष्ट्रासन, ताड़ासन, भुजंगासन, सर्वांगासन, राजयोग और पावरयोग जैसे विविध योगासन सिखाए, जिससे प्रतिभागियों को न केवल शारीरिक लचीलापन मिला, बल्कि मानसिक सुकून भी प्राप्त हुआ।

 

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद दर्शना सिंह ने योगाभ्यास में भाग लेते हुए कहा कि योग न केवल हमारे शरीर को निरोग और मन को शांत करता है, बल्कि यह हमारे जीवन की दिशा और दशा दोनों को बदलने की शक्ति रखता है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि योग केवल एक दिन का उत्सव नहीं बल्कि एक जीवनशैली होनी चाहिए, जिसे प्रतिदिन अपनाकर हम कई बीमारियों से बच सकते हैं। इस दौरान उन्होंने योग शिक्षकों व स्वयंसेवकों को स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्रम भेंट कर उनका सम्मान किया।

 

इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन कर रहे संघ के खंड संपर्क प्रमुख राम भरोस ने कहा कि महर्षि पतंजलि द्वारा प्रतिपादित योग पद्धति आज के समय में एक ऐसी प्राकृतिक चिकित्सा है, जो बिना दवा के शरीर और मन को पूर्णतः स्वस्थ रखने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि अगर हम नियमित रूप से योग करें, तो दीर्घायु जीवन की प्राप्ति संभव है।

 


गंगा प्रहरी दर्शन निषाद ने अपने वक्तव्य में योग को जीवन का आधार बताते हुए कहा कि जिस तरह शरीर के लिए योग आवश्यक है, उसी तरह पृथ्वी के लिए पर्यावरण संरक्षण आवश्यक है। उन्होंने "एक पौधा माँ के नाम" अभियान के तहत पौधारोपण का आह्वान किया और सभी से पौधों की रक्षा करने की अपील की।

 

कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के जिला मंत्री प्रमोद पटेल, मंडल अध्यक्ष संदीप पटेल, मंडल उपाध्यक्ष विकास पांडे, संघ के खंड कारवां प्रमुख विष्णु, गणेश, बृजेश, राधेश्याम, विजय, गौरव, सुशील, डॉ. कुंदन, ओमप्रकाश, संतोष, सरोज, सुधा सहित लगभग 300 से अधिक लोग मौजूद रहे। समापन पर मुख्य अतिथि को सम्मानित करते हुए विष्णु, संदीप, सरोज और राम भरोस ने उन्हें स्मृति चिन्ह और अंगवस्त्रम भेंट किया।

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