वाराणसी: दालमंडी में फ़िलहाल नहीं चलेगा बुलडोजर, न होगा चौड़ीकरण, हाईकोर्ट ने लगाई रोक, राज्य सरकार से मांगा जवाब

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वाराणसी। काशी के ऐतिहासिक और वाणिज्यिक हृदयस्थल माने जाने वाले दालमंडी इलाके में प्रस्तावित सड़क चौड़ीकरण अभियान को फिलहाल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विराम दे दिया है। कोर्ट ने इस क्षेत्र में स्थित मकानों की यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन से एक सप्ताह में जवाब मांगा है। यह फैसला न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने शाहनवाज खान बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले की सुनवाई करते हुए दिया।


दरअसल, वाराणसी की दालमंडी गली, जो काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से मात्र 100 मीटर की दूरी पर स्थित है, को मॉडल सड़क के रूप में विकसित करने की योजना पर सरकार ने तेजी से काम शुरू किया था। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत लगभग 189 मकान और उनमें संचालित 1400 से अधिक दुकानें इस योजना की जद में आ रही हैं। चौड़ीकरण से प्रभावित व्यवसायियों ने मुआवजे और पुनर्वास की प्रक्रिया पूरी न होने पर विरोध जताया था।

 


कोर्ट में उठाई गई पीड़ितों की आवाज


शाहनवाज खान सहित अन्य याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में दलील दी कि उन्हें प्रशासनिक दबाव और भय के वातावरण में रखा गया है, जबकि ना तो किसी मुआवजे की बात की गई है और ना ही उन्हें उचित जानकारी दी गई है। इसी प्रकार की बात याचिका संख्या 12314 में सैयद जाकिर हुसैन, मुन्ने और अन्य बनाम राज्य सरकार के मामले में भी उठाई गई। दोनों मामलों को संज्ञान में लेते हुए अदालत ने स्पष्ट किया कि अगले आदेश तक ना तो कोई ध्वस्तीकरण होगा और ना ही चौड़ीकरण का कार्य आगे बढ़ाया जाएगा।


सरकार को नोटिस, मांगा जवाब


हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और संबंधित प्रशासन से इस परियोजना की कानूनी स्थिति, मुआवजा नीति और प्रभावित लोगों के हित संरक्षण को लेकर एक सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। इसके बाद ही अदालत इस मुद्दे पर अगला निर्णय सुनाएगी।

 


परियोजना की रूपरेखा और व्यापारियों की चिंता


दालमंडी में प्रस्तावित इस सड़क परियोजना के लिए राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में 24 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी की थी। इसके तहत 900 मीटर लंबी और 17.5 मीटर चौड़ी सड़क के निर्माण की योजना है, जिससे लोगों को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर तक आसानी से पहुंचने में सुविधा हो और ट्रैफिक का दबाव कम हो।

 


पीडब्ल्यूडी ने अपने स्तर पर कार्य प्रारंभ करते हुए 189 मकानों की चौड़ाई और गहराई की नाप-जोख पूरी कर ली है। अधिकारियों के अनुसार यह प्रक्रिया मुआवजे के निर्धारण के उद्देश्य से की गई थी, लेकिन स्थानीय व्यापारियों को आशंका है कि बिना उचित मुआवजे के ही बुलडोजर चलाया जा सकता है।

 


छह मस्जिदें भी आएंगी चपेट में


सड़क चौड़ीकरण के इस प्रस्ताव में दालमंडी क्षेत्र की छह ऐतिहासिक मस्जिदों पर भी खतरा मंडरा रहा है। जिन मस्जिदों के प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है, उनमें हाफिज खुदा बक्श जायसी मस्जिद, रंगीले शाह मस्जिद, अली रजा मस्जिद, संगमरमर मस्जिद, मिर्जा करीमुल्ला बैग मस्जिद और निसारन मस्जिद शामिल हैं। इन धार्मिक स्थलों के मुतवल्लियों ने भी विरोध दर्ज कराते हुए इसे गलत और गैर-कानूनी बताया है।

 


ज्ञानवापी के पैरोकारों ने भी उठाई आपत्ति


अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने भी इस चौड़ीकरण का विरोध किया है। उनका कहना है कि बिना नक्शा जारी किए, बिना मुआवजे की योजना स्पष्ट किए, प्रशासन अचानक कार्रवाई करने को तैयार दिख रहा है। यासीन ने आरोप लगाया कि यह योजना हजारों लोगों को बेरोजगार करने की दिशा में एक खतरनाक कदम है। उन्होंने कहा, “इस बाजार को छोड़ देना चाहिए। ऐसा लगता है जैसे ये एक फैशन बन गया है कि बुलडोजर लेकर चला दो।”

 


दालमंडी – पूर्वांचल का व्यापारिक गहना


वाराणसी की दालमंडी गली को पूर्वांचल का सिंगापुर कहा जाता है। यहां का थोक व्यापार न केवल शहर बल्कि पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के जिलों को भी प्रभावित करता है। सैकड़ों वर्षों से चली आ रही पारंपरिक दुकानों में कई व्यापारियों की पुश्तैनी आजीविका जुड़ी हुई है। इस क्षेत्र का चौड़ीकरण उनके लिए जीवन का सबसे बड़ा संकट बनकर खड़ा हो गया है।


फिलहाल राहत, लेकिन भविष्य अनिश्चित


हाईकोर्ट के हस्तक्षेप से व्यापारियों और स्थानीय निवासियों को अस्थायी राहत जरूर मिली है, लेकिन आगे की स्थिति सरकार के जवाब और अदालत के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगी। फिलहाल के लिए न तो मकान तोड़े जाएंगे और न ही चौड़ीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।

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