भाजपा का दावा – 2024 में बड़ी संख्या में कटे मतदाताओं के वोटर लिस्ट से नाम, अब शुरू होगा नया अभियान, ऑपरेशन सिंदूर के उपलब्धि घर-घर बताएंगे

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उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आगामी पंचायत चुनावों और 2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बड़ी रणनीतिक योजना पर काम शुरू कर दिया है। पार्टी ने हर विधानसभा क्षेत्र में 10 से 20 हजार और प्रत्येक बूथ पर 100 नए मतदाताओं को जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया है। भाजपा का मानना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बड़ी संख्या में उसके समर्थकों के नाम मतदाता सूची से गायब थे, जिससे चुनावी समीकरण प्रभावित हुए। अब पार्टी इस तरह की चूक दोबारा नहीं दोहराना चाहती।


चुनाव आयोग द्वारा 15 जुलाई के बाद घर-घर जाकर मतदाता सूची के पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है। इस बार 1 जनवरी 2026 तक 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा। इससे राज्य में बूथों की संख्या मौजूदा 1.63 लाख से बढ़कर 1.85 लाख तक पहुंच सकती है। नए मानकों के अनुसार अब एक बूथ पर अधिकतम 1200 मतदाता ही होंगे, जो पहले 1500 हुआ करते थे। यानी 22 हजार से अधिक नए बूथ बनाए जाएंगे, जिसके चलते बूथ स्तर की नई संगठनात्मक संरचना भी तैयार करनी होगी।

 


इसी क्रम में रविवार को लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह मौजूद रहेंगे। इसमें विधायकों, जिलाध्यक्षों और जिला प्रभारियों को हर बूथ पर मतदाता जोड़ने का ठोस लक्ष्य सौंपा जाएगा।


भाजपा की रणनीति के तीन मुख्य स्तंभ हैं:


1.    राज्य के 403 विधानसभा क्षेत्रों और 8 संगठनात्मक क्षेत्रों में एक-एक मतदाता प्रमुख नियुक्त किया जाएगा।


2.    प्रत्येक मंडल स्तर पर एक मतदाता प्रमुख के साथ दो सह-मतदाता प्रमुखों की नियुक्ति होगी, जो कि कुल 1918 मंडलों में होंगे।


3.    ब्लॉक रिसोर्स सेंटर (बीआरसी) में संविदा कर्मचारियों के माध्यम से मतदाता सूची का काम होता है। भाजपा का आरोप है कि इन केंद्रों पर उसके अनुकूल कर्मचारी न होने के कारण उसके समर्थकों के आवेदन या तो गायब हो जाते हैं या सूची में नाम नहीं जुड़ते। अब पार्टी बीआरसी स्तर पर भी अपने समर्थकों की नियुक्ति कराने का प्रयास करेगी।

 


साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं को यह निर्देश दिया गया है कि वे बांग्लादेशी घुसपैठियों और फर्जी नामों को मतदाता सूची से हटवाने के लिए सतर्क रहें। बूथों की संख्या बढ़ने के कारण नए बूथ समितियों के गठन की भी जरूरत पड़ेगी, जिसके लिए नक्शा और जनसंख्या के आधार पर मैपिंग की जाएगी। इस काम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और उसके अनुषांगिक संगठनों की मदद ली जाएगी।


इसके अलावा भाजपा स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हर विधानसभा क्षेत्र में तिरंगा यात्रा निकालेगी। इसके माध्यम से वह हाल ही में आतंकवादियों के खिलाफ चले "ऑपरेशन सिंदूर" को जन-जन तक पहुंचाएगी। इसके लिए हर विधानसभा क्षेत्र में एक संयोजक और दो सह-संयोजकों की टीम बनाई गई है, जो इस आयोजन की ज़िम्मेदारी संभालेगी।


भाजपा की यह तैयारी सिर्फ भविष्य की रणनीति नहीं है, बल्कि लोकसभा चुनाव में हुई चूक की भरपाई का प्रयास भी है। पार्टी का कहना है कि बीते लोकसभा चुनाव में कई ऐसे क्षेत्र थे जहां उसके हजारों समर्थकों के नाम मतदाता सूची से गायब थे, जबकि पार्टी और प्रत्याशी के पास जो सूची थी, उसमें वे नाम शामिल थे। पार्टी के अनुसार यूपी की करीब 16 लोकसभा सीटें ऐसी थीं जहां भाजपा 60 हजार से कम वोटों से हार गई।


इनमें केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय (चंदौली), अजय मिश्रा टेनी (लखीमपुर खीरी), साध्वी निरंजन ज्योति (फतेहपुर) और संजीव बालियान (मुजफ्फरनगर) जैसी दिग्गज नेता शामिल हैं। इन सभी को 50 हजार से भी कम मतों से पराजय का सामना करना पड़ा, जिसके पीछे मतदाता सूची से नाम कटने को भी अहम कारण बताया जा रहा है।


कुल मिलाकर भाजपा ने मिशन 2027 की तैयारी युद्धस्तर पर शुरू कर दी है। मतदाता जोड़ो अभियान, बूथ सशक्तिकरण और संगठनात्मक नेटवर्क के माध्यम से पार्टी पंचायत से लेकर विधानसभा तक अपनी पकड़ मजबूत करने की दिशा में गंभीर प्रयास कर रही है।

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