बिहार की राजनीति में बड़ा धमाका करते हुए आर्थिक अपराध इकाई (EOU) की ताजा कार्रवाई में नीतीश सरकार को अस्थिर करने की गहरी साजिश का पर्दाफाश हुआ है। गिरफ्तार अभियुक्त इंजीनियर सुनील से तीन घंटे की गोपनीय पूछताछ में यह सामने आया है कि सरकार गिराने की रणनीति पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी। इसके लिए राज्य में सक्रिय बालू माफियाओं ने आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई थी ताकि विधायकों को पैसों के दम पर तोड़ा जा सके।
गुप्त रूम में तीन घंटे चली पूछताछ, कई खुलासे
पटना स्थित EOU मुख्यालय में मंगलवार को हुई इस पूछताछ के दौरान अधिकारियों ने सुनील से वह तमाम जानकारी निकालने की कोशिश की, जो साजिश की जड़ तक पहुंचा सके। सूत्रों की मानें तो पूछताछ के दौरान अभियुक्त सुनील ने स्वीकार किया कि उसका संपर्क लंबे समय से बालू माफियाओं से रहा है और उन्हीं के सहयोग से राजनीतिक खरीद-फरोख्त के लिए धन का इंतजाम किया गया था।
JDU विधायक की शिकायत बनी जांच की शुरुआत
यह मामला पहली बार तब उजागर हुआ जब जनता दल यूनाइटेड (JDU) के विधायक सुधांशु शेखर ने पिछले साल कोतवाली थाने में इंजीनियर सुनील के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। शिकायत में आरोप था कि बिहार सरकार को अस्थिर करने के लिए एक सुनियोजित योजना के तहत विधायकों को पैसों का लालच दिया जा रहा है। इसी एफआईआर के आधार पर EOU ने सुनील को पूछताछ के लिए तलब किया था।
EOU को मिले कई पुख्ता सुराग
जांच के दौरान EOU अधिकारियों को कई ऐसे सबूत मिले जिनसे यह संकेत मिलते हैं कि राज्य में सत्ता परिवर्तन की एक गंभीर योजना बन रही थी। पूछताछ में अधिकारियों ने सुनील के सामने रुपयों के स्रोत, माफियाओं के साथ उसके संपर्क और संभावित लेन-देन की योजना से जुड़े तथ्यों को रखा। इन सवालों का सुनील के पास कोई ठोस जवाब नहीं था। उसने इतना ज़रूर स्वीकार किया कि उसकी पहुंच बालू माफिया और अन्य आपराधिक गिरोहों तक रही है।
जमानत की शर्तों पर टिका है सुनील का भविष्य
वर्तमान में इंजीनियर सुनील कोर्ट से जमानत पर बाहर है, जो इस शर्त पर मिली थी कि वह जांच में पूरा सहयोग करेगा। EOU अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यदि अभियुक्त जांच में सहयोग करने से मुकरता है, तो उसकी जमानत रद्द कराने के लिए अदालत में याचिका दायर की जाएगी।
राजनीतिक गलियारों में मची खलबली
इस पूरे मामले ने बिहार की राजनीति को हिला कर रख दिया है। सत्ता के गलियारों में अफवाहों का दौर तेज हो गया है कि कहीं विपक्षी खेमे में कुछ बड़े चेहरे इस साजिश के हिस्सेदार तो नहीं थे। फिलहाल EOU की जांच आगे बढ़ रही है और आने वाले दिनों में और भी नाम उजागर हो सकते हैं।