वाराणसी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने मंगलवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के स्वतंत्रता भवन सभागार में आयोजित 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' विषयक संगोष्ठी को संबोधित किया। उन्होंने इस विचार को भारत की दीर्घकालिक स्थिरता, विकास और प्रशासनिक दक्षता के लिए महत्वपूर्ण बताया।
1952 से 1967 तक लोकसभा और विधानसभा चुनाव
डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि जब भारत में लोकतंत्र की नींव रखी गई थी, तब संविधान निर्माताओं ने देशभर में एक साथ चुनाव कराने का निर्णय लिया था। 1952 से 1967 तक लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए, जिससे देश में राजनीतिक स्थिरता बनी रही। लेकिन बाद में विभिन्न परिस्थितियों के चलते यह प्रक्रिया बाधित हो गई और अलग-अलग समय पर चुनाव होने लगे। उन्होंने कहा कि बार-बार चुनाव होने से न केवल विकास कार्य प्रभावित होते हैं, बल्कि प्रशासनिक कार्यों में भी बाधा उत्पन्न होती है।
उन्होंने आगे कहा कि बार-बार चुनाव कराने से आर्थिक संसाधनों पर भी अतिरिक्त दबाव पड़ता है। जब किसी राज्य में चुनाव होते हैं, तब वहां चुनाव आचार संहिता लागू हो जाती है, जिससे नई परियोजनाओं पर रोक लग जाती है। ऐसे में पूरे देश में अलग-अलग समय पर चुनाव होने से विकास योजनाओं की गति बाधित होती रहती है।
चुनावों की अधिकता से देश को नुकसान: बीजेपी
डॉ. त्रिवेदी ने अटल बिहारी वाजपेयी के एक कथन का उल्लेख करते हुए कहा, "लोकतंत्र की धड़कन चुनाव है, लेकिन अगर धड़कन बहुत तेज हो जाए, तो यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।" इसी तर्ज पर उन्होंने कहा कि हर साल चुनाव होने से देश के आर्थिक और प्रशासनिक संसाधनों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि भारत को वैश्विक शक्ति बनाना है, तो हमें दीर्घकालिक योजनाओं पर ध्यान देना होगा। बार-बार चुनाव होने से सरकारों की दीर्घकालिक नीतियां प्रभावित होती हैं, जिससे विकास कार्यों को स्थिर गति नहीं मिल पाती।
राजनीतिक अस्थिरता में मोदी सरकार का योगदान
उन्होंने कहा कि 1989 से 2014 तक देश में राजनीतिक अस्थिरता बनी रही, लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनी सरकार ने स्थिरता प्रदान की। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के स्थिर नेतृत्व के कारण ही देश में ऐतिहासिक निर्णय लिए गए, जैसे कि अनुच्छेद 370 की समाप्ति, तीन तलाक पर प्रतिबंध और डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देना।
डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि मौजूदा सरकार ने देश को डिजिटल ट्रांजेक्शन में अग्रणी बनाया है। उन्होंने बताया कि जब केंद्र सरकार ने डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने की बात की थी, तब विपक्षी नेताओं ने इसका मजाक उड़ाया था। लेकिन आज भारत डिजिटल लेन-देन के मामले में अमेरिका और चीन को भी पीछे छोड़ चुका है।
'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के लाभ
उन्होंने कहा कि 'वन नेशन, वन इलेक्शन' से देश को कई बड़े लाभ होंगे। उन्होंने निम्नलिखित बिंदुओं को रेखांकित किया:
1. प्रशासनिक दक्षता में वृद्धि: अलग-अलग समय पर चुनाव होने से प्रशासनिक तंत्र पर दबाव पड़ता है, जिसे एक साथ चुनाव कराकर कम किया जा सकता है।
2. आर्थिक बचत: बार-बार चुनाव कराने पर सरकारी धन की बड़ी मात्रा खर्च होती है। एक साथ चुनाव कराने से सरकारी बजट की बचत होगी और धन का सही उपयोग हो सकेगा।
3. राजनीतिक स्थिरता: बार-बार चुनाव होने से राजनीतिक अस्थिरता बनी रहती है। लेकिन यदि चुनाव एक साथ होंगे, तो सरकारें पूरे कार्यकाल के लिए स्थिर रहेंगी और दीर्घकालिक विकास योजनाओं पर काम कर सकेंगी।
4. जीडीपी में वृद्धि: चुनावी खर्च में कटौती से देश की जीडीपी में कम से कम 1 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।
5. जातिगत और क्षेत्रीय राजनीति का कम होना: चुनावों में अक्सर जातिगत और क्षेत्रीय मुद्दों को प्रमुखता दी जाती है, लेकिन एक साथ चुनाव होने से यह प्रवृत्ति कम होगी।
विपक्ष ने किया विरोध
उन्होंने कहा कि विपक्षी दल हर नई नीति का विरोध करते आए हैं, चाहे वह जीएसटी हो, डिजिटल इंडिया हो या अब 'वन नेशन, वन इलेक्शन' हो। लेकिन मोदी सरकार अपने निर्णयों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है और देश को एक नई दिशा देने के लिए दृढ़ संकल्पित है।
पूर्व सरकारों की नीतियों पर बोला हमला
डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि पूर्व की सरकारों ने 'बांटो और राज करो' की नीति अपनाकर जातिवाद और क्षेत्रवाद को बढ़ावा दिया। उन्होंने कहा कि 1947 में भारत को स्वराज तो मिला, लेकिन हम वास्तव में स्वतंत्र नहीं हुए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि ब्रिटिश हुकूमत के बाद भी भारत के प्रशासनिक ढांचे में विदेशी प्रभाव बना रहा और समाज में जातिगत विभाजन को बढ़ावा दिया गया।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद इस स्थिति को बदलने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि जब भाजपा सरकार बनी, तब करोड़ों गरीबों के पास बैंक खाते नहीं थे, लेकिन अब जन धन योजना के तहत 54 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले गए हैं, जिससे गरीबों को सरकारी लाभ सीधे मिल रहा है।
मोदी सरकार की प्रतिबद्धता
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने जो भी ठान लिया, उसे हर हाल में पूरा किया है। इसी तरह, 'वन नेशन, वन इलेक्शन' की नीति भी लागू करके देश में स्थिरता लाई जाएगी। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल भले ही इस व्यवस्था का विरोध कर रहे हों, लेकिन सरकार अपने निर्णय पर अडिग है।
विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति और कार्यक्रम का समापन
इस अवसर पर बिहार और मेघालय के पूर्व राज्यपाल फागू चौहान ने संगोष्ठी की अध्यक्षता की। उन्होंने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' को देश की जरूरत बताते हुए कहा कि इससे विकास को गति मिलेगी और राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित होगी।
कार्यक्रम की शुरुआत में मुख्य अतिथि डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने बीएचयू के संस्थापक पं. मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।
इनकी रही उपस्थिति
इस कार्यक्रम में भाजपा प्रदेश महामंत्री एवं एमएलसी अनुप गुप्ता, भाजपा क्षेत्रीय अध्यक्ष दिलीप पटेल, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. दयाशंकर मिश्र दयालु, पूर्व मंत्री एवं विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी, कैंट विधायक सौरभ श्रीवास्तव, जिलाध्यक्ष एवं एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा, महानगर अध्यक्ष विद्यासागर राय, जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मोर्या, महापौर अशोक तिवारी, काशी मंथन के संस्थापक डॉ. मयंक नारायण सिंह, प्रदेश कोषाध्यक्ष मनीष कपूर, पूर्व विधायक सुरेंद्र नारायण सिंह, डॉ. विरेंद्र प्रताप सिंह, क्षेत्रीय मीडिया प्रभारी नवरतन राठी सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।