दिल्ली ब्लास्ट कनेक्शन: डॉ. शाहीन ने भाई परवेज को बनाया आतंकी नेटवर्क का हिस्सा, मेडिकल कॉलेज की आड़ में चल रहा था ब्रेनवॉश मिशन

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दिल्ली में हुए लाल किला ब्लास्ट की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे आतंकियों के नेटवर्क की परतें खुलती जा रही हैं। एटीएस और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त जांच में अब जो नया नाम सामने आया है, वह है डॉ. शाहीन शाहिद उर्फ डॉ. शाहीन सईद, जो खुद एक डॉक्टर है और जिसने अपने छोटे भाई डॉ. परवेज अंसारी को कथित रूप से आतंक की राह पर धकेला। जांच एजेंसियों का दावा है कि शाहीन इस पूरे नेटवर्क की मास्टरमाइंड ट्रेनरकी भूमिका में थी, जिसने मेडिकल पढ़े-लिखे युवाओं को वैचारिक रूप से कट्टर बनाकर उन्हें मिशन में जोड़ा।

 

बहन ने ही किया भाई का ब्रेनवॉश

 

उत्तर प्रदेश एटीएस के सूत्रों के मुताबिक, डॉ. शाहीन शाहिद ने ही अपने छोटे भाई परवेज का ब्रेनवॉश किया और उसे जिहादी विचारधाराके संपर्क में लाया। परवेज पढ़ाई में बेहद मेधावी था। हाई स्कूल से लेकर एमबीबीएस तक हर परीक्षा में उसने फर्स्ट डिविजन हासिल की थी। लेकिन जैसे-जैसे शाहीन की मुलाकात कुछ संदिग्ध डॉक्टरों से हुई, वैसा ही प्रभाव उसने अपने भाई पर भी डालना शुरू कर दिया।

 

शाहीन की नजदीकी फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी में काम करने वाले डॉ. मुजम्मिल गनी और डॉ. उमर नबी से थी। इन्हीं लोगों के संपर्क में आने के बाद उसने अपने भाई को धर्म और कर्तव्यके नाम पर मिशन से जोड़ने का काम किया।

 

अदील की गिरफ्तारी से डरा परवेज, नौकरी छोड़ी

 

दिल्ली ब्लास्ट मामले में सहारनपुर से 6 नवंबर को डॉ. अदील की गिरफ्तारी के बाद परवेज को अपने पकड़े जाने का अंदेशा हो गया था। इसलिए उसने 7 नवंबर को लखनऊ की इंटीग्रल यूनिवर्सिटी से अचानक इस्तीफा दे दिया।

 

वह वहां इंटीग्रल मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत था। इस्तीफा ई-मेल के माध्यम से भेजा गया, जिसमें उसने नई नौकरी मिलने का बहाना बनाया। लेकिन जांच में पता चला कि उसने कहीं और जॉइन नहीं किया था।

 

जांच एजेंसियों का मानना है कि परवेज ने इस्तीफा इसलिए दिया ताकि गायब होने की स्थिति में यूनिवर्सिटी बार-बार उससे संपर्क न करे और मामला शांत रहे।

 

शालीन डॉक्टर से कट्टर सोच तक

 

2011 में एरा मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस और 2015 में आगरा की सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज से एमडी करने वाला डॉ. परवेज एक समय में बेहद मिलनसार और पेशेवर डॉक्टर था। उसने 2015-17 तक विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में सीनियर रेजिडेंट के रूप में कार्य किया और फिर 2021 में इंटीग्रल यूनिवर्सिटी से जुड़ा।

 

यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों और अधिकारियों का कहना है कि जब उसने जॉइन किया था, तब वह क्लीन शेव रहता था और पश्चिमी पहनावा अपनाता था। लेकिन अगले कुछ वर्षों में उसका रूप और स्वभाव पूरी तरह बदल गया। उसने लंबी दाढ़ी रखना शुरू किया, कुर्ता-पजामा पहनने लगा और धार्मिक पुस्तकों के अध्ययन में डूब गया।

 

साथी डॉक्टरों के अनुसार, उसने पिछले तीन वर्षों से खुद को लगभग सभी से अलग कर लिया था। स्टाफ और छात्रों से कम बोलता, ग्राउंड में अकेला टहलता और ओपीडी में बहुत कम दिखता था।

 

पढ़ाने में दिलचस्पी, इलाज में नहीं

 

इंटीग्रल यूनिवर्सिटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि डॉ. परवेज की रुचि इलाज से अधिक शिक्षण में थी। वह छात्रों को मेडिकल साइंस से जुड़े विषय पढ़ाने में समय देता था, लेकिन मरीजों के इलाज में दिलचस्पी नहीं दिखाता था।

 

उसका यह स्वभाव शायद यूनिवर्सिटी प्रशासन की नजर से इसलिए भी बचा रहा क्योंकि वह अनुशासनहीन नहीं था और समय पर क्लास लेता था।

 

अच्छा वेतन, पर रहस्यमयी जीवनशैली

 

डॉ. परवेज की सैलरी 1.70 लाख रुपए प्रतिमाह थी। 2021 में उसने सीनियर रेजिडेंट के रूप में 1.20 लाख वेतन से शुरुआत की थी और 2022 में सहायक आचार्य (असिस्टेंट प्रोफेसर) के पद पर पदोन्नति पाई।

 

उसे जल्द एसोसिएट प्रोफेसर बनाए जाने की प्रक्रिया भी चल रही थी, लेकिन उससे पहले ही उसने इस्तीफा दे दिया। यूनिवर्सिटी स्टाफ के अनुसार, वह बहुत सीमित दायरे में रहता था। यहां तक कि अपने जॉइनिंग फॉर्म में उसने खुद को शादीशुदा बताया, लेकिन पत्नी और बच्चों के नाम का कॉलम खाली छोड़ दिया।

 

सहकर्मियों में फैला डर

 

परवेज की गिरफ्तारी और उसके आतंक कनेक्शन की खबर सामने आने के बाद इंटीग्रल यूनिवर्सिटी के स्टाफ में भय का माहौल है। कई डॉक्टरों और छात्रों ने अपने मोबाइल से परवेज के साथ की तस्वीरें और चैट्स डिलीट कर दी हैं। उन्हें आशंका है कि कहीं पूछताछ के दौरान वे भी जांच के दायरे में न आ जाएं।

 

एक सीनियर प्रोफेसर ने बताया कि पहले तो किसी को यकीन नहीं हुआ कि परवेज ऐसी गतिविधियों में शामिल हो सकता है, लेकिन जब एटीएस और एलआईयू की टीम ने इसकी पुष्टि की, तो सभी स्तब्ध रह गए।

 

घर पर एटीएस की रेड, मिले अहम सुराग

 

दिल्ली ब्लास्ट की जांच के सिलसिले में 11 नवंबर को एटीएस और जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीम ने डॉ. शाहीन शाहिद के लखनऊ स्थित घर पर छापा मारा। टीम को वहां शाहीन के पिता सईद अंसारी मिले। घर की पूरी तलाशी ली गई और आस-पड़ोस के लोगों से पूछताछ की गई।

 

इसके बाद मड़ियांव थाना क्षेत्र में डॉ. परवेज अंसारी के घर पर भी छापा डाला गया। ताला तोड़कर पुलिस अंदर दाखिल हुई और तीन घंटे तक तलाशी चली। वहां से महत्वपूर्ण दस्तावेज, डिजिटल उपकरण, एक कार और बाइक बरामद की गई।

 

सूत्रों के अनुसार, परवेज के पास से मिली आल्टो कार (UP11 BD 3563) सहारनपुर आरटीओ में रजिस्टर्ड है, जिस पर इंटीग्रल यूनिवर्सिटी का पास भी लगा था। जांच में पता चला कि यही कार आतंकी नेटवर्क के संपर्क और सामग्री की आवाजाही में इस्तेमाल की जाती थी।

 

पहले भी जुड़ा रहा है यूनिवर्सिटी का नाम

 

यह पहला मौका नहीं है जब इंटीग्रल यूनिवर्सिटी का नाम आतंक गतिविधियों से जुड़ा हो। इससे पहले बटला हाउस एनकाउंटर केस में गिरफ्तार आतंकी हाकिम इसी यूनिवर्सिटी में बायोटेक का छात्र था, हालांकि बाद में वह बरी हो गया।

 

इसी तरह, दुबग्गा प्रेशर कुकर बम केस में पकड़े गए आतंकी की पत्नी भी इस यूनिवर्सिटी में नौकरी करती थी। अब तीसरी बार इस संस्थान का नाम एक बड़े आतंकी नेटवर्क के साथ सामने आया है।

 

एटीएस की जांच में कई सवाल

 

जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि शाहीन और परवेज दोनों ने किस स्तर तक इस नेटवर्क में भागीदारी की। क्या ये केवल स्लीपर सेलका हिस्सा थे या सक्रिय प्लानिंग में भी शामिल थे?

 

सवाल यह भी है कि एक शिक्षित, सम्पन्न डॉक्टर परिवार ने आखिर ऐसी राह क्यों चुनी क्या यह धार्मिक कट्टरता थी या किसी बड़े संगठन का दवाब?

 

 

एटीएस सूत्रों के अनुसार, दोनों के डिजिटल उपकरणों की फोरेंसिक जांच जारी है। कई कोडेड ईमेल, चैट्स और ग्रुप मैसेज मिले हैं, जिनसे यह संकेत मिलता है कि यह नेटवर्क मेडिकल प्रोफेशन के आड़ में सक्रिय था।

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