जब शबरी के जूठे बेर खाकर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने अपनी भूख मिटाई थी। त्रेता में भिलनी समाज में जन्मी शबरी ने तारणहार की पलभर की सेवा के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।
अब कलयुग में वृंदावन के सुप्रसिद्ध श्री ठाकुर बांके बिहारी मंदिर से एक हृदय विदारक और चौंकाने वाली खबर सामने आई है। बताया जा रहा है कि मंदिर के इतिहास में शायद पहली बार ऐसा हुआ, जब आराध्य भगवान बांके बिहारी को पूरे दिन बाल भोग और शयन भोग समेत कोई भी भोग अर्पित नहीं किया गया। इस अकल्पनीय घटना की वजह मंदिर के हलवाई को लंबे समय से वेतन न मिलना है।
ठाकुर जी रहे भूखे, भक्तों की आस्था हुई आहत
बांके बिहारी का दरबार वह स्थान है जहां प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु अपने प्रिय ठाकुर के दर्शन और उनके मनमोहक भोग की एक झलक पाने की कामना से उमड़ते हैं। लेकिन इस बार जो दृश्य सामने आया, उसने भक्तों के दिलों को गहरा घाव दिया। भक्तों के साथ-साथ स्वयं ठाकुर जी भी उस दिन अपने स्नेह भरे बाल भोग और शयन भोग से वंचित रह गए। यह घटना केवल एक परंपरा का टूटना नहीं है, बल्कि करोड़ों भक्तों की अटूट आस्था पर एक आघात है।
मंदिर के मर्माहत पुजारियों ने इस लापरवाही पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है, क्योंकि भोग अर्पण को बांके बिहारी मंदिर में केवल एक रस्म नहीं, बल्कि ठाकुर जी की जीती-जागती सेवा का अभिन्न हिस्सा माना जाता है।
कई महीनों का बकाया, मजबूरन रुका भोग
मंदिर के हलवाई, मयंक गुप्ता, को पिछले कई महीनों से उनका निश्चित मासिक वेतन (लगभग 80,000 रुपये प्रतिमाह) नहीं मिला था। आर्थिक तंगी और बकाया भुगतान न होने की मजबूरी के चलते, उन्होंने भारी मन से उस दिन ठाकुर जी के लिए भोग तैयार नहीं किया।
इसका दर्दनाक परिणाम यह हुआ कि सुबह का बाल भोग, दोपहर का राजभोग, शाम का उत्थापन भोग और रात्रि का शयन भोग, ये चारों पवित्र भोग उस दिन ठाकुर जी को समर्पित नहीं किए जा सके।
हाई-पावर्ड कमेटी ने दिया आश्वासन
यह गंभीर मामला सोमवार को उस समय उजागर हुआ जब मंदिर कमेटी को भोग न लगने की जानकारी मिली। हलवाई मयंक गुप्ता से पूछताछ की गई तो उन्होंने स्पष्ट रूप से अपने वेतन न मिलने को बाध्यकारी कारण बताया।
मामले के तूल पकड़ने और भक्तों में तीव्र निराशा फैलने के बाद, मंदिर की हाई-पावर्ड कमेटी हरकत में आई है। उन्होंने तत्काल प्रभाव से हलवाई का बकाया वेतन जल्द से जल्द अदा करने का आश्वासन दिया है। साथ ही, भविष्य में ऐसी पीड़ादायक स्थिति दोबारा न उत्पन्न हो, इसके लिए कठोर दिशा-निर्देश जारी करने की बात भी कही गई है।
यह घटना उन सभी श्रद्धालुओं के लिए भावनात्मक रूप से विचलित करने वाली है, जो सदियों से चली आ रही इस दिव्य सेवा को प्रभु की लीला का अंश मानते हैं।