वाराणसी। भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत को गहरा आघात देते हुए पद्मविभूषण से सम्मानित प्रख्यात शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र का गुरुवार तड़के निधन हो गया। 89 वर्ष की आयु में उन्होंने सुबह 4.15 बजे मिर्जापुर स्थित अपनी बेटी नम्रता मिश्रा के घर अंतिम सांस ली। लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे मिश्रजी के निधन से न केवल काशी, बल्कि पूरा देश शोकाकुल है।
पंडित मिश्र का जाना संगीत जगत की एक ऐसी क्षति है, जिसकी भरपाई संभव नहीं। "खेले मसाने में होली..." जैसे गीतों से जनमानस तक पहुँच बनाने वाले इस अद्वितीय गायक ने खयाल, ठुमरी, भजन, दादरा, कजरी और चैती जैसी विधाओं को अपनी गायकी से नई ऊँचाई प्रदान की। अंतिम संस्कार गुरुवार की शाम काशी के मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा।

लंबे समय से बीमार चल रहे थे पंडितजी
पंडित मिश्र बीते सात महीने से अस्वस्थ थे। 11 सितंबर को मिर्जापुर में तबीयत बिगड़ने पर उन्हें रामकृष्ण सेवाश्रम अस्पताल में भर्ती कराया गया। सीने में दर्द की शिकायत के बाद हालात गंभीर हुए, जिसके चलते 13 सितंबर की रात उन्हें बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल लाया गया। डॉक्टरों ने जांच में पाया कि उन्हें एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (ARDS) है, जिससे फेफड़ों में गंभीर सूजन हो गई थी। साथ ही उन्हें टाइप-2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, ऑस्टियोआर्थराइटिस और प्रोस्टेट की समस्या भी थी। इलाज के बाद 27 सितंबर को डिस्चार्ज कर दिया गया और वे मिर्जापुर में बेटी के पास रहने लगे। वहीं गुरुवार तड़के उन्होंने अंतिम सांस ली।
बचपन से संगीत से जुड़ा था जीवन
3 अगस्त 1936 को आजमगढ़ जिले के हरिहरपुर गांव में जन्मे छन्नूलाल मिश्र का जीवन बचपन से ही संगीत से जुड़ा रहा। उनके दादा गुदई महाराज और पिता बद्री प्रसाद मिश्र स्वयं जाने-माने तबला वादक और गायक थे। परिवार की इस परंपरा ने उन्हें संगीत साधना के लिए प्रेरित किया। महज छह साल की उम्र से ही उन्होंने पिता से संगीत की बारीकियां सीखना शुरू कर दिया। नौ साल की आयु में उन्हें किराना घराने के उस्ताद अब्दुल गनी खान से खयाल की शिक्षा मिली। इसके बाद ठाकुर जयदेव सिंह ने उन्हें प्रशिक्षण दिया।
बिहार के मुजफ्फरपुर में उन्होंने औपचारिक संगीत शिक्षा प्राप्त की। करीब चार दशक पहले जब वे वाराणसी आए, तो काशी की धरती ने उनकी साधना को और ऊँचाई दी। यही काशी उनकी जीवनभर की कर्मभूमि बनी, जहां से उन्होंने शास्त्रीय और लोक दोनों ही विधाओं का संगम प्रस्तुत कर अंतरराष्ट्रीय ख्याति अर्जित की।

कोरोना काल में पत्नी और बेटी का हुआ निधन
पंडित मिश्र का परिवार बड़ा था। उनकी चार बेटियां और एक बेटा है। किंतु कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने अपने जीवन का सबसे बड़ा आघात झेला। वर्ष 2021 में चार दिनों के भीतर पत्नी मनोरमा मिश्र (26 अप्रैल) और बड़ी बेटी संगीता मिश्र (29 अप्रैल) का निधन हो गया। इस हादसे ने उन्हें गहरे अवसाद में धकेल दिया, हालांकि वे संगीत साधना के सहारे फिर से संभले और जीवन के अंतिम समय तक संगीत की सेवा करते रहे।
2021 में मिला था पद्मविभूषण सम्मान
पंडित छन्नूलाल मिश्र भारतीय संगीत जगत की उन गिनी-चुनी विभूतियों में से थे जिन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान प्राप्त हुए। वर्ष 2000 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2010 में पद्मभूषण और 2021 में पद्मविभूषण सम्मान से अलंकृत किया गया।
उनकी गायकी की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि उन्होंने शास्त्रीय संगीत को केवल मंचों और विद्वानों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि जन-जन तक पहुँचाया। लोकगीतों और शास्त्रीय रागों के अनूठे मेल से उन्होंने एक ऐसी शैली विकसित की, जिसने उन्हें अपार लोकप्रियता दिलाई।
पीएम मोदी के रहे प्रस्तावक
पंडित मिश्र का संबंध भारतीय राजनीति से भी एक खास मुकाम पर जुड़ा। वर्ष 2014 में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नामांकन के समय उनके प्रस्तावक की भूमिका निभाई थी। बताया जाता है कि शुरू में उन्होंने इस भूमिका के लिए रुचि नहीं दिखाई थी, लेकिन भाजपा अध्यक्ष रहे अमित शाह ने उनसे व्यक्तिगत मुलाकात कर उन्हें राजी किया। तब पंडित मिश्र ने कहा था कि “काशी की गंगा और संगीत परंपरा का ख्याल रखना मेरी बस यही अपेक्षा है।”

पीएम और सीएम ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा— “सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उन्होंने जीवनभर भारतीय कला और संस्कृति की सेवा की और उसे विश्व पटल पर प्रतिष्ठित किया। यह मेरा सौभाग्य रहा कि मुझे उनका स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त हुआ। शोक की इस घड़ी में मैं उनके परिजनों और अनुयायियों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं। ओम शांति।”
सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। वे जीवनपर्यंत भारतीय कला और संस्कृति की समृद्धि के लिए समर्पित रहे। उन्होंने शास्त्रीय संगीत को जन-जन तक पहुंचाने के साथ ही भारतीय परंपरा को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित करने में भी अपना अमूल्य योगदान… pic.twitter.com/tw8jb5iXu7
— Narendra Modi (@narendramodi) October 2, 2025
वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा— “पंडित छन्नूलाल मिश्र ने अपना पूरा जीवन भारतीय शास्त्रीय संगीत के उत्थान को समर्पित कर दिया। उनका गायन कला साधकों के लिए प्रेरणा स्रोत रहेगा। प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति और उनके अनुयायियों को इस दुख को सहन करने की शक्ति मिले।”
भारतीय शास्त्रीय संगीत के मर्मज्ञ, 'पद्म विभूषण' प्रख्यात शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र जी का निधन अत्यंत दुःखद एवं शास्त्रीय संगीत विधा की अपूरणीय क्षति है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि!
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) October 2, 2025
आपने अपना पूरा जीवन भारतीय शास्त्रीय गीत-संगीत के उत्थान में समर्पित कर दिया। आपका गायन…
काशी ने खोया अपना संगीत रत्न
काशी नगरी के लिए पंडित मिश्र केवल एक कलाकार नहीं, बल्कि परंपरा और संस्कृति के प्रतीक थे। उनका घर संगीत साधकों के लिए तीर्थ के समान रहा। गंगा तट पर होने वाले अनेक आयोजनों में उनकी उपस्थिति और गायकी लोगों की आत्मा को छू जाती थी।
आज जब वे इस दुनिया को छोड़कर चले गए हैं, तब संगीत प्रेमियों की जुबान पर बस एक ही बात है— काशी ने अपने संगीत रत्न को खो दिया। लेकिन उनकी स्वर-लहरियां और गीत आज भी लोगों के दिलों में गूंज रहे हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनकर रहेंगे।