ज्ञानवापी केस में नई अदालत की पहली सुनवाई: वजूखाने, तहखानों और पूजा-अनुमति से जुड़े कई मुद्दों पर हुई दलील, इस तारीख को होगी कोर्ट की अगली कार्यवाही

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वाराणसी। नए जिला जज संजीव शुक्ला ने कार्यभार संभालने के बाद सोमवार को ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी विवाद से जुड़े मामलों की पहली सुनवाई की। उन्होंने अदालत में सभी केस फाइलों का गहन अध्ययन किया और दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। यह सुनवाई ज्ञानवापी परिसर के वजूखाने, तहखानों और पूजा-अनुमति से जुड़े कई मुद्दों पर केंद्रित रही।

वजूखाने पर बहस और अदालत का रुख

सुनवाई की शुरुआत वजूखाने पर लगी सील और ताले से संबंधित विवाद से हुई। हिंदू पक्ष ने कहा कि वजू स्थल पर लगा पुराना कपड़ा और ताला बदला जाए, क्योंकि वे अब खराब हो चुके हैं। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए इसका विरोध किया।

 


 

इस पर जज संजीव शुक्ला ने दोनों पक्षों की जिरह सुनने के बाद कहा कि वे फाइलों का अध्ययन करने के बाद निर्णय देंगे। अदालत ने मामले में अगली सुनवाई की तारीख 24 अक्टूबर तय की है।

सात मामलों की एक साथ सुनवाई

सोमवार को अदालत में ज्ञानवापी से जुड़े सात मामलों की संयुक्त सुनवाई हुई। इनमें पांच महिलाओं  लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक और राखी सिंह ने मां श्रृंगार गौरी और अन्य देवी-देवताओं की पूजा की अनुमति मांगी है।

 


उनके अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने अदालत से अनुरोध किया कि इन मामलों की सुनवाई तेजी से की जाए, क्योंकि कई याचिकाएं लंबे समय से लंबित हैं।

एएसआई सर्वे और तहखानों का मुद्दा

हिंदू पक्ष ने अदालत को बताया कि दक्षिण दिशा का एस-1 और उत्तर दिशा का एन-1 तहखाना अभी तक एएसआई सर्वे में शामिल नहीं हो सका है, क्योंकि दोनों मार्ग पत्थरों से बंद हैं। उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि बाधाओं को हटाकर एएसआई को अंदर जाकर सर्वे करने की अनुमति दी जाए।

अन्य लंबित याचिकाएं और अदालत का निर्णय

सुनवाई के दौरान भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान की ओर से दायर याचिका पर भी चर्चा हुई, जिसमें मस्जिद परिसर में मिले शिवलिंग की पूजा की अनुमति और उसमें बाधा डालने वालों के प्रवेश पर रोक की मांग की गई है।

 


हालांकि, जिला जज ने 1991 में दाखिल लॉर्ड विश्वेश्वर के मुकदमे को सिविल कोर्ट से अपने पास स्थानांतरित करने की मांग को खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन मामला

अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि सभी सात मामलों को एक साथ क्लब करने का विषय सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। इसलिए अंतिम निर्णय उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद ही लिया जाएगा।

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